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बड़ा खुलासा : एनएचएम (यूपी)में हो रहा है वेतन घोटाला , नही है कोई रोकने वाला, जिसकी जितनी पहुंच उतना ले रहा है वेतन , डीसीपीएम डीपीएम डीएएम(डैम) के वेतनों में घोटाला, 2008 की गणना के आधार पर भेजा जाने वाला बजट बना सहायक

बड़ा खुलासा : एनएचएम (यूपी)में हो रहा है वेतन घोटाला , नही है कोई रोकने वाला, जिसकी जितनी पहुंच उतना ले रहा है वेतन , डीसीपीएम डीपीएम डीएएम(डैम) के वेतनों में घोटाला, 2008 की गणना के आधार पर भेजा जाने वाला बजट बना सहायक
मधुसूदन सिंह की विशेष रिपोर्ट

बलिया 9 अक्टूबर 2019 ।। अपने जन्म से ही हमेशा भ्रष्टाचार के लिये विवादों में रहने वाले एनएचएम ( पहले एनआरएचएम था) का लगता है भ्रष्टाचार से वैसे ही सम्बन्ध है जैसे शरीर का आत्मा से । जैसे आत्मा के बगैर शरीर का कोई अस्तित्व नही है वैसे ही यह बात सत्य है कि भ्रष्टाचार के बिना एनएचएम का कोई अस्तित्व ही नही दिखता है । इसमें हुए भ्रष्टाचार के कारण ही इसको कालिख की कोठरी कहते है । इसमें दवाओं की फर्जी खरीद सप्लाई की तो खबरे तो आप लोगो ने खूब सुनी और पढ़ी होगी पर आज आप लोगो को इस राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को चलाने वाले साहबो के द्वारा वर्षो से की जा रही ऐसे गबन की कहानी से पर्दा उठाने जा रहा हूँ जिससे आप लोगो की भी आंखे फटी की फटी रह जायेगी । आज मैं इस मिशन को जनजन तक पहुंचाने वाले साहबों के द्वारा कैसे वेतन के रूप में प्रतिमाह घोटाला किया जा रहा है उसका खुलासा कर रहा हूँ ।
कैसे हो रहा है वेतन के मद में घोटाला
  राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को संचालित करने के लिये जिला स्तर पर तीन बड़े पद सृजित करके उसपर नियत प्रतिमाह के मानदेय पर तीन अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति की गयी है । ये तीन पद है - डीपीएम, डैम और डीसीपीएम । इनके नीचे ब्लाक स्तर पर भी बीपीएम, बैम और बीसीपीएम की नीयत मानदेय पर नियुक्ति की गयी है । इन लोगो को नियत वेतनमान पर प्रति वर्ष 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दी जाती है और जिन लोगो ने लगातार 3 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है उनको 10 प्रतिशत लायल्टी बोनस एक बार दिया जा रहा है । इससे जो पहले इस मिशन से जुड़े उनको ज्यादे और जो बाद में जुड़े उनको कम मानदेय मिलना चाहिए जैसा कि स्थायी कर्मचारियों में भी होता है । बता दे कि आज भी जनपदों में एनएचएम से मद का आवंटन 2008 के आवंटन के आधार पर ही होता है , इस मद में कार्यरत कर्मियों का वेतन भी सम्मिलित है , फर्क बस इतना है कि वेतन के लिये कितना मद है इसका विवरण नही होता है , न ही यह होता है कि कौन कर्मी वरिष्ठ है  कौन कनिष्ठ , कितने अब तक कार्यरत है कितनो ने छोड़ दी नौकरी । अब इसी बात का फायदा उठाकर वेतन के रूप में करोड़ो का प्रतिमाह 2008 से ही घोटाला चल रहा है । घोटाले की वजह इन लोगो द्वारा एक पद एक वेतन को आधार बनाकर किया जा रहा है । अपनी बात को साबित करने के लिये मैं गाजियाबाद से स्थानांतरित होकर 24 अप्रैल 2019 से बलिया में कार्यरत डीसीपीएम पुष्पेंद्र सिंह शाक्य के द्वारा वेतन मद से किये जा रहे घोटाले को प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
