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बलिया : 21 अक्टूबर- विश्व आयोडीन अल्पता दिवस पर विशेष : बुद्धि का विकास आयोडीन के साथ, आयोडीन का साथ दे सभी विकारों को मात ,आयोडीन युक्त नमक अपनाओ घेंघा बीमारी को भगाओ

21 अक्टूबर- विश्व आयोडीन अल्पता दिवस पर विशेष :
बुद्धि का विकास आयोडीन के साथ, आयोडीन का साथ दे सभी विकारों को मात,आयोडीन युक्त नमक अपनाओ घेंघा बीमारी को भगाओ

बलिया, 20 अक्टूबर 2019 ।। आयोडीन की अल्पता से विकार (आयोडीन डिफ़ीसिएन्सी डिसऑर्डर, आईडीडी) को दुनिया भर में प्रमुख पोषण संबंधी विकारो में से एक माना गया है जिसकी रोकथाम के लिए हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जनसमुदाय के बीच जागरूकता पैदा करना और आयोडीन की कमी के परिणामों को उजागर करना है। आंकड़ों की बात जाए तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (एनएफएचएस-4) के अनुसार बलिया जिले में 92.9 प्रतिशत ऐसे परिवार हैं जो आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं जिसमें ग्रामीण इलाकों के 92.3 प्रतिशत परिवार हैं। वहीं पूरे उत्तर प्रदेश में कुल 93.7 प्रतिशत परिवार आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं जिसमें ग्रामीण इलाकों के 97.3 प्रतिशत और शहरी इलाकों के 92.4 प्रतिशत परिवार आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लगभग 54 देशों में अभी भी आयोडीन की कमी है। आयोडीन की कमी की वजह से आज के परिदृश्य में दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी को आयोडीन अल्पता विकार से पीड़ित होने का खतरा है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित वर्ष 2009 के एक शोध के अनुसार भारत में हर साल लगभग 90 लाख गर्भवती महिलाओं, 80 लाख नवजात शिशु एवं 76 लाख बच्चों को आयोडीन अल्पता विकार का खतरा होता हैं।  इसी को ध्यान में रखते हुये भारत दुनिया भर के देशों में से पहला एक ऐसा देश हैं, जिसने आयोडीन युक्त नमक द्वारा आयोडीन की कमी से उत्पन्न विकारों को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया, ताकि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारो से लोगों को बचाया जा सकें। 
कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ केडी प्रसाद ने बताया राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हर साल इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारो के प्रति लोगो में जागरूकता लाई जा सके, क्योंकि आयोडीन युक्त नमक न खाने की वजह से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक जाता है। उन्होने बताया कि इस तरह की समस्याओं की रोकथाम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम और आशा कार्यकर्ता प्रचार-प्रसार सामाग्री के माध्यम से लोगों को आयोडीन युक्त नमक खाने के लिए प्रेरित करेंगी जिससे आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से बचाया जा सकें।
डॉ केडी प्रसाद ने बताया कि इस दिवस प्राथमिक एवं जूनियर स्कूलों में ‘आयोडीन युक्त नामा के उपयोग एवं क्यों खाना आवश्यक है’ पर बच्चों को जानकारी दी जाएगी। साथ ही बच्चों को आशाओं द्वारा आयोडीन की मात्रा जांच साल्ट टेस्टिंग किट्स के माध्यम दिखाई जाएगी। इसके 21 से 30 अक्तूबर तक साप्ताहिक गतिविधियों में सेमिनार, कार्यशाला, स्वास्थ्य शिविर एवं स्कूली बच्चों में कार्यक्रम से संबन्धित निबंध लेखन, स्लोगन लेखन, चित्र बनाना आदि का आयोजन किया जाएगा। 
क्या है आयोडीन- 
नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो मानव विकास और बढ़त के लिए आवश्यक है, जिसकी शरीर को विकास एवं जीने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। आयोडीन का एक फायदा यह है कि यह थायराइड ग्रंथियों की सुचारु रूप से काम करने में मदद करता हैं और यह ग्रंथिया थाइराइड के हार्मोन्स छोड़ती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिक स्तर नियंत्रित रहता है और यह मेटाबॉलिक स्तर शरीर के कई अंगो की कार्यशीलता को प्रभावित करता है जैसे- खाने को पचाने, भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने तथा सोने के चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। इसके अलावा आमतौर पर सामान्य विकास और बढ़त के लिए लगभग 100-150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है और इस आवश्यकता की पूर्ति न होने पर व्यक्ति कई विकारों का शिकार भी बन सकते हैं।
आयोडिन की कमी से विकार
घेंघा रोग बच्चेह मंदबुद्वि, शारीरिक रूप से कमजार, गूंगे-बहरे अथवा अपंग, महिलाओं में गर्भपात की स्थिति, मृत बच्चा पैदा होना, मानसिक विकलांगता, वयस्कों  में ऊर्जा की कमी, जल्दी  थकावट आदि विकार हो सकते हैं।
आयोडीन नमक रोजाना प्रयोग करने से लाभ-
आयोडिन की पूर्ति नियमित रूप से आयोडिन युक्ता नमक के सेवन से हो सकती है। आयोडीन युक्त नमक रोजाना इस्तेमाल करने से तेज दिमाग, स्वस्थ एवं ऊर्जा से भरपूर शरीर और कार्य क्षमता में भी बढ़ोतरी होती हैं। गर्भवती महिलाओं द्वारा आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल करने से गर्भपात की समस्या भी नहीं होती है और स्वस्थ बच्चे का जन्म होता हैं। इसके अलावा गर्भ में शिशु का शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण विकास भी होता हैं।