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आयुष्मान भारत के दावे पर उठे सवाल : पत्नी करे करुण पुकार ,क्या डॉ विजय चालम की इलाज के बगैर चली जायेगी जान,पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अस्थायी अध्यापक है डॉ चालम


 आयुष्मान भारत के दावे पर उठे सवाल : पत्नी करे करुण पुकार ,क्या डॉ विजय चालम की इलाज के बगैर चली जायेगी जान,पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अस्थायी अध्यापक है डॉ चालम
मधुसूदन सिंह, ए कुमार
     
                                                                           वाराणसी 18 नवम्बर 2019 ।। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की तो लगा कि चलो किसी ने तो अभावग्रस्त लोगो के सेहत के सम्बंध में सोचा और जरूरत के समय एक सदस्य के रूप में आयुष्मान वाला कार्ड तो खड़ा मिलेगा । शुरुआत में यह ठीक गति से चलते हुए धीरे धीरे पुरानी सरकारों के पैटर्न पर चला गया । आज जिनको जरूरत है उनके पास यह कार्ड बन ही नही पाया है और जिनको जरूरत नही उनके पास मौजूद दिख रहा है । वाराणसी के लोगो को तब और खुशी हुई थी जब यहां पीएमओ का दफ्तर खुल गया और कहा गया कि आपकी शिकायत यहां से सीधे पीएम मोदी तक पहुंच जाएगी । पर दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि पीएमओ में बैठने वाले लोग अगर पीएम मोदी की तरह संवेदनशील होते तो न बनारस की तख्ती वाली अम्मा को दरदर भटकना पड़ता और अब न महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला अकादमी विभाग में 19 सालो से छात्रों को पढ़ाने वाले डॉ चालम की पत्नी को बीएचयू के न्यूरो विभाग में बेड पर अचेत पड़े अपने पति के इलाज के लिये गिड़गिड़ाते हुए लोगो से मदद मांगनी पड़ती । कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिस आदमी ने जिनके साथ 19 साल का समय बिताया हो ,वही साथी अध्यापक अस्थायी अध्यापक होने के कारण डॉ चालम को न तो अध्यापक मान रहे है, न ही सहयोग कर के इनका जीवन बचाने की पहल । वही संवेदनशीलता का जनाजा तो यहां के पीएमओ कार्यालय से उसी दिन निकल गया जब डॉ चालम की पत्नी दौड़ते दौड़ते थक गयी पर आयुष्मान भारत का कार्ड बनवाने की किसी ने जहमत ही नही उठायी ।
 बता दे कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ललित कला विभाग के अध्यापक डॉ विजय चालम अभाव, आर्थिक तंगी और बिमारी से जूझते हुए अद्धचेतन अवस्था में बीएचयू ट्रामा सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग के बेड नंबर 11 पर ब्रेन सर्जरी का इंतजार कर रहे हैं । आपरेशन से लेकर दवा तक के खर्च के लिए उनके पास पैसे नहीं है । सेवा में लगी पत्नी बदहवास हालत में है । वो समझ नहीं पा रही है कि सब होगा तो कैसे । कुछ पूछने पर वो रोती ज्यादा और बोलती कम है । जिस विद्यापीठ ने विगत कई को बतौर परीक्षक अपने एनटीपीसी कैंपस स्थित ललित कला विभाग भेजा था उसने किसी भी तरह की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है । जबकि विजय चेलम की पत्नी पति के इलाज के लिए आर्थिक मदद के वास्ते कुलपति को प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगा चुकी है पर वहां से भी कोई पहल नही हुई । रही अध्यापक संघ की बात तो संघ सिर्फ उन्हें ही अध्यापक मानता है जो स्थायी रुप से सेवा में है । ऐसे में बतौर अतिथि अध्यापक विश्वविद्यालय को दिए गए डॉ विजय चालम के 19साल कोई मायने नहीं रखता । गौर करने की बात यह है कि डॉ विजय चालम दुर्घटना के शिकार तब हुए थे जब विगत मई को एनटीपीसी कैंपस से छात्रों की परीक्षा लेकर बस से वापस घर लौट रहे थे । इस दुर्घटना में उनके सिर पर चोटी लगी थी और वो बेहोश भी हो गए थे । आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने अपना ईलाज तक नहीं करवाया और मरहम-पट्टी से ही अपना काम चला लिया । पिछले दो महीने पहले उन्हें चलने-फिरने में तकलीफ़ हुई और फिर बिस्तर पर ऐसे गिरे की उठ नहीं पाए । इसी बीच पत्नी आयुष्मान कार्ड बनाने को लेकर वाराणसी रविन्द्र पुरी स्थित प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय के फेरे लगाती रही लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी।  प्रतिभाशाली मूर्तिकार के तौर पर जाने जाने वाले चालम ने बीएचयू के ललित कला विभाग से एम.एफ.ए करने के बाद नेट क्वालीफाई करने के बाद ललित कला विभाग के तत्कालीन विभाग अध्यक्ष और जाने-माने शिल्पी बलबीर सिंह कट्ट के साथ वही काम किया । बाद में उन्होंने विद्यापीठ का रूख किया और अपने साथ हुए दुर्घटना के बाद भी विश्वविद्यालय को अपनी सेवाएं देते रहे । सूत्रों के अनुसार इधर बीच उन्हें हटा दिया गया था, मानसिक तौर पर ये सदमा भी उनके लिए दारुण था ।