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बलिया के बाइक स्वामियों हो जाओ सावधान : बाइक पर सीट बेल्ट नही बांधा तो हो जायेगा चालान, बलिया में सीट बेल्ट न बांधने के कारण ऑन लाइन बाइक हुई चालान

बलिया के बाइक स्वामियों हो जाओ सावधान : बाइक पर सीट बेल्ट नही बांधा तो हो जायेगा चालान, बलिया में सीट बेल्ट न बांधने के कारण ऑन लाइन बाइक हुई चालान
मधुसूदन सिंह


बलिया 8 दिसंबर 2019 ।। उत्तर प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस कितनी हाईटेक हो गयी है इसका नजारा बलिया जनपद में देखने को मिला है । जो बाइक विगत दो माह से बलिया शहर आयी ही नही हो , उसको बलिया की ट्रैफिक पुलिस ऑन लाइन चालान बलिया बैठे ही अपनी दूर दृष्टि के सहारे देख कर चालान कर देती है और वो भी हेलमेट के लिये नही, आरसी और बीमा के लिये नही , बल्कि सीट बेल्ट न लगाने के लिये , जुर्माना राशि 3500 रुपये ।
   जी हां,यह सोलह आने सच है और यह कारनामा किया है बलिया के यातायात प्रभारी ने 30 नबम्बर 2019 को एक बाइक के ऑन लाइन चालान काट कर । यातायात प्रभारी ने यूपी 60 y 2381 जो मोटरसाइकिल है को चालक और आगे बैठे व्यक्ति द्वारा सीट बेल्ट न लगाने के कारण 30 नबम्बर 2019 को ऑन लाइन चालान 3500 रुपये का काट दिया है । इसकी सूचना जब वाहन स्वामी को अपने मोबाइल पर आये मैसेज से पता चली तो वह चकरा गया । सोचने लगा भला बाइक में सीट बेल्ट तो लगी ही नही है तो लगाऊं कैसे  ?  और जब मैं बलिया गया ही नही तो मेरा चालान कटा कैसे ?
  यह ताजा मामला बलिया जनपद के पकड़ी थाना क्षेत्र के रहने वाले प्राइवेट अध्यापक मंगलदेव सिंह कुशवाहा का है जो प्रतिदिन अपने घर से विद्यालय जाते है  और विद्यालय से घर आते हैं। लेकिन ट्रैफिक पुलिस शहर में बैठे बैठे बाइक का  चालान चार पहिया वाहन के रूप में कर देती है ।
up 60 y - 2381 बाइक का नम्बर है और इसी बाइक का सीट बेल्ट न बांधना दिखाकर 3500 रुपये का ई चालान काटकर मंगलदेव सिंह के नंबर पर भेज दिया गया है । जब मंगलदेव सिंह ने अपना मोबाइल देखा तो उनके होश उड़ गए।क्योकि जिस दिन बाइक का ई चालान काटा गया यानी 30/11/2019 था उस दिन वह अध्यापक अपने घर थे। वाह क्या टेक्नोलॉजी है गांव में बाइक है और शहर में ई चालान काटा जा रहा हैं। मंगलदेव सिंह ने यूपी ट्रैफिक पुलिस पर सवाल खड़ा करते हुए कि मैं अपने घर था जिस दिन मेरे बाइक का चालान काटा गया था और मैं दो महीना से अधिक समय हो गया है मैं शहर नही गया हूँ। ट्रैफिक पुलिस मेरे नम्बर पर 3500 रुपये का ई चालान भेज दिया है । जिससे मैं काफी क्षुब्ध हूँ कि मुझे पता नही और मेरे नम्बर पर 3500 रुपये का चालान आ गया है।इसको लेकर मैं अधिकारियों से मिलूंगा।




कोटा पूरा करने के चक्कर मे होता है ऐसा काम
 प्रशासन के द्वारा अपने अधिकारियों को एक माह के अंदर चेकिंग करके एक निश्चित संख्या के ऊपर चालान करने का निर्देश मौखिक होता है । जब महीने के अंत मे यह लक्ष्य हासिल नही हुआ रहता है तो अधिकारी अपनी कुर्सी पर बैठे ही जो नम्बर याद पड़ा उसका चालान काट देते है । ई चालान जब से कटने लगा तब से और आसानी हो गयी है ।
अब इस चालान को देखने के बाद लोग ई चालान को संशय भरी नजरों से देखने लगे है और कहने लगे है कि यह फर्जीवाड़े का अहम हथियार बन गया है ।