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लखनऊ में रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरटी (रेरा) के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले सीएम योगी :रियल स्टेट को बुलंदियों पर ले जाना रेरा का मकसद, पर एक घर के लिये जीवन भर की जमापूंजी को दांव पर लगाने वाले का हित रहेगा सर्वोपरि

रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरटी (रेरा) के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले सीएम योगी :रियल स्टेट को बुलंदियों पर ले जाना रेरा का मकसद, पर एक घर के लिये जीवन भर की जमापूंजी को दांव पर लगाने वाले का हित रहेगा सर्वोपरि 
ए कुमार

लखनऊ 4 नवंबर,2019 ।। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि एक अदद घर का सपना लिए जीवन भर की गाढ़ी कमाई किसी बिल्डर को देने वालों का हित मेरे लिए सर्वोपरि है। यह तबका दोहरी मार का शिकार होता है। पूरा पैसा फंसने के बावजूद उसे बैंक का कर्ज भी अदा करना होता है। पर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि हम रियल एस्टेट के अन्य क्षेत्रों के हितों की अनदेखी करेंगे। बिल्डर अगर  पूरी पारदर्शिता और गुणवत्ता के अनुसार ग्राहक से किये वादे को पूरा करेंगे तो सरकार नियमानुसार हर संभव मदद करेगी। अगर ऐसा हो तो रियल एस्टेट सेक्टर मंदी के दौर से उबरकर एक बार फिर बुलंदियों को हासिल कर सकता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरटी (रेरा) के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अदद अपना घर स्वावलंबन से भी जुड़ा है। उन्होंने अयोध्या निवासी महाबीर हरिजन का उदाहरण भी दिया। पेशे से राजमिस्त्री महाबीर की किस्मत पीएम आवास का पैसा मिलने के बाद बदल गयी।

सीएम योगी ने कहा कि लोग बेहतर बुनियादी सुविधा के लिए शहर में आते हैं। सुविधाएं नहीं मिलने पर उनका सरकारों से भरोसा उठता है। ऐसा न हो इसके लिए सरकार अपनी ओर से कई कदम उठा रही है। मेट्रो का विस्तार, सभी नगर निगमों को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद इसी कड़ी का हिस्सा है।

*साजिश थी नोएडा के बारे में मिथ* 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों में नोएडा जाने को लेकर एक मिथ था। ऐसा साजिशन उन लोगों ने किया था जिनकी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे आस-पास काली कमाई लगी थी या ऐसे लोगों को अपने हित के लिए वे संरक्षण दे रहे थे। पैसा देने के बाद भी घर न मिलने की 80 फीसद शिकायतें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आठ जिलों से ही हैं। कुछ पीड़ित ग्राहकों और बिल्डर्स से मिलने के बाद मुझे नोएडा का यह मिथ समझ में आया। मेरा मानना है कि इस सेक्टर में हुई गड़बड़ियों के मूल में राजनैतिक एवं प्रशासनिक बेईमानी भी है। बदनीयती से इन लोगों से या तो मिले पैसे का बंदरबांट कर लिया गया या किसी और क्षेत्र में लगाकर इस क्षेत्र का बंटाधार कर दिया गया। कोई भी संवेदनशील व्यक्ति वहां जाता और सच से वाकिफ होता तो पैसे की बंदरबाट करने वाले बेनकाब हो जाते। लिहाजा नोएडा के बारे में साजिशन एक दुष्प्रचार हुआ।

मुख्यमंत्री ने रेरा के अब तक के कार्यों की सराहना की। साथ ही यह भी कहा कि रेरा को मजबूत करने और रियल एस्टेट क्षेत्र को फिर से संभावनाओं का क्षेत्र बनाने के लिए सरकार शीघ्र ही कुछ और उपायों की भी घोषणा करेगी। उन्होंने कहा कि 10 वर्षों से लंबित लगभग 3 लाख होम बायर्स जिन्हें आवास नहीं मिल पाया था। बिना किसी दबाव के, संवाद के माध्यम से हम लोग पहले एक वर्ष में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे में 1 लाख बायर्स को आवास दिलाने में सफल हुए।

केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि रेरा के पूर्व यह सेक्टर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा था। कृषि के बाद सर्वाधिक संभावनाओं वाला यह क्षेत्र असंगठित था। सत्ता में आने के सालभर के अंदर प्रधानमंत्री मोदी ने रेरा के जरिए इसे संगठित किया। इसके पहले रेरा के चार क्षेत्रीय सम्मेलन हो चुके हैं। यह पहला राष्ट्रीय सम्मेलन है। अब ऐसे सम्मेलन हर साल होंगे। अब तक के सम्मेलनों से निकले निचोड़ के आधार पर हम रेरा को और प्रभावी एवं पारदर्शी बनाएंगे। शीघ्र ही हम मॉडल टेनेंसी ऐक्ट और रियल एस्टेट ई-कामर्स पोर्टल लाएंगे। मेरा प्रयास यह है कि आने वाले समय में शहरीकरण का मंजर बदल जाए। उन्होंने हर क्षेत्र में उप्र सरकार द्वारा प्रतिमान स्थापित करने की सराहना की।

विभाग के केंद्रीय सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि एक अदद छत का सपना सबका होता है। लिहाजा रीयल एस्टेट क्षेत्र का ताल्लुक हर व्यक्ति से है। सबके आवास का सपना साकार हो इसके लिए हर साल 900 वर्ग किमी में आवास बनाने की जरूरत होगी। सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान करीब 8 फीसद का है। विदेशी निवेश से पैसा पाने वाले क्षेत्रों में इस क्षेत्र का नंबर पांचवा है। 2030 तक इस क्षेत्र में 50 करोड़ और 2050 तक 80 करोड़ लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिलेगा। यह क्षेत्र बेहतर तरीके से काम करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करे रेरा का यही मकसद है।

रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार, मुख्य सचिव आरके तिवारी, अभय उपाध्याय, प्रवीन जैन, गौतम चटर्जी और जे. शाह ने भी सुझाव देने के साथ इनके हल के बारे में भी बताते हुए कहा ग्राहक और बिल्डर्स के बीच भरोसा बहाली, कर्ज देने के प्रति बैंकों की उदासीनता, समयबद्ध डिलेवरी खासकर जिन निवेशकों का पैसा फंसा है, रेरा का अधिकार बढ़ाये जाने की बात कही। कार्यक्रम में डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों के रेरा के प्रतिनिधि, सेक्टर से जुड़े अन्य हितबद्ध लोग और शिक्षण संस्थाओं के लोग मौजूद रहे।