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बलिया ने मिशन इंद्रधनुष 2.0 के दूसरे चरण के टीकाकरण में भी हासिल की शत-प्रतिशत

बलिया ने मिशन इंद्रधनुष 2.0 के दूसरे चरण के टीकाकरण में भी हासिल की शत-प्रतिशत

बलिया, 22 जनवरी 2020 ।। जिले में सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 अभियान का दूसरा चरण 06 जनवरी से 16 जनवरी तक चलाया गया। इसमें स्वास्थ्य विभाग द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष 137 प्रतिशत बच्चों और 120 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। यह जानकारी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ ए के मिश्रा ने दी। उन्होने बताया कि सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान में दो तरह के बच्चो को शामिल किया गया था। पहला लेफ्ट आउट - जिन बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा है‌। दूसरा ड्राप आउट - ऐसे बच्चे जिन्होंने एक या दो टीके लगवाने के बाद बीच में अन्य टीके नहीं लगवाये।
              डॉ एके मिश्रा ने बताया कि अभियान के तहत दूसरे चरण में जन्म से लेकर दो वर्ष तक के छूटे हुए 2611 बच्चों और 497 गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया गया था जिसमें 3,576 बच्चों एवं 599 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। अभियान के तहत चिन्हित ब्लॉकों में लक्षित 498 सत्र के सापेक्ष 495 सत्र लगाए गए। इससे पूर्व 2 दिसंबर से 12 दिसंबर तक चलाए गए पहले चरण में लक्ष्य के सापेक्ष 100 फीसदी बच्चों एवं 114 फीसदी गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। इस दौरान पांचों ब्लॉकों में 506 सत्र आयोजित किए गए थे।
             डॉ एके मिश्रा ने बताया कि इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाले इस मिशन का उद्देश्य है कि वर्ष 2020 तक सभी बच्चों का टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं। इस अभियान का तीसरा चरण तीन फरवरी से और चौथा चरण व अंतिम चरण दो मार्च से चलाया जाएगा। यह अभियान जिले के चिन्हित नगरीय इलाकों, मुरली छपरा, हनुमानगंज, बांसडीह, रसड़ा ब्लॉक में चलाया जा रहा है।
             नवजात शिशुओं और बच्चों में होने वाली जानलेवा बीमारियों जैसे- पोलियो, खसरा-रूबेला, रोटा वायरस, डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी आदि से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण बेहद जरूरी है। सरकार नवजात शिशुओं और बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यदि बच्चों का टीकाकरण समय से किया जाए तो बच्चे जीवन भर स्वस्थ और खुशहाल रहेंगे।
            अभियान में ईट- भट्ठों और निर्माण साइटों पर रहने वाले परिवारों के टीकाकरण पर जोर दिया गया। क्योंकि इन दोनों स्थानों पर रहने वाले परिवार एक से दूसरे जगह स्थानांतरित करते रहते हैं। इसलिए सामान्य अभियान के दौरान इनके छूटे जाने की आशंका बनी रहती है। टीकाकरण न होने वाले या फिर आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों को अभियान के तहत ग्यारह तरह की बीमारियों से बचाने वाले टीके लगाए गए।