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बलिया :तो इस बार इस बार....नगर पालिका अध्यक्ष के लिये चुनौती से कम नही है इस बार का ददरी मेला ? सभासदों ने बोर्ड बैठक में लगा दी है शर्त ,बलिया के विकास की धनराशि को हम यूँही नही देख सकते लूटते हुए, पिछले साल की तरह हुआ घाटा तो दे देंगे जिला प्रशासन को

तो इस बार इस बार....नगर पालिका अध्यक्ष के लिये चुनौती से कम नही है इस बार का ददरी मेला ? सभासदों ने बोर्ड बैठक में लगा दी है शर्त ,बलिया के विकास की धनराशि को हम यूँही नही देख सकते लूटते हुए, पिछले साल की तरह हुआ घाटा तो दे देंगे जिला प्रशासन को 
मधुसूदन सिंह की अंदर खाने की स्पेशल रिपोर्ट

बलिया 21 अक्टूबर 2019 ।। पिछले शनिवार को ददरी मेला के सम्बंध में हुई नगर पालिका परिषद बलिया की बोर्ड की बैठक कई मामलों में ऐतिहासिक कही जा सकती है । ददरी मेला के आयोजन से सम्बंधित कार्य योजना बनाने के लिये आहूत इस बैठक की शुरुआत ही काफी हंगामेदार रही । पिछले साल के ददरी मेले में हुए ऐतिहासिक करोड़ रुपये के पार के खर्च को सभासदों ने फिजूलखर्ची कहकर पहले तो मेले के आयोजन को ही जिला प्रशासन को देने की जिद पर अड़ गये । सभासदों का कहना था कि चेयरमैन साहब पिछले साल के आयोजन में निरंकुश तरीके से बलिया के विकास के लिये आये सरकारी धन को जमकर फुजूलखर्ची कर के लुटाया है । जो मेला पहले अधिकतम 55 लाख के खर्च में सम्पन्न हो जाता था और देश के सुप्रसिद्ध कवियों , शायरों और कलाकारों के कार्यक्रम से खूब सुर्खियां बटोरता था  और नगर पालिका को इस आयोजन में मात्र 15 से 20 लाख का ही नुकसान उठाना पड़ता था ,हमारे ईमानदार चेयरमैन साहब के राज में खर्च सवा करोड़ तक पहुंच गया जबकि आमदनी मात्र 50 लाख (11 लाख जीएसटी घटाने के बाद, चेयरमैन साहब 61 लाख कहते है) रुपये ही हुई । सभासदों का कहना था कि इतनी भारी भरकम धनराशि को फुजूलखर्ची में उड़ाने से अच्छा है कि इस मेले के आयोजन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को ही क्यो न सौप दी जाय । बता दे कि मेले के आयोजन में पिछले साल चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी ने सभासदों को तरजीह न देकर स्वयं सभी कार्य को अंजाम दिये थे । अधिशाषी अधिकारी डीके विश्वकर्मा की काफी मानमनौवल और विभिन्न आयोजनों के लिये सभासदों की समितियां गठित करने की घोषणा और समितियों के निर्णयों के अनुरूप ही आयोजन को आयोजित करने की घोषणा के बाद सभासद गण शांत हुए । इसके बावजूद सभासदों ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि अगर इस बार भी मेले से फिजूलखर्ची नही रुकी तो अगले साल का मेला प्रस्ताव पारित करके जिला प्रशासन के हवाले कर दिया जाएगा ।