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प्रतापगढ़ : सीओ पट्टी ने गरीबों के साथ मिलकर मनाई दीवाली,गरीब बच्चों में बांटी मिठाई और पटाखे

सीओ पट्टी ने गरीबों के साथ मिलकर मनाई दीवाली,गरीब बच्चों में बांटी मिठाई और पटाखे


बलिया एक्सप्रेस 28 अक्टूबर 2019 ।। अधिकतर मौकों पर गरीब और गरीबी की बात, इनके उत्थान की बात ,इनके नाम पर आयोजित पार्टियां पंचतारा होटलो में ही होती देखी जाती है । गरीबी के नाम पर गरीबो की फोटो करोड़ो में बिकती है , और वही पेंटिंग खरीदने वाले साहब दरवाजे पर एक रुपये के लिये खड़े गरीब को दुत्कारते हुए अंदर चले जाते है । बहुत दिनों पहले एक हिंदी फिल्म "नाम" आयी थी जिसमे उपरोक्त भावो को दर्शाने वाला एक गीत था जो आज भी प्रसिद्ध है --अमीरों की शाम गरीबो के, इसी बात तुमको मेरा सलाम.... । मगर इस बार की दीपावली में इसके ठीक उलट मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत एक नौजवान पुलिस अधिकारी के कृत्य ने गोपालदास नीरज की कविता को आत्मसात करते हुए एक उत्कृष्ट आचरण का उदाहरण पेश करके गरीबो के घरों में दीवाली की सचमुच खुशियां पहुंचा दी । वास्तव में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के पट्टी कस्बे के कुम्हिया में सीओ पट्टी नवनीत कुमार" नायक" ने वास्तव में अपने नाम मे लगे नायक शब्द को चरितार्थ करते हुए इस मुहल्ले के गरीब लोगों और बच्चों के साथ दीवाली मनाकर सही अर्थों में दीवाली मनायी । कई दशक पहले हिंदी साहित्यक के महान हस्ताक्षर गोपालदास नीरज ने एक गीत लिखा था जो आज भी प्रासंगिक है । जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना ........, इस गीत में लिखी --
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,

मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,
भले ही दिवाली यहाँ रोज आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
      इन पंक्तियों को लगता है सीओ पट्टी ने अपना आदर्श बनाकर दीवाली को मनाने का संकल्प लिया ।
  रोहित जायसवाल नामक पत्रकार द्वारा इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया । खबर के अनुसार
सीओ पट्टी नवनीत कुमार नायक ने सराहनीय पहल की है। रविवार को उन्होंने पट्टी कस्बे के कुम्हिया मोहल्ले में पुलिसकर्मियों के साथ दीवाली कुछ अलग अंदाज में मनाई। सीओ के साथ पट्टी थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह व पुलिसकर्मियों ने गरीबों व असहायों के साथ दीवाली मनाकर इसकी खुशियां साझा की।
  पुलिस अचानक किसी के घर पहुंच जाए तो लोग सहम जाते हैं, लेकिन इस दिवाली नजारा कुछ और ही रहा। परिजनों से दूर सीओ पट्टी के साथ पुलिस की टीम जब गरीबों के घर दिवाली मनाने पहुंची तो लोगों की खुशी दोगुनी हो गई। पुलिसकर्मियों ने अपनी ड्यूटी निभाने के साथ गरीबों के बीच खुशियां भी बांटी। क्षेत्र की झुग्गी झोपड़ियों में जाकर बच्चों को पटाखे, मिठाईयां, मोमबत्ती आदि वितरित की। पुलिस कर्मियों ने मिठाई और पटाखे दिए तो बच्चों के चेहरे चमक गए। खाकी की इस नई पहल की सभी ने सराहना की और गरीब अपने बीच खाकी को देखकर खुशी से झूम उठे। सीओ ने कहा कि दीपावली सर्व समाज के लोगों के लिए खुशियों का त्योहार है। ऐसे में पुलिस की ओर से असहाय लोगों के साथ मिलकर त्योहार मनाने का निर्णय बेहद खुशनुमा पल है। एसएसआई सुरेश सैनी, कांस्टेबल अखिलेश मिश्रा, राजेंद्र तिवारी, मो. नजीर आदि मौजूद रहे।

गोपालदास नीरज द्वारा रचित कविता

जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,
उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,
ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,
भले ही दिवाली यहाँ रोज आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,
नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,
उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,
नहीं कर सकेंगे ह्रदय में उजेरा,
कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब,
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।