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बलिया : श्वेतांक सिंह व आशीष त्रिवेदी की कविताओं का पाठ व परिचर्चा के साथ शुरू हुआ भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक मंच का हस्ताक्षर कार्यक्रम

 श्वेतांक सिंह व आशीष त्रिवेदी की कविताओं का पाठ व परिचर्चा के साथ शुरू हुआ भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक मंच का हस्ताक्षर कार्यक्रम

 बलिया 13 अक्टूबर 2019 ।। भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक मंच के नियमित हस्ताक्षर कार्यक्रम की पहली कड़ी के तहत जनपद के दो नवोदित युवा कवियों आशीष त्रिवेदी और श्वेतांक सिंह  की कविताओं पर पाठ एवं उस पर परिचर्चा  कार्यक्रम  का आयोजन 13 अक्टूबर को दिन में 1 बजे से अमृत पब्लिक स्कूल अमृतपाली बलिया में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर यशवंत सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सामाजिक मूल्यों और संवेदनाओ के क्षरण को रेखांकित करते हुए अपने कटाक्ष में कहा कि हम एक संवेदनहीन समाज में जी रहे हैं, जिसमें मानवीय मूल्य लगातार ध्वस्त हो रहे हैं, ऐसे में दो  युवा रचनाकारों द्वारा कविता के माध्यम से उन मूल्यों के पक्ष में खड़ा होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है । प्रो सिंह ने कहा कि कविता में रचनात्मक तटस्थता जरूरी है और तटस्थता रचनात्मक प्रहार के लिए आवश्यक मोर्चाबंदी भी है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि श्वेतांक की रचनाएं वैचारिक प्रतिबद्धता के बावजूद तुलनात्मक रूप से ज्यादा तटस्थ लगती है और आशीष त्रिवेदी की रचनाओं में अपेक्षित साहस की अधिकता है और प्रहार मूलक  अधिक है, जो  आज के समय की बड़ी आवश्यकता है । इन दोनों में रचनात्मक विवेक मौजूद है। अपेक्षित संवेदनाएं अपने चरम पर है।इनकी कविताएँ इस बात से इंकार करती हैं कि कविताएं अभिधा में नहीं लिखी जा सकती । इन दोनों में हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर होने की सारी संभावनाएं मौजूद हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में आमंत्रित कवियों ने अपने अपने आत्मकथ्य से की। श्वेतांक  ने अपने आत्मकथ्य में कहा कि साहित्य को सर्वाधिक रचनात्मक संवेदनशील और सर्वकालिक प्रतिपक्ष मानता हूं। उन्होंने  "बापू को आज भी देख सकते हो ", हिंदी में हस्ताक्षर ,कुदाल ,चुनाव, समझना होगा, खिड़की से कलकाता ,एक दिवाली दिन में थी, शायद, इसलिए मैं कवि हूं, ऐसा क्यों, शब्द इत्यादि कविताओं का पाठ किया । इस कार्यक्रम के दूसरे आमंत्रित कवि एवं रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने काव्य पाठ की शुरुआत में अपने आत्म कथ्य में कहा कि कविता आदमी होने की तमीज सिखाती है। कविता का जीवन में होना इंसानियत को बचाए रखना है । उन्होंने सांवली लड़की, यत्र तत्र सर्वत्र, साहेब, गांव की यादें, आत्महत्या, जंगल इत्यादि ग्यारह महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया।काव्य पाठ के के बाद दोनों कवियों की कविताओं पर केंद्रित परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए डॉ जैनेंद्र पांडेय ने पाश्चात्य एवं भारतीय काव्यशास्त्र की चर्चा करते हुए दोनों कवियों को एक संभावनाशील कवि बताया । उन्होंने कहा कि भाषा, रस ,छंद, अलंकार से पहले कविता में कथ्य का स्पष्ट होना जरूरी है।  इस आधार पर इनकी कविताएं श्रोताओं और पाठकों का ध्यान आकृष्ट करती हैं । ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन के नेता श्री के. एन. उपाध्याय ने कहा कि इन दोनों कवियों की कविताओं के  कंटेंट आज के परिवेश की बड़ी आवश्यकता है ।इस अवसर पर एडवोकेट रणजीत सिंह , डा. कादम्बिनी सिंह ,संजय मौर्य फतेह चंद बेचैन ने अपनी अपनी बात रखी।  युवा गायक शैलेंद्र मिश्र और पी एन तिवारी ने जनवादी गीत प्रस्तुत किए । इस अवसर पर सोनी, ट्विंकल गुप्ता,आनन्द कुमार चौहान अखिलेश अर्जुन, गोविंदा  इत्यादि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कवि एवं साहित्यकार  अजय कुमार पांडेय ने किया।ज्ञात हो कि भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक मंच द्वारा हस्ताक्षर कार्यक्रम के तहत प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को दो कवियों का कविता पाठ एवं उन पर केंद्रित परिचर्चा आयोजित की जाएगी । भविष्य में इन कविताओं का संकलन कर एक पुस्तक भी निकालने की योजना है।