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अफसोस ,मोदी योगी राज में भी देवरिया में शहीद की प्रतिमा को 15 सालो से अनावरण का इंतजार, क्या किसी भी देशभक्त राजनेता के पास नही पहुंची शहीद की अंतः पुकार

अफसोस ,मोदी योगी राज में भी देवरिया में शहीद की प्रतिमा को 15 सालो से अनावरण का इंतजार, क्या किसी भी देशभक्त राजनेता के पास नही पहुंची शहीद की अंतः पुकार
 कुलदीपक पाठक


देवरिया 16 जनवरी 2020 ।। 
          सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है,
          देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।।
    यह तरन्नुम गाते हुए प्रतिवर्ष भारत मां के सैकड़ो सपूत अपना सर्वस्व निछावर दुश्मनों से लोहा लेते हुए कर देते है । उनके जेहन में होता है कि हम देश के लिये जो भी कर रहे है वह जहां हमारा फर्ज है , वही देश की सरकार चलाने वाले रहनुमाओं ने भी आश्वस्त किया है कि आप के बाद भी आपके मान सम्मान में कोई कमी नही होने दी जाएगी । पर सीमा पर शहीद हुए उस जवान को क्या पता था कि नेता चाहे किसी दल पार्टी के हो, उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नही होता है ,ये जो कहते है उसमें से कम ही करते है , करते वही है जिससे इनको राजनैतिक फायदा मिलता है । अब यह आम रिवाज बन गया है कि शहीद का शव आते ही दौड़कर नेताओ की फौज आ जाती है , सम्मान में अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उपस्थित लोगों के मन मे अपना कद ऊंचा करते है, कुछ आश्वासन देते है और चलते बनते है । इसके बाद शहीद के परिजनों को छोड़िये जनाब शहीद की मूर्ति तक को पूंछने/देखने आने तक की फुर्सत नही मिलती है । अब हमारे यहां जनता जनार्दन ने भी एक रिवाज बना दिया है कि मूर्ति का अनावरण बिना नेता मंत्री के नही हो सकता है । यही सोच है कि आज एक शहीद जिसने जीते जी तो किसी बंधन में नही बंध पाया , मरने के बाद उसकी मूर्ति नेताओ के इंतजार में 15 वर्षो से कपड़ो और रस्सियों के बंधन में बंधी सिसक रही है,बिलख रही है पर इसकी वेदना शहीदों सैनिकों को सर्वोच्च सम्मान देने की बात करने वाली भाजपा की सरकार के पहले कार्यकाल को तो छोड़िये दूसरे कार्यकाल में भी किसी के कानों में नही पहुंची है ।
 जी हां, हम यह कडुई बात इस लिये कह रहे है क्योंकि बुधवार को सेना दिवस भी निकल गया लेकिन 2004 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए जवान की 15 सालो से स्थापित प्रतिमा का आज तक अनावरण नही हो सका । जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री और सुबे के मुख्यमंत्री अपने किसी भी भाषण में सैनिकों  और सेना के पराक्रम को याद करना नहीं भूलते और जवानों के सम्मान की बात करते नहीं थकते। वही देवरियाा में एक ऐसी भी शहीद कि मूर्ती है जिसके अनावरण के लिए जनपद के बयानवीर नेताओं को शहीद की मूर्ति के अनावरण के लिए समय ही नहीं है,अब इसे क्या कहा जाए। जो जवान 2004 में शहीद हुआ उसके लिए 15 साल गुजर
जाने के बाद भी किसी भी देशभक्त राजनेताओ के पास अनावरण का  समय नहीं है ? आपको बता दें कि सेना दिवस हर वर्ष 15 जनवरी को  हमारे भारत मे मनाया जाता है  ।इंडियन आर्मी इस वर्ष अपना 72 वां आर्मी डे मनायी है । यह हमारे लिए गर्व की बात है कि यह दिवस हमारे वीर सैनिकों के सम्मान के लिए मनाया जाता है ।पर देवरिया जनपद का दुर्भाग्य ही कहा जाय कि सलेमपुर तहसील के लार के शहीद संजय चौहान की मूर्ति का आज तक अनावरण नहीं हो पाया है ।संजय चौहान ने देश के लिए कुछ करने कि ठानी थी व अपनी पहली ही पोस्टिंग मे देश कि रक्षा करते हुए जम्मू कश्मीर के बारामूला मे 13 अप्रैल 2004 को आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये। हम आपको बताते चले हमारे देश के सैनिक अपना दिन रात एक करते हैं,अपनी नींद , अपने शुकुन को देश की सरहदों की रक्षा में कुर्बान करके जागते है , तब हम लोग चैन की नींद सोते हैं । संजय चौहान को शहीद हुए लगभग 15 वर्ष हो गए है पर किसी राजनीतिक दल या जनप्रतिनिधि, राजनेता या किसी भी  जिम्मेदार लोगों को फुर्सत नहीं मिली कि देश के लिए शहीद हुए इस देवरिया के लाल की मूर्ती का अनावरण करा सके । वर्तमान मे शहीद के सम्मान में शासन ने धवरिया गांव की मुख्य सड़क पर प्रवेश द्वार बनवाया है , पर इस गेट से सटे ही शहीद संजय चौहान की मूर्ती लगी है ,जो कपडे से ढ़की व रस्सियों से बधी है, अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है । क्षेत्र की जनता अपने शहीद लाल के सम्मान के लिये जल्द से जल्द मूर्ति के अनावरण कि मांग की है , लेकिन सबसे बड़ी बात यह है निकट भविष्य में कोई चुनाव तो है नही, ऐसे में जनता की आवाज राजगद्दी पर बैठे नेताओ तक कब पहुंचती है, कब जिम्मेदार कुम्भकर्णी कि नीद से जागते है और देश के लिए शहीद संजय चौहान की मूर्ती का अनावरण कराते हैं । आपको बताते चले की वर्तमान मे लगभग 13 लाख भारतीय थल सेना के सैनिक अलग अलग पद पर है जो देश की सेवा लगे है । मुख्य रूप से आर्मी डे लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है ।  उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया था।

