नगरा बलिया : पराली में आग लगाकर अपनी ही समृद्धि को नुकसान पहुंचा रहे है किसान : रमाकांत राम
नगरा बलिया : पराली में आग लगाकर अपनी ही समृद्धि को नुकसान पहुंचा रहे है किसान : रमाकांत राम
संतोष कुमार द्विवेदी
नगरा बलिया 6 जून 2019 ।। सरकार और न्यायालय द्वारा खेत में पराली जलाने पर पाबंदी लगाने के बावजूद क्षेत्र के किसान बड़े पैमाने पर गेंहू की पराली में आग लगाकर अपने उपजाऊ भूमि की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इससे न सिर्फ जमीन की उर्वरा शक्ति घट रही है, बल्कि सांस के मरीजों को भी बहुत दिक्कत हो रही है। आग से उठने वाले धुएं से वातावरण भी दूषित हो रहा है।
किसान अपने ही हाथों अपने खेतों को बर्बाद कर रहे हैं। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मददगार फसलों के बचे हुए अवशेषों को खेत में ही जला रहे हैं। इससे खेत को उपजाऊ बनाने में फायदेमंद केंचुए व जीवाणु भी मर रहे हैं। दरअसल किसान आधुनिक मशीनों से फसलों की कटाई करते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में फसलों के अवशेष खेत में ही बच जाते हैं। ऐसे में अधिकतर किसान जानकारी के अभाव में उसे खेत में जला रहे हैं। खेतों में आग लगाने से न सिर्फ जमीन की पैदावार प्रभावित हो रही है, बल्कि सांस के मरीजों को इससे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पराली जलने से निकलने वाले धुआं से पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ रहा है हवा में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। प्रशासन की तरफ से सख्ती न होने से किसान बेखौफ होकर खेत में ही पराली जला रहे हैं। गेंहू की फसल की कटाई के बाद से ही किसान पराली को खेत में ही जला रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना नहीं डाला जा रहा है। जबकि सरकार और न्यायालय द्वारा खेत में पराली जलाने पर जुर्माना का प्रावधान किया गया है। प्रशासन द्वारा सख्ती नहीं बरतने से किसानों के हौसले बुलंद हैं।
नगरा ब्लाक के सहायक विकास अधिकारी कृषि रमाकांत राम का कहना है पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। अगर कोई किसान पराली जलाते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कहे कि किसान पराली को आग न लगाकर उसकी खेत में जुताई कर उस पर यूरिया का छिड़काव कर दें तो वह बहुत जल्दी सड़ जाएगी और खाद बन जाएगी। इससे जमीन की उत्पादन क्षमता प्रभावित नहीं होगी और फसल को फायदा होगा।