अधिकारी हो तो ऐसा :बारिश में भी एसपी ट्रेफिक गोरखपुर ने निभाई अपनी जिम्मेदारी
अधिकारी हो तो ऐसा :बारिश में भी एसपी ट्रेफिक गोरखपुर ने निभाई अपनी जिम्मेदारी
ए कुमार
गोरखपुर 23 जून 2019 ।। कहते हैं कि किसी चीज को बदलने का अगर जुनून आपके अंदर हो तो वह किसी की सुनने पर नहीं अपने कामों पर ध्यान देता है । यातायात व्यवस्था में परिवर्तन लाने और लोगों को जागरूक करने के लिए दिन प्रतिदिन अपने नए-नए प्रयोगों के लिए चर्चा में रहने वाले एसपी ट्रेफिक आदित्य प्रकाश वर्मा गोरखपुर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए रात दिन प्रयास कर रहे हैं । जिसका एक नजारा आज गोलघर की सड़कों पर देखने को मिला । जब एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा बारिश में भी छाता लगाकर वाहन चालको को हेलमेट लगाकर चलने की शिक्षा देते रहे और ना मानने वालों के खिलाफ चालान भी किया।
बता दें कि एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा को गोरखपुर में रहते हुए लगभग 2 वर्ष हो चुके हैं यातायात व्यवस्था में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए यहां तक कि शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उन्होंने यातायात की पाठशाला लगाकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया । जिले की यातायात व्यवस्था में तभी सुधार हो सकता है जब तक हम अपने अंदर खुद जागरूकता नहीं लाएंगे क्योंकि सिर्फ कार्रवाई के डर से हेलमेट या सीट बेल्ट लगाना ठीक नही। हम अपनी जान जोखिम में डालकर ड्राइविंग करते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि आप की लापरवाही से अन्य कई लोगों की भी जाने चली जाती है जिसका जिम्मेदार और कोई नहीं हम स्वयं होते हैं।
ए कुमार
गोरखपुर 23 जून 2019 ।। कहते हैं कि किसी चीज को बदलने का अगर जुनून आपके अंदर हो तो वह किसी की सुनने पर नहीं अपने कामों पर ध्यान देता है । यातायात व्यवस्था में परिवर्तन लाने और लोगों को जागरूक करने के लिए दिन प्रतिदिन अपने नए-नए प्रयोगों के लिए चर्चा में रहने वाले एसपी ट्रेफिक आदित्य प्रकाश वर्मा गोरखपुर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए रात दिन प्रयास कर रहे हैं । जिसका एक नजारा आज गोलघर की सड़कों पर देखने को मिला । जब एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा बारिश में भी छाता लगाकर वाहन चालको को हेलमेट लगाकर चलने की शिक्षा देते रहे और ना मानने वालों के खिलाफ चालान भी किया।
बता दें कि एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा को गोरखपुर में रहते हुए लगभग 2 वर्ष हो चुके हैं यातायात व्यवस्था में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए यहां तक कि शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उन्होंने यातायात की पाठशाला लगाकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया । जिले की यातायात व्यवस्था में तभी सुधार हो सकता है जब तक हम अपने अंदर खुद जागरूकता नहीं लाएंगे क्योंकि सिर्फ कार्रवाई के डर से हेलमेट या सीट बेल्ट लगाना ठीक नही। हम अपनी जान जोखिम में डालकर ड्राइविंग करते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि आप की लापरवाही से अन्य कई लोगों की भी जाने चली जाती है जिसका जिम्मेदार और कोई नहीं हम स्वयं होते हैं।