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धन्य है बलिया में पुलिसिंग : एडीजी के आदेश के बाद भी पत्रकार के घायल पिता का 12 घंटे बीत जाने के बाद भी नही कराया इलाज, एसओ सिकंदरपुर को नही है किसी की परवाह

धन्य है बलिया में पुलिसिंग : एडीजी के आदेश के बाद भी पत्रकार के घायल पिता का 12 घंटे बीत जाने के बाद भी नही कराया इलाज, एसओ सिकंदरपुर को नही है किसी की परवाह

बलिया 20 अक्टूबर 2019 ।। 
                              इसको कहते है थानेदारी ,
                            न कोई सुनवाई ,न तिमादारी
       जी हां , सिकंदरपुर थानेदार को यही है बीमारी ।।
बलिया जनपद का सिकंदरपुर थाना आजकल खूब चर्चा में है । चर्चा एसओ बालमुकुंद मिश्र जी की कार्यशैली के कारण है । साहब किसी भी विवाद का हल विभागीय सहयोगियों से राय मशविरा की जगह सजातीय बाहरी सहयोगी की सलाह  से करते है । अगर इसकी सच्चाई जाननी हो तो इनके साथ अधिकतम समय बिताने वाले व्यक्ति की वीडियो फुटेज निकालकर देखी जा सकती है । साहब के लिये उच्चाधिकारियों का आदेश , मानवता का तब तक कोई मतलब नही है जबतक इनका  बाहरी सहयोगी अपनी सहमति न दे दे । शनिवार की घटना में ही देखिये , शाम के समय पत्रकार गोपाल जी के पिता जी और स्वयं गोपाल जी को पहले पट्टीदारों द्वारा गाली गलौज किया जाता है , फिर मारापीटा जाता है । पत्रकार द्वारा इलाकाई पुलिस को सूचित करके पुलिस बुलायी जाती है , थाने पहुंचकर तहरीर दी जाती है लेकिन धन्य है महान थानाध्यक्ष सिकंदरपुर जिन्होंने न तो तहरीर के आधार पर मुकदमा पंजीकृत किया , न ही दोनों घायल लोगो की चोट को देखते हुए अस्पताल ही पहुंचाया । जब रात में 11 बजे एडीजी जोन वाराणसी महोदय के यहां शिकायत हुई तो वहां से सम्मयक कार्यवाही करने का ट्यूटर के माध्यम से आदेश आया । पर इस आदेश पर सम्मयक कार्यवाही यह हुई कि घायल व्यक्ति को रातभर थाने में बैठाया गया लेकिन दर्द से छुटकारा दिलाने के लिये एक टैबलेट तक नही दिया गया । यह सब इस लिए हुआ कि इसमें एक पक्ष पत्रकार है । लगता है यूपी पुलिस पत्रकारों की विधिवत सुरक्षा में लग गयी है ?

  सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक एसओ साहब दोनो पक्षो में सुलह समझौता कराने के लिये प्रयासरत है । खबर लिखे जाने तक भी घायल का इलाज कराने के लिये अस्पताल नही भिजवाया गया था ।