आजमगढ़ में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम को मिट्टी में मिलाने पर तुले योगीराज के अधिकारी!
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम को मिट्टी में मिलाने पर तुले योगीराज के अधिकारी!
अरविंद सिंह
आज़मगढ़ 12 जनवरी 2020 ।। आदर्श नगर पंचायत माहुल आजमगढ़ में 'आदर्श' बस शब्द भर लिखा मिलेगा, पंचायत कहीं से आदर्श नहीं है?
क्या एक 'नगर पंचायत' केवल 'आदर्श' शब्द लिख भर देने से आदर्श बन जाती है ? क्या पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे नायकों के नाम पर योजनाओं का नाम रख भर देने से उस 'अन्त्योदय' और हासिये पर खड़े समाज का भला हो जाएगा ? जिसके लिए दीनदयाल जीवन पर्यंन्त लड़ते रहें ?अगर नहीं तो फिर ''पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत'' बनाने की शासन की आखिर मंशा क्या थी ?क्या है ? क्या एकात्म मानवतावाद के इस नायक के नाम योजना का नाम रख देने भर से योजना और अन्त्योदय के साथ न्याय और उनके जीवन में परिवर्तन आ जाएगा ? अगर ऐसा परिवर्तन नहीं आ रहा है तो योगीराज में ऐसे नायकों के बलिदानों को यूं हीं शर्मिंदा क्यों किया जा रहा है , यह बड़ा सवाल है भाजपा सरकार और उनके नीति नियंताओं से।
बात हो रहीं हैं आजमगढ़ जिला मुख्यालय से सुदूर माहुल क्षेत्र की। स्वतंत्रता आंदोलन में भी जिस भूमि का अदभूत और उल्लेखनीय योगदान रहा है। यह एक नवगठित नगर पंचायत है। 'माहुल' नगर पंचायत को योगीराज में अति महत्वाकांक्षी योजना ''पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत'' के रूप में सितंबर,2018 को चयन किया गया है। यानि यह जनपद की लगभग एक दर्जन नगर पंचायतों में से एक 'आदर्श नगर पंचायत' है अथवा बनेगी। जिससे और भी नगर पंचायतें सीख ले सकें कि नगर का विकास कैसे और किन किन मानकों पर किया जाना चाहिए। यानि इसे एक मानक और उदाहरण के रूप में मिसाल पेश करती नगर पंचायत बनना था। शायद इन्हीं मानकों और शर्तों के आधार पर शासन ने इसे 'आदर्श नगर पंचायत' के रूप में चयनित किया था। लेकिन जब इसकी ज़मीनी हकीक़त देखेंगे तो, यहां 'आदर्श नगर पंचायत' में केवल दीवारों और साइन बोर्ड़ों पर 'आदर्श' शब्द लिखा भर ही मिलेगा, इन शब्दों के मायने दूर दूर तक जमीन पर नहीं। इस आदर्श नगर पंचायत ने कुल इतना ही आदर्श विकास किया है(या बचा है) कि ः-
1- प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय/अपर जिलाधिकारी प्रशासन के निवेदन पत्र और डीपीआर पर शासन ने 18 फरवरी,2019 को नगर पंचायत के खाते में शासन से स्वीकृत कुल बजट का प्रथम किश्त धनराशि 150 लाख रूपया भेज दिया जाता है।जिसका टेंडर कर अधिशासी अधिकारी द्वारा ठेकेदारों को काम बांट दिया जाता है,लेकिन उस काम की प्रगति कि 'अब तक उस काम में क्या हुआ,किन आधारों पर ठेका दिया गया, उसकी कोई रिपोर्ट जिलाधिकारी या प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय को नहीं दी जाती है। या यूं कहें कि इस नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी मनमानी ढंग से सरकारी काम को करते हैं और उच्चाधिकारियों को सूचित करना,प्रगति रिपोर्ट भेजना आदि उन्हें फिजुल लगता है। यह इस आदर्श पंचायत के अधिकारी का उच्च अधिकारियों के साथ विभागीय आचरण और कार्य संस्कृति का आदर्श आचरण है।
