नईदिल्ली : सीबीडीटी ने दी राहत : रिटर्न भरने के ज्यादेतर मामले अब नही माने जाएंगे आपराधिक , जाने क्या हुआ है नियमो में बदलाव
सीबीडीटी ने दी राहत : रिटर्न भरने के ज्यादेतर मामले अब नही माने जाएंगे आपराधिक , जाने क्या हुआ है नियमो में बदलाव
नईदिल्ली 12 अक्टूबर 2019 ।। टैक्स चुकाने से जानबूझकर बचने और टैक्स रिटर्न नहीं भरने के ज्यादातर मामलों को अपराध नहीं माना जाएगा। यानी, ऐसा करने वालों पर आपराधिक धाराओं के तहत कार्रवाई नहीं होगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि 25 लाख रुपये तक टीडीएस यानी आमदनी के स्रोत पर टैक्स कटौती को सरकारी खजाने में जमा कराने में अगर 60 दिन तक की देरी होगी तो सामान्य परिस्थितियों में दंडित किए जाने की प्रक्रिया नहीं होगी। हालांकि, आदतन चूक करने वालों पर शिकंजा जरूर कसा जाएगा, लेकिन इसके लिए भी दो चीफ कमिश्नरों या इनकम टैक्स के डीजी की मंजूरी जरूरी होगी। टैक्स से जुड़े मुकदमों की संख्या घटाने के मकसद से हाल में ऐसे फैसले लिए गए हैं।
3 महीने से सात साल की सजा का प्रावधान
इससे पहले एक मामले में मई में बॉलिवुड प्रड्यूसर फिरोज नाडियावाला सुर्खियों में थे। दरअसल 8.56 लाख रुपये टीडीएस देने में देरी की वजह से मुंबई मैजिस्ट्रेटकोर्ट ने उन्हें 3 महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
ऐसा इसलिए क्योंकि टीडीएस की सही धनराशि अगर सही समय पर जमा नहीं कराई जाती है तो इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 276बी के तहत 3 महीने से लेकर 7 साल की सजा का प्रावधान है। देश में ऐसी अधिकतर सजा मैजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दी जाती है।
कम्पाउंडंग ऐप्लिकेशन फाइलिंग में 12 महीने की राहत
सीबीडीटी ने आईटी रिटर्न में इनकम छुपाने से जुड़े अपराध पर भी अभियोजन मानदंडों में छूट दी है। अगर 25 लाख या उससे कम इनकम की राशि को छिपाया गया है तो तब तक ऐसे मामलों को नहीं उठाया जाएगा जब तक कॉलेजियम की मंजूरी नहीं मिल जाती। आईटी ऐक्ट ने आईटी रिटर्न फाइल न करने पर मुकदमा चलाने के लिए 10 हजार रुपये की सीमा निर्धारित की थी। साथ ही नॉन फाइलिंग पर सश्रम 7 साल जेल की सजा हो सकती है।
सोमवार को जारी एक दूसरे नोटिफिकेशन में सीबीडीटी ने कम्पाउंडिंग ऐप्लिकेशन फाइल करने के लिए 12 महीने की राहत दी है। यह एक बार का उपाय है और कम्पाउंडिंग अथॉरिटी के साथ दिसंबर के आखिर से पहले इसे फाइल करना जरूरी है।
(साभार ईटी)