बलिया में 17 से 29 फरवरी तक चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान :लगभग 29 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य
बलिया में 17 से 29 फरवरी तक चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान :लगभग 29 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य
बलिया, 07 फरवरी 2020 ।। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 17 से 29 फरवरी 2020 तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत जनपद में लगभग 29 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा (डीईसी और एल्बेण्डाज़ोल) उनके वजन और आयु के आधार पर खिलाई जाएगी। यह जानकारी कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी नीलोत्पल कुमार ने दी।
कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान माइक्रो फाइलेरिया स्वस्थ दिखने वाले लोगों में 9 से 26 फीसदी तक पाया गया है जो कि 8 से 10 साल बाद हाथीपाँव एवं हाइड्रोसील के रूप में उभरकर सामने आता है। इस रोग का संक्रमण अधिकतर स्कूल जाने वाली आयु में होता है। फाइलेरिया के कीटाणु शरीर के लसिका तंत्र को कमजोर कर देते हैं। वहीं सही समय में इस संक्रमण का इलाज नहीं किया जाए तो बाद में संक्रमण बढ़ जाता है जिसकी वजह से शरीर के अंग असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं।
नीलोत्पल कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यता हाथीपाँव के नाम से जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे कईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। फाइलेरिया न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है जिसके तहत 17 से 29 फरवरी तक घर-घर जाकर दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाएगी।
बलिया, 07 फरवरी 2020 ।। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 17 से 29 फरवरी 2020 तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत जनपद में लगभग 29 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा (डीईसी और एल्बेण्डाज़ोल) उनके वजन और आयु के आधार पर खिलाई जाएगी। यह जानकारी कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी नीलोत्पल कुमार ने दी।
कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान माइक्रो फाइलेरिया स्वस्थ दिखने वाले लोगों में 9 से 26 फीसदी तक पाया गया है जो कि 8 से 10 साल बाद हाथीपाँव एवं हाइड्रोसील के रूप में उभरकर सामने आता है। इस रोग का संक्रमण अधिकतर स्कूल जाने वाली आयु में होता है। फाइलेरिया के कीटाणु शरीर के लसिका तंत्र को कमजोर कर देते हैं। वहीं सही समय में इस संक्रमण का इलाज नहीं किया जाए तो बाद में संक्रमण बढ़ जाता है जिसकी वजह से शरीर के अंग असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं।
नीलोत्पल कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यता हाथीपाँव के नाम से जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे कईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। फाइलेरिया न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है जिसके तहत 17 से 29 फरवरी तक घर-घर जाकर दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाएगी।