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एक अरब 8 करोड़ से अधिक के जीपीएफ घोटाले में पड़ताल, बलिया एक्सप्रेस की चौथी कड़ी: 1981 से शुरू हुई घोटाले की कहानी, जिला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर प्रबंधतंत्रो ने जीपीएफ़ के पैसे को वेतन में उड़ाया, प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षकों ने इंटरमीडिएट एजुकेशन ऐक्ट 2B का जमकर उड़ाया मजाक

एक अरब 8 करोड़ से अधिक के जीपीएफ घोटाले में पड़ताल, बलिया एक्सप्रेस की चौथी कड़ी: 1981 से शुरू हुई घोटाले की कहानी, जिला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर प्रबंधतंत्रो ने जीपीएफ़ के पैसे को वेतन में उड़ाया
मधुसूदन सिंह

बलिया 11 दिसम्बर 2019 ।। बलिया में माध्यमिक शिक्षा परिषद से सम्बंधित 91 अशासकीय अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के जीपीएफ़ से 1 अरब 8 करोड़ से अधिक रुपये की धनराशि के गबन की पड़ताल में बलिया एक्सप्रेस को जो दस्तावेज प्राप्त हुए है उसके अनुसार इसकी शुरुआत 1981 से हुई है ।
इस पड़ताल ने एक बात प्रमुखता के साथ सामने आयी कि प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षकों ने अधिकार न होते हुए भी अवैध कमाई के लिये इंटरमीडिएट एजुकेशन ऐक्ट 2B की जमकर धज्जियां उड़ाई है । बता दे कि इस के अनुसार किसी भी प्रभारी को न तो नियुक्ति का अधिकार है, न ही किसी के वेतन को आहरित करने के लिये अनुमोदन का , ये सिर्फ जो पहले से चल रहा है उसी को अग्रसारित कर सकते है । लेकिन इन लोगो ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ऐसे गुल खिलाये कि 1981 से आजतक बलिया की माध्यमिक शिक्षा उबर नही पायी है । घोटाले की शुरुआत 1981 में होती है जब तत्कालीन प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया शिव नारायण लाल ने एक ही रात में 350 से अधिक नियुक्तियां/अनुमोदन कर दिया । जबकि  इंटरमीडिएट एजुकेशन ऐक्ट 2B के अनुसार प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक को न तो नई नियुक्ति का अधिकार है, न ही किसी के वेतन आहरण हेतु अनुमोदन का । बलिया में जो भी फर्जीवाड़ा हुआ है वह प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षकों के द्वारा ही अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध कमाई के लिये किया गया है । 1981 में शिवनारायण लाल द्वारा की गई 350 से अधिक नियुक्तियों में अकेले ही 22 नियुक्तियां टाउन इंटर कालेज में हुई है । इन नियुक्तियों की शिकायत होने पर तत्कालीन उप शिक्षा निदेशक ने 15 मार्च 1982 को इन अनियमित/फ्राड नियुक्तियों को निरस्त कर दिया ।
   शिवनारायण लाल से भी तेज निकले 1990 में बलिया के प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक लाखन सिंह । इन्होंने 500 से अधिक नियुक्तियां कर डाली जिसमे कई माननीयों के परिजनों के भी नाम शामिल बताये जा रहे । इसके बाद 1991 में तत्कालीन उप जिला अधिकारी सदर अमीर चंद गुप्ता को जिला विद्यालय निरीक्षक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया । इनके कार्यकाल में भी 300 से अधिक नियुक्तियां हो गयी । अब यह अलग बात है कि इन्होंने हस्ताक्षर किये है कि नही यह जांच अधिकारी जानते है ।
