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कलम के सिपाही (चतुर्थ स्तंभ) पत्रकार रोकेगे रेल,जुल्म के खिलाफ बगावत की रणभेरी

कलम के सिपाही (चतुर्थ स्तंभ) पत्रकार रोकेगे रेल,जुल्म के खिलाफ बगावत  की रणभेरी
                
मऊ(उप्र.) 25 जनवरी 2020 ।। उत्तप्रदेश में कानून -व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। पत्रकारों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।हाल में मऊ के वरिष्ठ पत्रकार के साथ पुलिस के दो सिपाहियों ने आधी रात में रोककर बद्तमीजी की। सूचना विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान पत्र दिखाने के बाद भी उन सिपाहियों ने पत्रकार को टॉर्चर किया। जब पत्रकार ने मऊ के एसपी अनुराग आर्य को उनके सीयूजी नंबर पर फोन लगाया तो  फोन पिक नहीं हुआ उसके बाद पीड़ित ने स्थानीय थाना सरायलखंसी के थानाध्यक्ष को भी कई बार फोन मिलाया लेकिन थानाध्यक्ष महोदय का भी सीयूजी नंबर नहीं उठा। उसके बाद पीड़ित पत्रकार ने मऊ के एडिश्नल एसपी को न्याय की मांग के लिए ज्ञापन दिया। कई दिन बीत जाने के बाद भी पीड़ित पत्रकार ऋषिकेश पांडेय को न्याय नहीं मिला। ज्ञातव्य हो कि २०जनवरी को लूट और हत्या के प्रयास में पीडब्ल्यूडी के डाक बंगला मऊ से दर्जनों जिलों के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि से जुड़े सैकड़ों पत्रकार शांतिपूर्ण ढंग से पुलिस अधीक्षक आवास पहुंचकर प्रभारी पुलिस अधीक्षक एसपी अपर पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र श्रीवास्तव को दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ न्यायसंगत कारवाई करने के लिए पत्रक सौंपा।इसी क्रम में बीते २५जनवरी को भारतीय पत्रकार समन्वय समिति एवं शोसल मीडिया पत्रकार महासंघ की बैठक जनपद मऊ स्थित होटल आरएस पैलेस में राष्ट्रीय प्रभारी सरदार दिलावर सिंह की अध्यक्षता एवं माटी कला बोर्ड के सदस्य हरेंद्र प्रजापति की विशेष मौजूगी में हुई ।साथ ही सर्वसम्मति से सहमति बनी कि *आज* हिंदी दैनिक अखबार मऊ चीफ ब्यूरो *ऋषिकेश पांडेय* को त्रिस्तरीय सुरक्षा मुहैया कराए जाने की पुरजोर एक स्वर में मांग की गई।यदि सुरक्षा की अनदेखी की गई तो *रेल रोको* आंदोलन सभी एकजुट होकर करेंगे।इस गंभीर विषय पर चिंता जताते हुए ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन के संरक्षक डॉ आनंद पांडेय ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पत्रकार के साथ बद्तमीजी करने वाले सिपाहियों पर कार्रवाही नहीं हुई तो ऑल इंडिया जर्नलिस्ट व्यापक आंदोलन करेगा। साथ ही उन्होंने सरकार से पीड़ित पत्रकार को सुरक्षा की मांग की।

अब सवाल ये है कि जब समाज का चौथा स्तंभ ही सुरक्षित नहीं है तो आम जनता की सुरक्षा किसके भरोसे हो रही है।क्या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी के पास जो भयमुक्त  सत्ता शासन का ढिंढोरा पीटते थकते नहीं उक्त गंभीर प्रकरण खाकी वर्दी द्वारा ऐसा दुस्साहस  करने के सम्बन्ध में जबाबदेही के साथ संतोषजनक प्रतिउत्तर मिल पाऐगा यह विचारणीय यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन सच को प्रकाशित कर अपने जीवन में मृत्यु को बेवजह आमंत्रण देने वाला एक प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार अपने आत्मबल के साथ न्याय के लिए अडिग है सोचनीय है एक आम आदमी के साथ शासन का रवैया कैसा होता होगा।