श्री शाक्य की डीसीपीएम पद पर 23 जनवरी 2015 को रुपये 26650.00 मात्र के नियत मानदेय पर हुई थी लेकिन श्री शाक्य अपनी चतुराई से नियुक्ति के उपरांत से ही 26650 कि जगह 29300 रुपये वेतन के रूप में आहरित करके गबन शुरू कर दिया । इनके द्वारा अबतक स्वयं के वेतन मद में रुपये 216281.00 का घोटाला किया जा चुका है । इसकी शिकायत मिशन निदेशक लखनऊ तक उचित माध्यम के द्वारा की जा चुकी है । सब से हैरान करने वाली बात यह है कि श्री शाक्य चाहे मैनपुरी रहे हो या गाजियाबाद इन्होंने स्वयं गबन करने के वावजूद उच्चाधिकारियों को चैन से बैठने नही दिये । हम तो इनका धन्यवाद ज्ञापित कर रहे है कि इनका उच्चाधिकारियों से अगर विवाद नही होता तो प्रतिमाह हो रहे करोड़ो के गबन का राज नही खुलता ।
श्री शाक्य द्वारा किये गये वेतन घोटाले को मिशन निदेशक को भेजा गया विवरण निम्न है --
श्री शाक्य को वित्तीय वर्ष 2014-15 में मिलना था 79950 पर इन्होंने भुगतान लिया 87900 यानी 7950 रुपये का घोटाला । वित्तीय वर्ष 2015-16 में मिलना था 322465 ले लिये 369180 यानी 46715 का घोटाला, 2016-17 में मिलना था 351600 ले लिये 387636 यानी घोटाला 36036 का, 2017-18 में लेना था 369180 ले लिये 417193 यानी घोटाला 48013 का , 2018-19 में मिलना था 424557 ले लिये 479772 यानी 55215 का घोटाला, 2019-20में जुलाई तक लेना था 148596 ले लिये 170948 यानी 22352 का घोटाला । इनके द्वारा शायद ही छुट्टी ली जाती है । 1 अप्रैल 2019 को इनको एकतरफा कार्यवाही करते हुए बलिया के लिये गाजियाबाद से रिलीव कर दिया गया इसके बावजूद ये 24 अप्रैल को बलिया अपना योगदान दिये । 18 दिन गैरहाजिर रहने के वावजूद भी इनके द्वारा बलिया में पूरे माह का वेतन आहरित किया गया है ।
 जब एक अधिकारी अपने वेतन मद से इतना घोटाला कर सकता है तो अंदाजा लगाइये कि प्रदेश के 75 जनपदों में कितना घोटाला वेतन के मद में ही हो रहा होगा । बता दे कि सीएमओ गाजियाबाद के दिनांक 27 मई 2019 को हस्ताक्षरित अंतिम वेतन/मानदेय प्रमाण पत्र के आधार पर श्री शाक्य को बलिया में 39006 और 5 प्रतिशत बोनस यानी 40956 रुपये वेतन मिलना चाहिये पर इन्होंने यहां आते ही 42737 रुपये वेतन के रूप में आहरण शुरू कर दिया है यानी दो बार बोनस लिये ।

2008 से कार्यरत कर्मियों के साथ भेदभाव
  एनएचएम के नये नियम के अनुसार 3 साल नियमित सेवा पूर्ण करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों को 10 प्रतिशत लायल्टी बोनस तो दिया जा रहा है परंतु जो कर्मी इससे ज्यादे दिनों यानी 2008 से ही कार्यरत है उनके लिये कोई भी अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि नही है जिससे ऐसे लोगो मे कुंठा व्याप्त है ।