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सबसे बड़ा सवाल : बलिया में क्या अवैध रूप से नर्सिंग होम हो या पैथालोजी,या अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने की है छूट ?

सबसे बड़ा सवाल :बलिया में क्या अवैध रूप से नर्सिंग होम हो या पैथालोजी,या अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने की है छूट ?
मधुसूदन सिंह

बलिया 27 दिसंबर 2019 ।। बलिया जनपद प्रदेश का एकमात्र ऐसा जनपद है जहां स्वास्थ्य विभाग अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम हो , अल्ट्रासाउंड सेंटर हो या पैथालोजी सेंटर पर अपनी कृपा दृष्टि बनाकर कार्यवाही नही करता है । जबकि कई बार इन अवैध नर्सिंग होम , अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथॉलॉजियो के खिलाफ खबरे प्रकाशित भी हो चुकी है । वर्तमान सीएमओ डॉ पीके मिश्र को तो चाहे एनएचएम का घोटाला हो, सीएचसी पीएचसी से चिकित्सको के गायब रहने का मामला हो या सीएमओ कार्यालय के अगल बगल लाइन से संचालित अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथालोजी हो, कुछ भी दिखाई नही देता है या यूं कहें कि न दिखायी दे इसके लिये आँखों पर पट्टी बांधे हुए है ?
  इन्होंने हर काम के लिये नोडल अधिकारी तो बना रखा है लेकिन नोडल काम ढंग से कर रहे है कि नही इनको देखने से ये क्यो कतराते है , यह साहब ही बता सकते है ? जनपद में स्वास्थ्य समिति का पदेन जिलाधिकारी अध्यक्ष होते है । इसके बावजूद अगर जनपद मुख्यालय पर अवैध रूप से जनता को लूटने के लिये, स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने के लिये 5 दर्जन से ऊपर अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथालोजियो का संचालन न रुकना , इनके खिलाफ कार्यवाही न होने से ऐसे कारोबारियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है ।
 नोडल व डिप्टी सीएमओ की निष्क्रियता बनी सहायक
बलिया में लगभग 5 नोडल अधिकारी और 4 डिप्टी सीएमओ है । इनमे से कोई रसड़ा रहता है, कोई मुरली छपरा, कोई पंदह, कोई बांसडीह आदि सुदूर क्षेत्रो में रहते है । इन क्षेत्रों में इन सभी लोगो की प्राइवेट प्रेक्टिस भी अच्छी चलती है । ऐसे में ये लोग महीने में एक दो दिन सीएमओ कार्यालय के अपने ऑफिस में बैठ जाये तो मानिये 100 साल बाद पड़ने वाला कोई शुभ मुहूर्त आ गया हो । इनके न बैठने से जहां कर्मचारियों के कई प्रकार के देयको का भुगतान लंबित पड़ा रहता है , वही आम जन के भी कई काम नही हो पाते है । यह सारा कुछ सीएमओ बलिया डॉ पीके मिश्र की शिथिलता और महीने के अधिकांश दिन (कोर्ट केस व मीटिंग के नाम पर) जनपद से बाहर रहने से हो रहा है ।
बलिया में बिन विशेषज्ञ निश्चेतक चिकित्सक के चलते है नर्सिंग होम
बलिया में मात्र दो प्राइवेट रूप से कार्य करने वाले विशेषज्ञ निश्चेतक चिकित्सक है । इन्ही दो चिकित्सको के नाम पर सभी प्राइवेट नर्सिंग होम अपने यहां ऑपरेशन करते है और इनसे कागजो पर हस्ताक्षर कराकर इनका डेढ़ से दो हजार रुपये फीस दे देते है जबकि ये लोग ऑपरेशन के समय होते ही नही है ? ऐसे में जिस मरीज का ऑपरेशन होता है उसकी जान खतरे में होती है । सीएमओ बलिया हो या इनके नोडल अधिकारी किसी ने भी यह जानने की कोशिश ही नही की कि इन नर्सिंग होम्स में प्रतिदिन कुल कितने ऑपरेशन , किस किस समय मे हुए है । अगर यह जांच हो जाय तो नर्सिंग होम वालो की सारी पोल पट्टी खुल जाती , पर जांच कराने के लिये सीएमओ साहब के पास समय ही नही है  और नोडल लोग अपनी कमाई में व्यस्त है, फिर बलिया की असहाय जनता को पीसना, लूटना तो नसीब बन ही जायेगा ।