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बलिया : जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय का तीसरा स्थापना दिवस रविवार को, कुलपति योगेंद्र सिंह के कार्यकाल का भी होगा अंतिम दिन या मिलेगा विस्तार ?

जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय का तीसरा स्थापना दिवस रविवार को, कुलपति योगेंद्र सिंह के कार्यकाल का भी होगा अंतिम दिन या मिलेगा विस्तार ?
मधुसूदन सिंह

बलिया 21 दिसम्बर 2019 ।।
उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद मुख्यालय से मात्र लगभग 5 किमी दूरी पर शहीद स्मारक बसंतपुर में स्थित एक राजकीय विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 2016 में की गयी।विश्वविद्यालय से वर्तमान में 122 महाविद्यालय सम्बद्ध हैं। ये सभी महाविद्यालय इससे पहले वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से सम्बद्ध थे।
जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय
Logo of Jananayak Chandrashekhar University, Ballia.jpg
ध्येयसंगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्
प्रकारराजकीय विश्वविद्यालय
स्थापित2016
कुलाधिपति                  आनंदीबेन पटेल
उपकुलपतिडॉ. योगेन्द्र सिंह
स्थानबलियाउत्तर प्रदेशभारत
25°49′42″N 84°09′15″E / 25.8282456°N 84.1542586°E
संबद्धताएंयूजीसी
जालस्थलjncu.ac.in
विश्वविद्यालय का प्रथम सत्र 2016-17 में शुरू हुआ। इस सत्र में हालांकि परीक्षाएं महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ द्वारा ही संचालित करवाई गई थी, परंतु विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के नाम से दिए गए।
रविवार 22 दिसम्बर 2019 को जब यह विश्वविद्यालय अपनी तीसरी स्थापना की वर्षगांठ मनाएगा , तब परिस्थियां 2016 से काफी भिन्न होगी । इन तीन साल के अपने सफर के दरमियान विश्वविद्यालय ने कम संसाधनों में भी काफी कुछ किया है । आज अगर विश्वविद्यालय समय से परीक्षा कराने,वो भी नकल विहीन परीक्षा के लिये पहचाना जा रहा है तो इसका श्रेय कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह की इस विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों पर ले जाने के समर्पण भाव की देन है । इस वर्ष आयी भीषण बाढ़ और अतिवृष्टि के चलते तालाब बन चुके विश्वविद्यालय परिसर के वावजूद,शिक्षण कार्य प्रभावित न हो,समय से सभी प्रशासनिक कार्य संपादित होते रहे, बाहर सड़क पर बैठकर भी जिस तरह से कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह ने प्रशासनिक कार्यो को करते हुए किसी भी कार्य को बाधित नही होने दिया , उसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम होगी । रविवार को जब विश्वविद्यालय अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगांठ मनायेगा तब यह दिन कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह के कार्यकाल का अंतिम दिन होगा । ऐसे में विश्वविद्यालय और तेजी से विकास करके जननायक चंद्रशेखर के सपनो के अनुरूप पूरे विश्व मे अपनी छाप छोड़ें ,प्रो योगेंद्र सिंह को एक मौका और मिलना चाहिये । बता दे कि इनकी अगुवाई में विश्वविद्यालय ने पढ़ाई से लेकर खेलकूद तक हर विधा में छात्र छात्राओं का सर्वांगीण विकास किया है । अभी पिछले 12 दिसम्बर 2019को प्रदेश की महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय आनंदीबेन पटेल ने पहले दीक्षांत समारोह में 27 मेधावी छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया और प्रो योगेंद्र सिंह के कार्यो की तारीफ की थी । अब देखना है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रो योगेंद्र सिंह का कार्यकाल बढ़ाती है या तीसरे स्थापना दिवस के दिन ही कुलपति का होगा बिदाई समारोह ?

