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कुशीनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताले, कुपोषण से युद्ध विराम

आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताले, कुपोषण से युद्ध विराम 
ए कुमार

तमकुही, कुशीनगर 16 दिसंबर 2019 : गर्भवती और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए लड़ी जा रही जंग तहसील क्षेत्र में 'युद्ध विराम' में थम गई है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताले लटके पड़े हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मनमानी व अफसरों की लापरवाही का ही नतीजा है कि तहसील क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है। यहां बच्चे कुपोषित और अति कुपोषित श्रेणी में हैं। उन्हें पोषाहार की पंजीरी तक नहीं मिल रही है। कहने को तो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, मगर इनमें अधिकतर सिर्फ कागजों पर ही खुल रहे हैं जबकि मौके पर बंद हैं।

बाल विकास विभाग छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने का अभियान पिछले कई वर्षों से चला रहा है। गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ रहे और गर्भवती को खून की कमी नहीं हो, इसलिए महिलाओं को भी पंजीरी दी जाती है। इसके लिए गर्भवती को केंद्रों पर आना होता है।तीन वर्ष से छह वर्ष तक के बच्चों की पढ़ाई भी केंद्र पर होती है लेकिन, केंद्र खुल नहीं रहे हैं तो पढ़ाई और कुपोषण से मुक्ति की लड़ाई का सवाल ही कहां हैं। इसलिए सरकार की ओर से कुपोषण से लड़ी जाने वाली जंग पर जिम्मेदारो ने विराम लगा दिया हैं। अब सवाल उठता हैं कि आखिर शासन की तरफ से पोषाहार भेजा जा रहा हैं तो यह लाभार्थियों तक क्यो नही पहुंच रहा हैं और केन्द्रों पर ताले लटक रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन हैं। आखिर उच्चाधिकारी जानकारी के बाद भी क्यो चुप्पी साधे हुए है यह तमाम अनुत्तरित प्रश्न लोगो के है । अब देखा जाय कि जिम्मेदारों की कुंम्भकर्णी नींद कबतक खुलती हैं।