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अब जल सीमा में भी दुश्मनों की खैर नही : भारत ने किया आईएनएस अरिहंत से परमाणु क्षमता से युक्त बैलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण,मारक क्षमता 3500 किमी

अब जल सीमा में भी दुश्मनों की खैर नही : भारत ने किया आईएनएस अरिहंत से  परमाणु क्षमता से युक्त बैलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण,मारकक्षमता 3500 किमी
ए कुमार

नई दिल्ली 20 जनवरी 2020 ।। पनडुब्बियों से दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने की अपनी क्षमताओं को और मजबूत करते हुए रविवार को के-4 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के समुद्र तट पर भारत ने पनडुब्बी से लॉन्च हुए परमाणु शक्ति से लैस K-4 बलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस परीक्षण को दिन के वक्त समुद्र में अंडरवॉटर प्लेटफॉर्म से किया गया। इस घातक मिसाइल को डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) ने विकसित किया है और इसे अरिहंत क्लास न्यूक्लियर सबमरीन पर तैनात किया जाना है।
न्यूक्लियर सबमरीन पर इस मिसाइल की तैनाती से पहले भारत इसके अभी कई परीक्षण कर सकता है। फिलहाल इंडियन नेवी के पास आईएनएस अरिहंत ही ऐसा इकलौता पोत है, जो परमाणु क्षमता से लैस है। K-4 भारत द्वारा अपने सबमरीन फोर्स के लिए विकसित की जा रहीं 2 अंडरवॉटर मिसाइलों में से एक है। दूसरी ऐसी मिसाइल BO-5 है, जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से ज्यादा है।

समुद्र के अंदर परीक्षण : इस सबमरीन (पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली) मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। मिसाइल का परीक्षण दिन में समुद्र के अंदर मौजूद प्लेटफॉर्म से किया गया।
दो स्वदेशी मिसाइलों में से एक : के-4 पानी के नीचे चलने वाली उन दो स्वदेशी मिसाइल में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है। 
क्या होती है बैलिस्टिक मिसाइल : जब किसी मिसाइल के साथ दिशा बताने वाला यंत्र लगा दिया जाता है, तो वह बैलिस्टिक मिसाइल बन जाती है। इस मिसाइल को जब अपने स्थान से छोड़ा जाता है या दागा जाता है तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर जाकर गिरती है। ऐसी मिसाइलों में बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों को ले जाने की क्षमता होती है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि, और धनुष जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल थी ए4 : इतिहास में सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल नाजी जर्मनी ने 1930 से 1940 के मध्य में विकसित की थी। यह कार्य रॉकेट वैज्ञानिक वेन्हेर्र वॉन ब्राउन की देखरेख में हुआ था। यह सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल ए4 थी, जिसे दूसरे शब्दों में वी-2 रॉकेट के नाम से भी जाना जाता है। इसका परीक्षण तीन अक्टूबर 1942 को हुआ था।
के-4 की विशेषताएं
200 किलो वजनी परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम।
दुश्मन के रडार पर मिसाइल आसानी से नहीं आती।
पनडुब्बी से छोड़ी जा सकती है के-4 मिसाइल।