 इन्ही सब अनियमित नियुक्तियों के वेतन भुगतान सम्बन्धी विवाद में सन 1994 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक शत्रुघ्न प्रसाद मिश्र पर जीआईसी कैम्पस वाले कार्यालय पर प्राणघातक हमला हुआ जिसमें उनकी मौत हो गयी । श्री मिश्र की मौत के बाद एक बार फिर जिला विद्यालय निरीक्षक का कार्यभार प्रशासनिक अधिकारी के हाथ मे चला गया । इस बार यह प्रभार तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट आर गणेश को मिला । इनके कार्यकाल में भी 500 से अधिक नियुक्तियां कर दी गयी और तत्कालीन प्रभारी लेखाधिकारी एसपी मिश्र व तत्कालीन डीएम गुरुदीप सिंह की सहमति से सभी को वेतन भुगतान किया जाने लगा ।
 इसके बाद अगस्त 1995 में बलिया में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने इन अनियमित नियुक्तियों के खिलाफ जेल भरो आंदोलन शुरू किया । महीनों तक चले इस आंदोलन की तपिश सरकार तक पहुंची और शासन ने सभी फर्जी नियुक्तियों वाले लोगो के वेतन भुगतान को तत्काल प्रभाव से रोक दिया । वही 5 अक्टूबर 1995 को प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा इंद्र कुमार आयरन ने प्रारम्भिक जांच में अनियमितता पाने पर इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौप दी ।
 सन 97-98 में बलिया की तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक (वर्तमान में अपर शिक्षा निदेशक बेसिक) ललिता प्रदीप और धर्मनाथ उपाध्याय वित्त व लेखाधिकारी की संयुक्त जांच में 1111 लोगो की नियुक्तियों को फर्जी/अनियमित पाया गया और इनके वेतन भुगतान को अनियमित कहा गया और जीपीएफ़ घोटाला पाया गया । पहली बार इसी रिपोर्ट ने कहा कि अनियमित वेतन भुगतान करके जीपीएफ़ मद से घोटाला हुआ है । वही सीबीसीआईडी ने मुख्यमंत्री के अनुमोदन व शासन के आदेश पर अपनी जांच के आधार पर 379 लोगो के खिलाफ थाना कोतवाली में 12 अप्रैल 2004 को एफआईआर दर्ज कराया । सन 2006 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज गिरी ने सभी 379 लोगो के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी । बता दे कि 2006 में एक ही रात में सीबीसीआईडी की चार्जशीट में शामिल 379 और हंडीहा कला के दर्जनभर अनियमित नियुक्तियों वालो के वेतन भुगतान/अवशेष भुगतान के लिये जीपीएफ़ मद से 12 करोड़ रुपये तत्कालीन डीआईओएस बृजनाथ पांडेय व कमलकांत लेखाधिकारी के कूटरचित हस्ताक्षर से निकल गया । 2007 में जांच शुरू हुई और तीन साल बाद तत्कालीन प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक छोटेलाल ने (2009-10 ) 81 लोगो के खिलाफ थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवा दी । वही तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली बलिया ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए इस मुकदमे में एफआर लगाकर 12 करोड़ की जीपीएफ़ लूट को लूट की जगह सही ठहरा दिया । इसके खिलाफ भीम सिंह व जयशंकर सिंह ने इसारी सलेमपुर में हुए जीपीएफ़ घोटाले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में 2010 में याचिका संख्या 23250 योजित की जो आज भी विचाराधीन है ।
    सबसे चर्चित विद्यालय रेवती इंटर कालेज रेवती बलिया में 34 पदों के सापेक्ष 106 लोगो की नियुक्ति प्रकरण में 32 लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज है वही 4 मृतक आश्रितों के स्थान पर हुई 4 नियुक्तियों में से 3 को वेतन दिया जा रहा है जबकि चौथे मृतक आश्रित जितेंद्र तिवारी के अनुसार प्रबंधक व डीआईओएस को चढ़ावा न देने के कारण मुझे वेतन नही दिया जा रहा है । श्री तिवारी ने आरोप लगाया है कि जिन लोगो को सीबीसीआईडी ने फर्जी माना है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है उन लोगो मे से 169 लोगो को आज भी वेतन दिया जा रहा है जबकि मेरी नियुक्ति पर कोई आरोप नही है फिर भी वेतन नही दिया जा रहा है, आखिर क्यों ?