एक लाख 71 हजार से बना था गेट

संजय की शहादत के बाद नगर पंचायत लार को शहीद की याद आई। संजय के परिवार में सभासदी आई, तो 2007 में शहीद द्वार व प्रतिमा के लिए एक लाख 70 हजार रुपये का टेंडर हुआ। ठेकेदार द्वारा मूर्ति व द्वार बनाया गया। अनावरण न होने से शहीद की प्रतिमा एक अदद माला के लिए तरस रही है। संजय के भाई धर्मेंद्र ने बताया कि अभी तक न तो कोई जनप्रतिनिधि आगे आया और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी। मूर्ति का अनावरण न होने से परिवार के सदस्य काफी दुखी हैं।
जनता हो जागरूक, गांव के ही किसी मानिंद से किसी भी कार्य का शुरुआत कराना कर दे शुरू, टूट जाएगा नेताओ का तिलिस्म
 देश मे जनता द्वारा नेताओ से ही किसी भी कार्य का शुभारम्भ कराने की परंपरा ने ही इन राजनेताओ के गुरुर को सातवे आसमान पर पहुंचा रखी है । अगर जिस दिन जनता अपने बीच होने वाले किसी भी कार्य की शुरुआत अपने बीच के ही आमजन से कराने लग जायेगी, निश्चित जानिये राजनेताओ का तिलिस्म टूट जाएगा और आप जिस दिन जिस समय बुलाएंगे , ये दौड़े भागे चले आएंगे, क्योकि बेजान पत्थरो पर इनको जगह जगह अपना नाम खुदवाकर यह भी तो साबित करना है कि जमीन से निकला हुआ ठोस पदार्थ ही पत्थर नही है बल्कि पंच तत्वों से बनकर तैयार और राजनीति की पाठशाला से निकल कर बना नेता भी उससे ज्यादे पत्थरदिल है, तभी तो पत्थरो के ऊपर खुदा जाता है ।