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उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुई चार दिवसीय छठ महापर्व , व्रतियों ने अर्घ्य देकर किया पारण, पूरे बिहार, यूपी, झारखण्ड, दिल्ली, महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशो में रही छठ की धूम

उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुई चार दिवसीय छठ महापर्व , व्रतियों ने अर्घ्य देकर किया पारण, पूरे बिहार, यूपी, झारखण्ड, दिल्ली, महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशो में रही छठ की धूम












बलिया 3 नवम्बर 2019 ।। नहाय खाय, खरना, और निर्जला व्रत के द्वारा छठ महापर्व करने वाली व्रतियों ने आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करके भगवान भाष्कर से अपनी मुरादों को पूर्ण करने की आशीष मांगी । उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में भी छठ पर्व की चारो तरफ धूम रही । चाहे बलिया शहर का कोई कोना हो,बैरिया , सदर तहसील,रसड़ा, बेल्थरारोड, सिकंदरपुर,बांसडीह तहसील का एक भी ऐसा गांव या बाजार नही था जहां छठ पूजा की धूम नही थी ।




 वही पटना समेत पूरे बिहार में भी रविवार की सुबह गंगा तटों, तालाबों व घर-अपार्टमेंट की छतों पर लाखों व्रतियों द्वारा उदयमान सूर्य को अर्घ्य देते ही चार दिनों तक चलने वाले आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया। वहीं बिहार के चर्चित सूर्यपीठों जैसे औरंगाबाद के देव, पटना जिले के उलार,पुण्यार्क मंदिर पंडारक में लाखों की तादाद छठ व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान किया।
इससे पहले शनिवार की शाम राजधानी पटना के गंगा घाटों पर भगवान भाष्कर को पहला अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। एनआईटी गांधी घाट, कालीघाट, दीघा, पाटीपुल, दीघा गेट नं.93, कलेक्ट्री घाट, कुर्जी, बांसघाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही।
पारंपरिक छठ गीतों ...मारबउ रे सुगवा धनुष से ...कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए... होख न सुरुज देव सहइया... बहंगी घाट पहुंचाए...से पूरा शहर और सूबा भक्तिमय हो गया। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है।
आरोग्य की प्राप्ति,सौभाग्य व संतान के लिए व्रत
ज्योतिषाचार्य डा.राजनाथ झा के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति,सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है



बिहार का वो शहर जहॉं पहली बार सीता ने की थी छठ पूजा, आज भी मौजूद हैं चरणों के निशान





सीता के चरणों के निशान
आज भी मौजूद है सीता के चरणों के निशान
लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक यह भी है कि जनक नंदिनी सीता ने सबसे पहले छठ पूजा की थी। इसके बाद ही इस महापर्व की शुरुआत हुई। फिर धीरे-धीरे छठ बिहार सहित पूरे देश मे मनाया जाने लगा।
छठ व्रत के साथ कई मंदिरों और जगहों की महत्ता जुड़ी हुई है। इस कड़ी में एक नाम बिहार के मुंगेर का भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सीता ने पहली बार छठ पूजा बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर की थी। इसके प्रमाण स्वरूप आज भी यहॉं अर्घ्य देते उनके चरण चिह्न मौजूद हैं। इस स्‍थान को वर्तमान में ‘सीता चरण मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार मुंगेर में कभी सीता ने छ: दिनों तक रह कर छठ पूजा की थी। श्री राम जब 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो ब्राह्मण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया। इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था लेकिन मुग्दल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया।
ऋषि की आज्ञा पर भगवान राम एवं सीता स्वयं यहाँ आए और उन्हें इसकी पूजा के बारे में बताया गया। मुग्दल ऋषि ने सीता को गंगाजल छिड़क पवित्र किया एवं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। यहीं रह कर सीता ने छ: दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी।
(साभार)