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महामना मालवीय की कीर्ति बीएचयू , इसके यश को धूमिल करने पर लगे चिकित्सक :कोमा के मरीज को भेज दिये घर , बीएचयू में हो जाएगा इंफेक्शन इस लिये ले जाओ घर

महामना मालवीय की कीर्ति बीएचयू : इसके यश को धूमिल करने पर लगे चिकित्सक , कोमा के मरीज को भेज दिये घर , बीएचयू में हो जाएगा इंफेक्शन इस लिये ले जाओ घर

मधुसूदन सिंह

वाराणसी 3 जुलाई 2019 ।। जिलाधिकारी वाराणसी के आदेश , सीएमओ वाराणसी के द्वारा कहे जाने और पीएमओ कार्यालय वाराणसी के द्वारा स्पष्ठ रुप से बीएचयू में ही रखकर इलाज करने के आदेश को भी न मानते हुए बीएचयू के चिकित्सकों ने कोमा के मरीज राहुल यादव को तत्काल घर ले जाने के लिये परिजनों को कह दिये है । परिजनों के अनुसार डॉक्टर कह रहे है कि यहां आईसीयू में रखने पर अन्य मरीजो के आने से इंफेक्शन हो जायेगा , घर ले जाओ , मरीज घर पर ही ठीक हो जायेगा । बता दे कि मरीज की केवल अभी पुतलियां ही खुल रही है , मरीज बोल भी नही रहा है । यह सारा ड्रामा 1 जुलाई से शुरू हुआ है जब से परिजनों ने आयुष्मान भारत का कार्ड से इलाज करने की बात कही है । 4 जून से भर्ती मरीज राहुल का जबतक बाहर की दवा पैसे से खरीदी गई , डाक्टरो को इसकी सेहत ठीक नही दिखी । लगभग डेढ़ लाख से अधिक की नगदी दवा खरीदने के बाद जब कार्ड दिया गया तो ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों ने ड्रामा शुरू कर दिया । 2 जुलाई की रात में जिलाधिकारी वाराणसी से बलिया एक्सप्रेस के संपादक ने जब बात की तो संवेदनशील जिलाधिकारी ने रात के बारह बजे सीएमओ वाराणसी को मरीज का इलाज कराने का निर्देश दिये । सीएमओ वाराणसी के निर्देश पर कुछ दवा दी गयी । वही परिजनों द्वारा पीएमओ कार्यालय वाराणसी से भी मरीज को घर न भेजकर बीएचयू में ही रखकर इलाज करने का पत्र ट्रामा सेंटर प्रभारी को सौपा गया है , फिर भी आज मरीज को कोमा में होते हुए भी घर के लिये यह कहते हुए कि घर ले जाओ ऊपर वाला चाहेगा तो ठीक हो जाएगा , डिस्चार्ज करके बाहर कर दिये ।

   यह सारा खेल आयुष्मान भारत के कार्ड के कारण हुआ है । क्योंकि इससे इलाज होने पर दवाओं से कमीशन नही मिलता । प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के सपने को , गरीबो की जिंदगी बचाने की दृढ़ इच्छाशक्ति को , पीएम के ही संसदीय क्षेत्र के डॉक्टर असफल करने पर लगे हुए है । इस संबंध में ट्रामा सेंटर में कार्यरत आयुष्मान मित्र ललिता विश्वकर्मा से बात की गयी तो उनका कहना था कि मैंने भी इस मरीज के सम्बंध में घर भेजने के औचित्य पर कि जब मरीज बोल नही सकता है , चल फिर नही सकता है , घर क्यो भेजा जा रहा है तो मेडिकल स्टाफ ने कहा कि यह डॉक्टर का डिसीजन है , डॉक्टर के अनुसार मरीज ठीक है , कहा गया । अब सवाल यह उठ रहा है कि कोमा के मरीज के लिये बीएचयू सुरक्षित और आवश्यक जगह है कि गरीब मरीज का घर ? क्या मोदी जी की इस योजना का लाभ प्राइवेट अस्पतालों में ही मिलेगा , बीएचयू जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में नही ?
   बीएचयू में आयुष्मान भारत कार्ड वाले मरीजो के साथ ऐसी घटनाये होनी आम बात कही जा रही है । महामना की यह कीर्ति , कमीशन के फेर वाले डाक्टरो के चलते धूमिल हो रही है । अगर आज जैसी घटना पर रोक नही लगायी गयी तो लोगो से आयुष्मान भारत के कार्ड से विश्वास उठ जाएगा और लोग धरती के भगवान कहलाने वाले डाक्टरो को खुश करने के लिये उनके द्वारा लिखी गयी बाहरी दवाओं को खरीद कर इलाज कराएंगे क्योकि इससे भगवान को चढ़ावा मिल जाएगा ।
  साथ ही एक बात यह भी सामने आयी है कि बीएचयू के चिकित्सकों के आगे पीएमओ की चिट्ठी , जिलाधिकारी और सीएमओ के निर्देश के कोई मतलब नही है ।