2-इस नगर पंचायत ने कुछ और आदर्श विकास किया है।वह यह है कि योगीराज की महत्वाकांक्षी परियोजना ''कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय स्थल योजना'' के अन्तर्गत 'पशु सेल्टर होम' की स्थापना हेतु बिना जमीन उपलब्ध हुए ही जिला प्रशासन की उपेक्षा करते, सीधे शासन को डीपीआर कार्ययोजना भेजकर मार्च-2019 को 159.37 लाख रूपये की प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति प्राप्त कर ली जाती है और जिलाधिकारी की अनुमति लिए बिना, इसका कागजों में टेंडर कर ठेकेदार को कार्यादेश भी जारी कर दिया जाता है। लगभग 9 माह बाद,दिसम्बर, 2019 में (संभवतः जब मौके पर जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी तो) प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय आजमगढ़ को अवगत कराया जाता है।इस प्रकार जिला प्रशासन से तथ्यों और सूचनाओं को छिपाकर सीधे डीपीआर कार्ययोजना भेजकर शासन से धनराशि मंगा लेना,भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना टेंडर और ठेका बांट देना (और वह भी दागी और आरोपी फर्मों को) मात्र मनमानी ढंग से कागजी कार्यवाही नहीं है तो और क्या है जबकि धरातल पर प्रगति शून्य है।
3-स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) जैसे राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रम के अन्तर्गत इस आदर्श नगर पंचायत में 20सीट सार्वजनिक शौचालय, एवं 15 सीट यूरिनल के निर्माण हेतु लगभग 19लाख रूपये आवंटित हुएं,लेकिन राष्ट्र का सर्वोच्च प्राथमिकता का यह कार्यक्रम अभी तक पूरा नहीं हो सका। उसके क्रियान्वयन में घोर लापरवाही बरती गई।
4-सालिडवेस्ट मैनेजमेंट योजना के अन्तर्गत डम्पिंग ग्राउंड निर्माण हेतु भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कूड़ा निस्तारण हेतु एम आर एफ कार्यक्रम के अनुसार मानक निर्माण, आवश्यक उपकरण खरीदने में अब तक कोई पहल या कार्रवाई नहीं की जाती है। जिससे इस नगर का पर्यावरणीय समस्या बद से बदतर होती जा रही है।
5-आदर्श नगर पंचायत माहुल में राजस्व प्राप्ति का वार्षिक लक्ष्य 15.84 लाख रूपया निर्धारित था,जिसका मासिक लक्ष्य 1.58लाख है, लेकिन इस नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी की लापरवाही और राजस्व वसूली में उपेक्षा का परिणाम यह निकलता है कि नवंबर-2019 माह में मात्र 8 हजार ही राजस्व प्राप्ति होती है।यानि अधिशासी अधिकारी द्वारा निकाय की आय बढ़ाने में कोई रूचि नहीं ली जाती है।
महत्वपूर्ण और गौरतलब यह है कि इतने घोर लापरवाही, अनियमितता,मनमानी रवैया और कार्य संस्कृति तथा आचरण में संदिग्धता के बाद भी अधिशासी अधिकारी को 8दिसम्बर-2019 को जिलाधिकारी द्वारा ''कारण बताओ नोटिस'' जारी कर एक पक्ष यानि 17दिसम्बर तक जवाब देने का आदेश जारी होता है, लेकिन इस आदर्श नगर.पंचायत के आदर्श अधिशासी अधिकारी दिनेश चंद्र आर्य द्वारा अब तक कोई जवाब नहीं दिया जाता है।
यह तस्वीर है योगीराज में एक आदर्श नगर पंचायत की जो दुर्भाग्य से महान मानवतावादी नेता,एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर संचालित नगर विकास विभाग की महत्वाकांक्षी योजना '' पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत'' के अंतर्गत चयनित हुआ है। हमारी तो शासन प्रशासन से यही गुजारिश है कि कम से दीनदयाल उपाध्याय जी के आदर्शों और मानकों को तो न लजाओ, उनके अन्त्योदय को शर्मिंदा तो ना करो भाई!
