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जाने अयोध्या मसले के ऐतिहासिक फैसले में सहायक उस अहम शख्स को जिसने विवादित जमीन के नीचे देखे थे सबूत

जाने अयोध्या मसले के ऐतिहासिक फैसले में सहायक उस अहम शख्स को जिसने विवादित जमीन के नीचे देखे थे सबूत
ए कुमार 

अयोध्या 9 नवम्बर 2019 ।। अयोध्या मामले पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने ASI की रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण में अधिकारी रहे के के मुहम्मद ने दावा किया था कि मस्जिद के नीचे से मंदिर के अवशेष मिले थे।
दरअसल, भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण ने पहली बार 1977 में विवादित भूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था तब उस टीम में केके मुहम्मद प्रशिक्षु के तौर पर शामिल थे। इसके बाद 2003 में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर विवादित जमीन की खुदाई की थी।

एएसआई की इस टीम ने वैज्ञानिक परीक्षण किया था. इसके आधार पर विवादित ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया था और मंदिर के पक्ष में मिले इन सबूतों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद के के मुहम्मद ने फिर दावा किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, एएसआई द्वारा आपूर्ति किए गए पुरातात्विक और ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि पहले एक बहुत बड़ा भव्य मंदिर था।
कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट को वैध माना और कहा कि खुदाई में जो मिला वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। फैसला पढ़ते हुए शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित जमीन रामलला  विराजमान को देने का फैसला किया है जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा है।