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बलिया में साहित्यिक परिचर्चा में बोले प्रो यशवंत सिंह - तपते रेगिस्तान में शीतल हवा का झोंका है अजय पांडेय की कविताएं

बलिया में साहित्यिक परिचर्चा में बोले प्रो यशवंत सिंह - तपते रेगिस्तान में शीतल हवा का झोंका है अजय पांडेय की कविताएं

बलिया 4 दिसंबर 2019 ।। अजय कुमार पांडेय की कविताएं तपते हुए रेगिस्तान में शीतल हवा की तरह  राहत देने वाली है जो हमारे अंदर उगते हुए जंगलीपन के विरुद्ध मनुष्यता और लोकतंत्र के पक्ष में खड़ी होती है।  उक्त बातें वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार प्रोफेसर यसवंत सिंह ने अजय पांडेय की कविताओं पर केंद्रित परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए कही।  मंगलवार की देर शाम संकल्प के मिश्न नेवरी स्थित कार्यालय पर संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगतिशील कवि अजय कुमार पांडेय का एकल काव्य पाठ हुआ और उस पर केंद्रित परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं कहानीकार श्री विनय बिहारी सिंह ने कहा कि अजय पांडेय की कविताएं सामाजिक विसंगतियों को उजागर करती हैं। इनकी कविता गहरे अंतर्मन में उतर कर हमें झकझोरती हैं। इनकी कविताओं में गहरी संवेदना है। वरिष्ठ पत्रकार मोहन सिंह ने कहा कि कविता आदमी को संस्कारित करती है और उसकी चेतना को समृद्ध करती है। इन दोनों ही अर्थों में अजय पांडेय की कविताएं महत्वपूर्ण है । जरूरी है ऐसी कविताओं को जनमानस तक ले जाने की। साहित्यकार रामजी तिवारी ने कहा कि पहली नजर में सहज और सरल दिखने वाली अजय पांडेय की कविताएं मनुष्यता के पक्ष में खड़ी होती हैं। बेहतर दुनिया का ख्वाब देखती हैं। इनकी कविताएं केदार जी की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। इस अवसर पर डा.राजेंद्र भारती डा. गणेश पाठक, अशोक जी पत्रकार, समीर पाण्डेय, श्वेतांक सिंह, शिवजी पांडे रसराज, अशोक कुमार पांडे, परमात्मा नन्द राय ,तेज नारायण ,रवि शंकर गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किए । इससे पहले अजय कुमार पांडेय ने लगभग एक दर्जन छोटी बड़ी कविताओं का पाठ किया जिसमें मुख्य रूप से मां, पिता, बड़ा होना , बच्चे, अच्छी औरतें, तोप, मैं झुकना चाहता हूं, उपहार, नक्शा बेचने वाला लड़का ,रिक्त मन बज उठा, सवाल आदि कविताएँ थी।इस अवसर पर सोनी, ट्विंकल गुप्ता, अर्जुन, अखिलेश, राहुल, गोविन्दा , तारकेश्वर पासवान इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संकल्प के सचिव रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने किया।