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बलिया : पारम्परिक तरीके से बहनों ने भाइयो के दीर्घायु होने के लिये रखा भैया दूज का व्रत,चारो तरफ रही धूम


 पारम्परिक तरीके से बहनों ने भाइयो के दीर्घायु होने के लिये रखा भैया दूज का व्रत,चारो तरफ रही धूम
मधुसूदन सिंह


बलिया 29 अक्टूबर 2019 ।। जनपद भर में आज बहनों द्वारा भाइयो को दीर्घायु होने के लिये किये जाने वाले भैया दूज व्रत की धूम रही । आज जनपद का ऐसा कोई मुहल्ला, गांव नही था जहां बहनों की टोलियां इस व्रत को करती हुई नही दिखी । आइये आपको बताते है कि क्यो रखती है बहने अपने भाइयों के लिये भैया दूज का व्रत , सबसे पहले किसने किया था यह व्रत ?
यह है पूरी कथा
भाइयों के प्रति बहनों के प्रेम और विश्वास का पर्व भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहने नारियल भाई को देकर टीका करती है, टीका करने के बाद बहने भाई आरती करती करती है, बदले में भाई अपने बहन को गिफ्ट देती है। उत्तर भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में कई अनोखी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका निर्वहन करते हुए बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।