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बलिया : गर्भनाल की बेहतर देखभाल से ही नवजात सुरक्षित - डा0 सिद्धार्थमणि दूबे

गर्भनाल की बेहतर देखभाल से ही नवजात सुरक्षित - डा0 सिद्धार्थमणि दूबे 

बलिया 21 दिसम्बर 2019 ।। माँ और गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल भावनात्मक एवं शारीरिक दोनों स्तर पर जोड़ता है, गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल के जरिये ही आहार भी प्राप्त होता है। इसीलिए गर्भनाल के बेहतर देखभाल की आवश्यकता होती है।
जिला महिला चिकित्सालय, बलिया के प्रसवोत्तर केन्द्र पर तैनात नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा0 सिद्धार्थ मणि दूबे ने बताया कि शिशु जन्म के बाद नाल के ऊपर से किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ या क्रिम का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नाल को सुखा रखना जरूरी होता है। बाहरी चीजों के प्रयोग से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। फैसीलिटी लेवल से लेकर सामुदाय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसमें ए0एन0एम0/आशा के साथ नर्स, चिकित्सक एवं काउन्सलर लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पहले एक माह में नवजात मृत्यु की आशंका एक माह के बाद होने वाले मौतों से 15 गुना अधिक होती है, पाँच साल के अन्दर बच्चों की लगभग 82 लाख मौतों में 33 लाख जन्म के पहले महीने में ही हुई है। इसमें 30 लाख मृत्यु प्रथम सप्ताह में एवं 2 लाख मृत्यु जन्म के दिन ही हो जाती है। जन्म के शुरूआती 7 दिनों में होने वाली नवजात मृत्यु में गर्भनाल संक्रमण प्रमुख कारण है। बताया कि प्रसवोपरांत नाल को बच्चे और माँ के बीच दोनों तरफ से नाभि से 2 से 4 इंच की दूरी रखकर काटी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को प्राकृतिक रूप से सूखने देना जरूरी है। इसमें लगभग एक सप्ताह लग सकते हैं। लगभग एक सप्ताह बाद नाल अपने आप गिर जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि छह माह तक स्तनपान के बाद शिशु को अनुपूरक आहार देना चाहिए। माँ को भी पोषण तत्वों से भरपूर भोजन लेना चाहिए। उन्होने यह भी बताया कि गर्भवती का पोषण उसके और  गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है।