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क्रूर हिंसक व्यभिचारियों द्वारा नोची रौदी गयी कली बोल रही हूं, मैं निर्भया बोल रही हूं .




मधुसूदन सिंह बागी
बलिया 18 दिसम्बर 2019 ।।
क्रूर हिंसक व्यभिचारियों द्वारा नोची रौदी गयी कली बोल रही हूं, मैं निर्भया बोल रही हूं ....

पढ़े बेटियां बढ़े बेटियां जिस देश मे नारे लगते हो,
फिर भी सड़को पर ही जब बेटियों की इज्जत लूटती हो,
और एफआईआर लिखवाने को मांबाप को ऐंडियां रगड़नी पड़ती हो,
सरेआम बेटियां जहां सड़को पर जिंदा जलायी जाती हो,
फिर कैसे कह दूं मैं, बेटियों के लिये सुरक्षित हिंदुस्तान है,
 मैं निर्भया बोल रही हूं ......
16 दिसम्बर सन 2012 का वह मंजर हाहाकारी था,
जान के साथ इज्ज़त बचाने का वह संघर्ष बड़ा ही भारी था,
 मनुज के भेष में दानवों के हाथों,  इज्जत व जान बचाना मुश्किल था,
 हार गई अपना सबकुछ मैं पर, वो हैवान अभी भी जिंदा है....मैं निर्भया बोल रही हूं .....
तिल तिल घुटघुट कर मरने का वो मंजर भी ऐसा है,
जिस्म नही पर रूह में भी ,वो दर्द अभी भी जिंदा है,
सड़क पर चलती हर लड़की के दिल मे खौफ आज ये बैठा है,
रक्षक जहां भक्षक बन जाये जहां पर ,जहां असुरक्षित बेटियां हो ,
 फिर कैसे कहूं कि मेरा देश महान है , मैं निर्भया बोल रही हूं .....
लचर कानून से खेलकर ये ,करते मनमानी है,
कितनी निर्भया स्वर्ग गयी पर ,
हैवानों को जिंदा रखना कानूनी मजबूरी है,
तोड़ दो सारी कानूनी दीवारें, जो जिंदा इनको रखती है,
मैं निर्भया बोल रही हूं ....
अगर चाहते गर मोदी जी पढ़े बेटियां देश मे, अगर चाहते योगी जी बढ़े बेतियां प्रदेश में,
गर नही चाहते दिल्ली,हैदराबाद या उन्नाव में बेटियां रौदी जाये,
तो फिर ऐसा करे जतन की, चट मंगनी पट ब्याह की तरह जल्लादों का भी फैसला हो जाये,
जितनी जल्दी हो सके इनको भी फांसी मिल जाये,
नही अगर हो पाया तो , "बागी" बन जायेगा हिंदुस्तान,
मैं निर्भया बोल रही हूं ....
क्रूर हिंसक व्यभिचारियों द्वारा नोची रौदी गयी कली बोल रही हूं, निर्भया बोल रही हूं ..

रचनाकार मधुसूदन सिंह "बागी"