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बलिया : हिंदी उपन्यासों में काशी का इतिहास समाज व संस्कृति , पर शोध करके बलिया के लाल ने बजाया डंका , दीक्षांत समारोह में पीयूष द्विवेदी को मिली डॉक्टरेट की डिग्री

बलिया : हिंदी उपन्यासों में काशी का इतिहास समाज व संस्कृति , पर शोध करके बलिया के लाल ने बजाया डंका , दीक्षांत समारोह में पीयूष द्विवेदी को मिली डॉक्टरेट की डिग्री






नगरा बलिया 24 दिसम्बर 2019 ।। बीएचयू में हुए आज के दीक्षांत समारोह में नगरा कस्बा निवासी पीयूष कुमार द्विवेदी ने पीएचडी की उपाधि ग्रहण करके बलिया और अपने पारिवारिक मेधा का डंका बजाया है । डॉ द्विवेदी की इस उपलब्धि से परिवार के साथ साथ गांव गिरान और जनपद भर के बुद्धिजीवियों में हर्ष की लहर दौड़ गयी है ।
           बता दे कि नगरा निवासी सुधाकर द्विवेदी के छोटे पुत्र ने वर्ष 2014 से 2019 तक हिंदी उपन्यासों में काशी का इतिहास समाज व संस्कृति विषयक शोध करके अपना शोधपत्र विश्वविद्यालय में जमा किया था जिसको विशेषज्ञों की समिति द्वारा मौलिक शोध मानते हुए पीएचडी की डिग्री देने की अपनी संस्तुति दी थी । पीयूष ने पीएचडी की उपाधि पाकर कस्बा सहित जिला का नाम रौशन किया है। पीएचडी की उपाधि पीयूष कुमार द्विवेदी को 24 दिसम्बर, मंगलवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा आयोजित दीक्षांत समारोह के दौरान दी गई।वहीं पीयूष ने बताया कि हिंदी उपन्यासों में काशी का इतिहास समाज व संस्कृति विषयक शोध के लिए यह उपाधि दी गई। पीयूष कुमार द्विवेदी को डॉ. की उपाधि मिलने से परिजनों सहित क्षेत्र में खुशी का माहौल बना हुआ है।पीयूष के पिता सुधाकर द्विवेदी ने बताया कि पीयूष बचपन से ही मेधावी छात्र था। प्रारंभिक पढ़ाई नगरा से पूरा करने के बाद पीयूष की स्नातक, परास्नातक व डॉक्ट्रेट की पढ़ाई काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हुई। वह पीएचडी में दाखिला लेने के बाद 2014 से 2019 में यह सफलता की है। पीयूष कुमार द्विवेदी के दूसरे बड़े भाई डॉ आशुतोष कुमार द्विवेदी जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा बिहार में असिस्टेंट प्रोफेसर व तीसरे भाई चंदन कुमार द्विवेदी केंद्रीय विद्यालय देवरिया में पीजीटी है। उपाधि मिलने पर बड़े भाई  बलियाएक्सप्रेस के तेजतर्रार पत्रकार संतोष द्विवेदी समेत दिग्विजय सिंह, केएम पांडेय, बसंत पांडेय पत्रकार वृन्द, शिक्षक राज बहादुर सिंह अंशू,डॉ शशिप्रकाश कुशवाहा, विद्याभूषण, महेश वर्मा,रामू ठाकुर सहित दर्जनों लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी है।
वही इस उपलब्धि को प्राप्त करने के बाद पीयूष ने इसका सारा श्रेय माता पिता परिजनों और गुरुजनों के आशीष और उत्साहवर्धन को देते हुए कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने में कई दिन और राते बिन सोए गुजारनी पड़ी है । मंजिल मिलने के बाद अब कुछ देर आराम करना चाहता हूं ---

सूरज की तपिश और बेमौसम बरसात को हमने हंस
कर झेला है,
मुसीबतों से भरे दलदल में हमने अपनी जिंदगी को
धंस कर ठेला है,
यूँ ही नहीं कदम चूम रही है सफलता आज इस खुले
आसमान तले,
ज़माने भर के नामों को पीछे छोड़ा है तब जाकर हमारा
नाम फैला है ।।

ख्वाब पूरे हो गए हैं मेरे कि आज चैन की नींद सोना
चाहता हूँ,
बहुत देर से दूर था जिस आँचल से आज उसी माँ की
गोद में सोना चाहता हूँ। 

(साभार संदीप कुमार सिंह)