नाम लगाओ तो वैसा काम करके भी तो दिखाओ !
अरविंद सिंह
आज़मगढ़ 12 जनवरी 2020 ।। आदर्श नगर पंचायत माहुल आजमगढ़ में 'आदर्श' बस शब्द भर लिखा मिलेगा, पंचायत कहीं से आदर्श नहीं है?
क्या एक 'नगर पंचायत' केवल 'आदर्श' शब्द लिख भर देने से आदर्श बन जाती है ? क्या पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे नायकों के नाम पर योजनाओं का नाम रख भर देने से उस 'अन्त्योदय' और हासिये पर खड़े समाज का भला हो जाएगा ? जिसके लिए दीनदयाल जीवन पर्यंन्त लड़ते रहें ?अगर नहीं तो फिर ''पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत'' बनाने की शासन की आखिर मंशा क्या थी ?क्या है ? क्या एकात्म मानवतावाद के इस नायक के नाम योजना का नाम रख देने भर से योजना और अन्त्योदय के साथ न्याय और उनके जीवन में परिवर्तन आ जाएगा ? अगर ऐसा परिवर्तन नहीं आ रहा है तो योगीराज में ऐसे नायकों के बलिदानों को यूं हीं शर्मिंदा क्यों किया जा रहा है , यह बड़ा सवाल है भाजपा सरकार और उनके नीति नियंताओं से।
बात हो रहीं हैं आजमगढ़ जिला मुख्यालय से सुदूर माहुल क्षेत्र की। स्वतंत्रता आंदोलन में भी जिस भूमि का अदभूत और उल्लेखनीय योगदान रहा है। यह एक नवगठित नगर पंचायत है। 'माहुल' नगर पंचायत को योगीराज में अति महत्वाकांक्षी योजना ''पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत'' के रूप में सितंबर,2018 को चयन किया गया है। यानि यह जनपद की लगभग एक दर्जन नगर पंचायतों में से एक 'आदर्श नगर पंचायत' है अथवा बनेगी। जिससे और भी नगर पंचायतें सीख ले सकें कि नगर का विकास कैसे और किन किन मानकों पर किया जाना चाहिए। यानि इसे एक मानक और उदाहरण के रूप में मिसाल पेश करती नगर पंचायत बनना था। शायद इन्हीं मानकों और शर्तों के आधार पर शासन ने इसे 'आदर्श नगर पंचायत' के रूप में चयनित किया था। लेकिन जब इसकी ज़मीनी हकीक़त देखेंगे तो, यहां 'आदर्श नगर पंचायत' में केवल दीवारों और साइन बोर्ड़ों पर 'आदर्श' शब्द लिखा भर ही मिलेगा, इन शब्दों के मायने दूर दूर तक जमीन पर नहीं। इस आदर्श नगर पंचायत ने कुल इतना ही आदर्श विकास किया है(या बचा है) कि ः-
1- प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय/अपर जिलाधिकारी प्रशासन के निवेदन पत्र और डीपीआर पर शासन ने 18 फरवरी,2019 को नगर पंचायत के खाते में शासन से स्वीकृत कुल बजट का प्रथम किश्त धनराशि 150 लाख रूपया भेज दिया जाता है।जिसका टेंडर कर अधिशासी अधिकारी द्वारा ठेकेदारों को काम बांट दिया जाता है,लेकिन उस काम की प्रगति कि 'अब तक उस काम में क्या हुआ,किन आधारों पर ठेका दिया गया, उसकी कोई रिपोर्ट जिलाधिकारी या प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय को नहीं दी जाती है। या यूं कहें कि इस नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी मनमानी ढंग से सरकारी काम को करते हैं और उच्चाधिकारियों को सूचित करना,प्रगति रिपोर्ट भेजना आदि उन्हें फिजुल लगता है। यह इस आदर्श पंचायत के अधिकारी का उच्च अधिकारियों के साथ विभागीय आचरण और कार्य संस्कृति का आदर्श आचरण है।
