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बछड़ो, सांडों के दम पर राजस्व वसूली में रिकार्ड कायम करेगा बलिया का ददरी मेला,दो दिनों में मेले में बछड़ो और घोड़ो की हुई बड़ी संख्या में इंट्री,गोवंश जानवरो के तस्करी का कही सर्टिफाइड मेला तो नही बनता जा रहा है ददरी मेला ?

बछड़ो, सांडों के दम पर राजस्व वसूली में रिकार्ड कायम करेगा बलिया का ददरी मेला,दो दिनों में मेले में बछड़ो और घोड़ो की हुई बड़ी संख्या में इंट्री,गोवंश जानवरो के तस्करी का कही सर्टिफाइड मेला तो नही बनता जा रहा है ददरी मेला ?
मधुसूदन सिंह


बलिया 30 अक्टूबर 2019 ।। न कही हल से हो रही है जुताई न बुआई , फिर मेले में गोवंशीय बछड़ो और सांडो का भारी संख्या में आना और बिकने का सिलसिला शुरू होना कही न कही इस शंका को जन्म तो दे ही रहा है कि आखिर इनको खरीदने वाले खरीदार कौन है ? कही  गोकशी करने वालो के लिये सर्टिफाइड केंद्र तो नही बन गया है ददरी मेला ? यह ज्वलंत सवाल बलिया में चर्चाएं खास होता जा रहा है । बता दे कि योगी सरकार प्रदेशभर में निराश्रित पशुओ के लिये आश्रय स्थल बनाकर रहने खाने की व्यवस्था कर रखी है । वही गोवंशीय जानवरो की तस्करी पर कड़ाई से रोक लगा रखी है । ऐसे में गोवंशीय जानवरो को स्लाटर हाउस तक ले जाने वाले तस्करो को काफी मुश्किल हो रही है । ऐसे में इन तस्करो को अपना कारोबार करने के लिये ददरी मेला सुरक्षित केंद्र बन गया है । कारण कि इस मेले से बेचे गये पशु के लिये नगर पालिका बलिया एक रसीद देती है जिसके कारण प्रशासनिक /पुलिस अधिकारी भी कुछ नही कर सकते है । यही रसीद इन तस्करो की ढाल बन रही है और धड़ल्ले से इस मेले से बछड़ो और सांडो की तस्करी शुरू हो गयी है । बता दे कि ददरी मेला के दक्षिण में गंगा नदी बहती है जिनके दूसरे किनारे पर बिहार राज्य की सीमा शुरू हो जाती है , जहां गोवध निरोधकअधिनियम /कानून लागू नही है । इसी का फायदा उठाकर गोमांस की तस्करी करने वाले ददरी मेला से बछड़ो /सांडों को एक दो की संख्या में गंगा नदी पार कराकर बिहार की सीमा में इकट्ठा कर रहे है और वही से ट्रकों के माध्यम से स्लाटर हाउसों को भेज रहे है ।
  सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब बछड़ो से खेती बाड़ी का कोई काम अब हो ही नही रहा है तो इनको मेले में कौन खरीद रहा है ? क्या किसी ने उनकी पड़ताल की है ? क्या ददरी का ऐतिहासिक सांस्कृतिक व धार्मिक मेला गोवंशीय जानवरो के मांस के सौदागरों का सुरक्षित चारागाह सिर्फ राजस्व प्राप्ति के लिये बने , यह ठीक है ? यह सोचना बलिया के आम नागरिकों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को है , क्योकि नगर पालिका आजकल जिनके हाथों में है उनको सिर्फ राजस्व चाहिये ?