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लखनऊ :विधानसभा उप-चुनाव: यूपी में नहीं दिखी मतदाताओं में दिलचस्पी, राजनेताओ के माथे पर आयी शिकन !

विधानसभा उप-चुनाव: यूपी में नहीं दिखी मतदाताओं में दिलचस्पी, राजनेताओ के माथे पर आयी शिकन !
ए कुमार

लखनऊ 21 अक्टूबर 2019 ।। यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर आज शांतिपूर्ण ढंग से मतदान सम्पन्न हो गया। इस दौरान कुछ जगहों पर ईवीएम खराब होने की शिकायत मिली, जिसे तुरन्त ठीक कर दिया गया। चुनाव आयोग के अनुसार इन 11 सीटों पर हुए चुनाव में 47.05 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे कम मतदान लखनऊ कैण्ट का रहा जहां केवल 28.53 प्रतिशत ही मतदान हुआ। अभी कुछ माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में इन सीटों का 51 प्रतिशत वोट पड़े थे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सबसे अधिक मतदान सहारनपुर की गंगोह सीट पर हुआ जहां मतदाताओं ने 60 प्रतिशत मतदान किया, वहीं सबसे कम वोट का प्रतिशत लखनऊ कैण्ट का रहा, जहां 28. 53 प्रतिशत ही मतदान हो सका। रामपुर में सपा सांसद आजम खान के घर के पास फर्जी बूथ एजेंट पकड़े जाने की बात सामने आने के बाद पुलिस ने पहुंचकर सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ की। बताया जा रहा है कि इस दौरान कुल 7 फर्जी पोलिंग एजेंटो को हिरासत में लेकर उन पर कानूनी कार्रवाई की गयी। वहीं रजा डिग्री कॉलेज के पास एक महिला और एक पुरुष फर्जी पोलिंग एजेंट को हिरासत में लिया गया है। इसके साथ ही अन्य विधानसभा क्षेत्रों में हुए मतदान में रामपुर में 44 प्रतिशत, इगलास सु 36.20, गोबिन्दनगर 32. 60, मानिकपुर 52.10, प्रतापगढ 44.00 जैदपुर सु 58.00, जलालपुर 58.00 बलहा सु 52.00 तथा घोसी 51.00 प्रतिशत मतदान हुआ। अगर इन सीटों पर हुए 2012 और 2017 में हुए विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो गंगोह सीट पर 2012 में 72.22, 2017 में 71.92, रामपुर में 2012 में 54.55 , 2017 में 56.16, इगलास सु में 2012 में 61.72 , 2017 में 64.88, लखनऊ कैण्ट में 2012 में 50.56, 2017 में 50.77,गोबिन्दनगर में 2012 में 49.21 , 2017 में 52.48, मानिकपुर 2012 में 60.18 , 2017 में 59.44, प्रतापगढ 2012 में, 2017 में 55.56, जैदपुर 2012 में 66.36 , 2017 में 69.71, जलालपुर 2012 में 61.70, 2017 मे 62.55, बलहा 2012 में 60.97 , 2017 में 57.83 तथा घोसी 2012 में 59.59, 2017 में 58.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके साथ ही आपको बता दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 11 विधानसभा सीटों में से आठ पर भारतीय जनता पार्टी और एक-एक पर सपा, बसपा और भाजपा के सहयोगी अपना दल के विधायक जीते थे। इन 11 विधानसभा सीटों में घोसी को छोड़कर बाकी सभी सीटें विधानसभा सदस्यों के इस्तीफा देने की वजह से खाली हुई थी। जिनके कारण यहां चुनाव कराना पड़ा। जबकि घोसी सीट इस पर चुने गए विधायक फागू सिंह चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने के कारण चुनाव कराना पड़ा। इस बार के हुए इन उप चुनावो में मतदाताओं की बेरुखी से बड़े बड़े दांवे करने वाले राजनेताओ के माथो पर बल पड़ गये है । चुनावी समीकरणों की समीक्षा करने वाले पंडितो की गणना इस उदासीनता को ढूंढने में लगी हुई है । समीक्षकों की माने तो कमलेश तिवारी हत्याकांड कोई न कोई गुल जरूर खिलायेगा ।