2-इस नगर पंचायत ने कुछ और आदर्श विकास किया है।वह यह है कि योगीराज की महत्वाकांक्षी परियोजना ''कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय स्थल योजना'' के अन्तर्गत 'पशु सेल्टर होम' की स्थापना हेतु बिना जमीन उपलब्ध हुए ही जिला प्रशासन की उपेक्षा करते, सीधे शासन को डीपीआर कार्ययोजना भेजकर मार्च-2019 को 159.37 लाख रूपये की प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति प्राप्त कर ली जाती है और जिलाधिकारी की अनुमति लिए बिना, इसका कागजों में टेंडर कर ठेकेदार को कार्यादेश भी जारी कर दिया जाता है। लगभग 9 माह बाद,दिसम्बर, 2019 में (संभवतः जब मौके पर जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी तो) प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय आजमगढ़ को अवगत कराया जाता है।इस प्रकार जिला प्रशासन से तथ्यों और सूचनाओं को छिपाकर सीधे डीपीआर कार्ययोजना भेजकर शासन से धनराशि मंगा लेना,भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना टेंडर और ठेका बांट देना (और वह भी दागी और आरोपी फर्मों को) मात्र मनमानी ढंग से कागजी कार्यवाही नहीं है तो और क्या है जबकि धरातल पर प्रगति शून्य है।
3-स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) जैसे राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रम के अन्तर्गत इस आदर्श नगर पंचायत में 20सीट सार्वजनिक शौचालय, एवं 15 सीट यूरिनल के निर्माण हेतु लगभग 19लाख रूपये आवंटित हुएं,लेकिन राष्ट्र का सर्वोच्च प्राथमिकता का यह कार्यक्रम अभी तक पूरा नहीं हो सका। उसके क्रियान्वयन में घोर लापरवाही बरती गई।
4-सालिडवेस्ट मैनेजमेंट योजना के अन्तर्गत डम्पिंग ग्राउंड निर्माण हेतु भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कूड़ा निस्तारण हेतु एम आर एफ कार्यक्रम के अनुसार मानक निर्माण, आवश्यक उपकरण खरीदने में अब तक कोई पहल या कार्रवाई नहीं की जाती है। जिससे इस नगर का पर्यावरणीय समस्या बद से बदतर होती जा रही है।
5-आदर्श नगर पंचायत माहुल में राजस्व प्राप्ति का वार्षिक लक्ष्य 15.84 लाख रूपया निर्धारित था,जिसका मासिक लक्ष्य 1.58लाख है, लेकिन इस नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी की लापरवाही और राजस्व वसूली में उपेक्षा का परिणाम यह निकलता है कि नवंबर-2019 माह में मात्र 8 हजार ही राजस्व प्राप्ति होती है।यानि अधिशासी अधिकारी द्वारा निकाय की आय बढ़ाने में कोई रूचि नहीं ली जाती है।
महत्वपूर्ण और गौरतलब यह है कि इतने घोर लापरवाही, अनियमितता,मनमानी रवैया और कार्य संस्कृति तथा आचरण में संदिग्धता के बाद भी अधिशासी अधिकारी को 8दिसम्बर-2019 को जिलाधिकारी द्वारा ''कारण बताओ नोटिस'' जारी कर एक पक्ष यानि 17दिसम्बर तक जवाब देने का आदेश जारी होता है, लेकिन इस आदर्श नगर.पंचायत के आदर्श अधिशासी अधिकारी दिनेश चंद्र आर्य द्वारा अब तक कोई जवाब नहीं दिया जाता है।
यह तस्वीर है योगीराज में एक आदर्श नगर पंचायत की जो दुर्भाग्य से महान मानवतावादी नेता,एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर संचालित नगर विकास विभाग की महत्वाकांक्षी योजना '' पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत'' के अंतर्गत चयनित हुआ है। हमारी तो शासन प्रशासन से यही गुजारिश है कि कम से दीनदयाल उपाध्याय जी के आदर्शों और मानकों को तो न लजाओ, उनके अन्त्योदय को शर्मिंदा तो ना करो भाई!
नाम लगाओ तो वैसा काम करके भी तो दिखाओ !