बलिया : पहली ही बरसात में शहर बना तालाब ,नगर पालिका के जिम्मेदारों की उदासीनता से जनता हो रही है परेशान
बलिया : पहली ही बरसात में शहर बना तालाब ,नगर पालिका के जिम्मेदारों की उदासीनता से जनता हो रही है परेशान
मधुसूदन सिंह
बलिया 22 जून 2019 ।। जिधर जाइये पानी ही पानी , बलिया शहर बना है तालाब , नगर पालिका की उदासीनता से हुआ यह हाल । जी हां , बरसात की पहली ही बरसात ने नगर पालिका परिषद की साफ सफाई की पोल खोल कर रख दी है । सबसे खराब उस एरिया की जहां लगभग 35 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च करके प्राइवेट कंपनी से सफाई कराया जा रहा । बरसात में शहीद चौक में कभी पानी नही लगता था , पर इस साल लगा है , बापू भवन टाउन हॉल सड़क पर पानी लगा है , ऐसी कालेज चौराहा और बैरिया रोड तो सड़क कम तालाब ज्यादे दिख रही है । कलेक्ट्रेट के सामने पानी लगा है । कलेक्ट्रेट सभागार जहां 4 बजे से प्रदेश सरकार के मंत्री उपेन्द्र तिवारी जी समीक्षा बैठक कर रहे है , उसकी सड़क तालाब बनी हुई है । नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारी पालीथिन के लिये छापेमारी कर रहे थे और बरसात का पानी लोगो के घरों और दुकानों में घुस रहा था । इसके बावजूद नगर पालिका के किसी जिम्मेदार अधिकारी को अपने मातहतों को पानी की निकासी के लिये निर्देश भी देते हुए नही देखा गया । शहर का ऐसा कोई भी वार्ड नही है जहां पानी लगा हुआ न दिख रहा हो ।
अब तक का सबसे लाचार और उदासीन नगर पालिका प्रशासन
बलिया शहर को गद्धायुक्त , कीचड़युक्त ,जलभराव युक्त करने में जितना उदासीन वर्तमान प्रशासनिक तंत्र है उतना नगर पालिका के इतिहास में कभी नही था । चेयरमैन और सभासदों के आपसी खींचतान का नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारी खूब फायदा उठा रहे है । नगर पालिका वर्तमान समय मे खाला का घर बन गयी है । जिस विभाग को काम कराना होता है , सीधे काम शुरू कर दे रहा है । नगर पालिका की सड़कों की माँ बहन कर दे रहे है , लेकिन इनको रोकने वाला कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नही है । शहर की सड़कों की दुर्दशा करने में जल निगम का सीवर प्रोजेक्ट और बिजली विभाग की अंडर ग्राउंड केबलिंग कार्य मुख्य रूप से जिम्मेदार है । पहले बरसात के पहले शहरी क्षेत्र में नही होता था , लेकिन आज जब चाहे शुरू हो जा रहा है ,लगता है जैसे जनपद में नगर पालिका की सड़कों को टूटने से रोकने वाला कोई अधिकारी ही नही थी । पहले जो विभाग सड़को को तोड़ता था तो वही पुनः सड़क को बनवाता था या उसके लिये क्षतिपूर्ति धनराशि देता था और काम तबतक शुरू नही करता था जबतक उसको नगर पालिका से अनुमति न मिल जाये । लेकिन वर्तमान समय मे नगर पालिका का भगवान ही मालिक है ।
मधुसूदन सिंह
बलिया 22 जून 2019 ।। जिधर जाइये पानी ही पानी , बलिया शहर बना है तालाब , नगर पालिका की उदासीनता से हुआ यह हाल । जी हां , बरसात की पहली ही बरसात ने नगर पालिका परिषद की साफ सफाई की पोल खोल कर रख दी है । सबसे खराब उस एरिया की जहां लगभग 35 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च करके प्राइवेट कंपनी से सफाई कराया जा रहा । बरसात में शहीद चौक में कभी पानी नही लगता था , पर इस साल लगा है , बापू भवन टाउन हॉल सड़क पर पानी लगा है , ऐसी कालेज चौराहा और बैरिया रोड तो सड़क कम तालाब ज्यादे दिख रही है । कलेक्ट्रेट के सामने पानी लगा है । कलेक्ट्रेट सभागार जहां 4 बजे से प्रदेश सरकार के मंत्री उपेन्द्र तिवारी जी समीक्षा बैठक कर रहे है , उसकी सड़क तालाब बनी हुई है । नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारी पालीथिन के लिये छापेमारी कर रहे थे और बरसात का पानी लोगो के घरों और दुकानों में घुस रहा था । इसके बावजूद नगर पालिका के किसी जिम्मेदार अधिकारी को अपने मातहतों को पानी की निकासी के लिये निर्देश भी देते हुए नही देखा गया । शहर का ऐसा कोई भी वार्ड नही है जहां पानी लगा हुआ न दिख रहा हो ।
अब तक का सबसे लाचार और उदासीन नगर पालिका प्रशासन
बलिया शहर को गद्धायुक्त , कीचड़युक्त ,जलभराव युक्त करने में जितना उदासीन वर्तमान प्रशासनिक तंत्र है उतना नगर पालिका के इतिहास में कभी नही था । चेयरमैन और सभासदों के आपसी खींचतान का नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारी खूब फायदा उठा रहे है । नगर पालिका वर्तमान समय मे खाला का घर बन गयी है । जिस विभाग को काम कराना होता है , सीधे काम शुरू कर दे रहा है । नगर पालिका की सड़कों की माँ बहन कर दे रहे है , लेकिन इनको रोकने वाला कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नही है । शहर की सड़कों की दुर्दशा करने में जल निगम का सीवर प्रोजेक्ट और बिजली विभाग की अंडर ग्राउंड केबलिंग कार्य मुख्य रूप से जिम्मेदार है । पहले बरसात के पहले शहरी क्षेत्र में नही होता था , लेकिन आज जब चाहे शुरू हो जा रहा है ,लगता है जैसे जनपद में नगर पालिका की सड़कों को टूटने से रोकने वाला कोई अधिकारी ही नही थी । पहले जो विभाग सड़को को तोड़ता था तो वही पुनः सड़क को बनवाता था या उसके लिये क्षतिपूर्ति धनराशि देता था और काम तबतक शुरू नही करता था जबतक उसको नगर पालिका से अनुमति न मिल जाये । लेकिन वर्तमान समय मे नगर पालिका का भगवान ही मालिक है ।