मंगलवार को प्रकाशित खबर 

बीएचयू मे आयुष्मान भारत के मरीज का इलाज नही , कोमा में मरीज, पर डॉक्टर कह रहे है यहां नही होगा इलाज 
मधुसूदन सिंह


वाराणसी 2 जुलाई 2019 ।। पीएम मोदी लाख कहे कि आयुष्मान भारत के कार्ड से गरीबो का इलाज बड़े अस्पतालों में मुफ्त होगा और गरीब की जिंदगी बच जाएगी , लेकिन पीएम की इस सोच को पीएम के संसदीय क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल बीएचयू के डॉक्टर ही पलीता लगाकर फेल करने पर तुले हुए है । जी हां यह सोलह आने सच्ची बात है , डॉक्टरों के नशों में कमीशन का खून इतना भर चुका है कि उनको किसी की जिंदगी रहे चाहे चली जाय इससे कोई मतलब नही है ।
      बलिया में सड़क हादसे में घायल होने के बाद कोमा में चल रहे मरीज राहुल यादव( लगभग 18 वर्ष) पुत्र छोटेलाल यादव निवासी रामपुर उदयभान जनपद बलिया के साथ यह घटना घटित हो रही है । 4 जून से यह मरीज बीएचयू के ट्रामा सेंटर में कोमा की हालत में भर्ती है । मरीज के साथ रह रहे तिमादार भाई धर्मेंद्र यादव और माता राजवातो की माने तो  डॉक्टरों के कथनानुसार दवाई जब तक बाहर से खरीद कर लायी गयी तो कोई परेशानी नही हुई लेकिन 1 जुलाई 2019 को जब हम लोगो ने आयुष्मान भारत का कार्ड डॉक्टर को दिया तो डॉक्टर भड़क गये और मरीज को घर ले जाने का दबाव डालने लगे ।कह रहे है कि अगर पैसा नही था तो क्यो चले आये यहां ? हमारा मरीज 4 जून से ही कोमा में है और हम लोग सरकारी अस्पताल को छोड़कर कहां जाये ? अगर इन लोगो को रेफर ही करना था तो पहले क्यो नही किये ? अब तक हमारा लगभग डेढ़ लाख खर्च कराने के बाद क्यो यह बात कही जा रही है ? कहा कि मोदी जी तो कहते है कि अब किसी गरीब की जान नही जाएगी , तो हमारे लड़के का इलाज बीएचयू में क्यो नही होगा ? क्या बीएचयू में सिर्फ पैसे से ही इलाज होगा ,आयुष्मान भारत के कार्ड से नही ? मरीज का इलाज ट्रामा सेंटर के बेड संख्या 6 , 3rd फ्लोर पर चल रहा है । जिन डॉक्टरों ने स्टाफ नर्स आदि को इलाज करने से मना किया है उनके नाम है , डॉ राहुल कुमार और डॉ अमित कुमार ।