एक नजर प्रो योगेंद्र सिंह द्वारा पदभार ग्रहण करने और दिये गये आश्वासनों पर 
जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पहले कुलपति के रूप में प्रो. (डा.) योगेन्द्र सिंह ने शुक्रवार 23 दिसम्बर 2016 को यहां कार्यभार ग्रहण कर लिया। दोपहर करीब दो बजे वे बसंतपुर स्थित शहीद स्मारक परिसर में पहुंचे। वहां विश्वविद्यालय के अस्थायी भवन में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के चित्र पर माल्यार्पण के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन किया और संस्थापक कुलपति की जिम्मेदारी संभाली।
इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में कुलपति ने कहा था कि शैक्षणिक सत्र तो अगले साल जून-जुलाई से ही शुरू होगा लेकिन यदि अनुमति मिली तो इस साल की परीक्षा भी वे इस विश्वविद्यालय से कराने का प्रयास करेंगे। फिलहाल बलिया के अलावा और कौन से जिले या कितने कालेज इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होंगे, यह तय नहीं हो पाया है। हालांकि जल्द ही पूरी तस्वीर साफ हो जायेगी। चंद्रशेखर के व्यक्तित्व व कृतित्व को नमन करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि चंद्रशेखर जी के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय को उनकी सोच व गरिमा के मुताबिक सजाने-संवारने का प्रयास करेंगे। चंद्रशेखर को अपना आदर्श बताते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि उनके जीवन ने मुझे पढ़ाई के समय से ही काफी प्रभावित किया है। उनके साथ उनकी पदयात्रा में भी रहा। वे हमेशा परिणाम की बात करते थे। कहा कि उनकी सोच के अनुसार बलिया की लोक संस्कृति को मजबूती देने के साथ ही भोजपुरी के विकास का भी प्रयास इस विवि के माध्यम से होगा। परम्परा संग आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय नया आयाम स्थापित करे, इसका प्रयास होगा। मूल रूप से चंदौली के रहने वाले प्रो. सिंह ने भावुक अंदाज में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की आत्मा से प्रेरणा लेकर बलिया से बाहर रहने वाले प्रबुद्ध लोगों से सम्पर्क कर विश्वविद्यालय को सजाने में उनसे भी मदद की अपील करेंगे। उन्होंने चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का संस्थापक कुलपति बनने का गौरव प्रदान करने के लिए राज्यपाल व मुख्यमंत्री के प्रति आभार भी जताया। इस दौरान सांसद नीरज शेखर, काशी विद्यापीठ के रजिस्ट्रार भी थे।
कालेज के प्राचार्यों-प्रबंधकों ने इनका स्वागत किया ।
कुलपति नियुक्त होने के बाद पहली बार यहां आने पर प्रो. योगेन्द्र सिंह का विभिन्न कालेजों के प्राचार्यों व प्रबंधकों ने बुके व माला देकर सम्मानित किया। इनमें एससी कालेज के प्राचार्य डा. अशोक उपाध्याय, कुंवर सिंह व टीडी कालेज के प्राचार्य, विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के नेता काशीनाथ सिंह, स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ के डा. अखिलेश राय, अमित सिंह, पूर्वांचल छात्र संघर्ष समिति के संयोजक नागेन्द्र बहादुर सिंह झुन्नू, टीडी कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष सौरभ सिंह रानू आदि थे। छात्रनेताओं ने कुलपति से अपील की कि जिस पवित्र उद्देश्य के साथ महान व्यक्तित्व के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है, उसके मुताबिक ही इसे संचालित करने का प्रयास होना चाहिए। बीएसए डा. राकेश सिंह ने भी संस्थापक कुलपति का स्वागत बुके देकर किया।


शहीद स्मारक परिसर में लगा विश्वविद्यालय का बोर्ड
 पर्याप्त हॉल, कमरे व जगह देख सभी हुए मुग्ध
हनुमानगंज 23 दिसम्बर 2016 ।। शहीद स्मारक परिसर में बने एक भवन पर अब 'जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय' का बोर्ड शुक्रवार को लग गया। बताया जाता है कि इस भवन का निर्माण उस समय शोधकेन्द्र के उद्देश्य से कराया गया था। हालांकि वह मूर्त रूप नहीं ले सका था।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शहीद स्मारक को जाना जाता है। इस परिसर में उक्त शोध केन्द्र के अलावा विकलांग केन्द्र, ऑडिटोरियम, वृद्धाश्रम, सांस्कृतिक केन्द्र आदि का निर्माण भी कराया गया था। एशिया का सबसे ऊंचा फव्वारा भी यहां लगाया गया। हालांकि चंद्रशेखर के निधन के बाद सभी प्रोजेक्ट पर विराम सा लग गया। भवन वीरान हो गये तथा परिसर में झाड़-झंखाड़ उग आये। अब इस परिसर में विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद फिर से इसमें हरियाली आने की उम्मीद पक्की हो गयी है। शुक्रवार को कुलपति के कार्यभार ग्रहण करते समय इसकी आहट भी महसूस की गयी। जिस भवन पर विश्वविद्यालय का बोर्ड लगा है, उसमें बड़े-बड़े आठ हाल बने हैं और वे पूरी तरह लक-दक हैं। बिजली-पंखा तक अपडेट हैं। कुलपति के साथ आये विद्यापीठ के कर्मचारियों ने इसे देखा तो आश्चर्य में पड़ गये। कहा, इतने बडे़ हाल तो शायद विद्यापीठ में भी नहीं। एक बड़ा हाल देखकर हैरान कर्मचारियों ने बताया कि इसमें एक साथ कई कार्यालय संचालित हो सकते हैं। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन आदि की भी पर्याप्त जगह देखकर सभी गदगद हो गये।