बलिया : डा०गणेश पाठक राष्ट्रीय सेमिनार में व्याख्यान देने हेतु मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित
बलिया : डा०गणेश पाठक राष्ट्रीय सेमिनार में व्याख्यान देने हेतु मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बलिया 22 फरवरी 2020 ।। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक को 'भीम राव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर' में 23 - 24 फरवरी, 2020 को " सतत विकास हेतु पर्यावरणीय संतुलन आवश्यक" नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की अध्यक्षता करने हेतु एवं मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया गया है, जिससे एक बार पुनः बलिया गौरवान्वित हुआ है।
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी डा० पाठक को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले अनेक सेमिनारों एवं अधिवेशनों में अध्यक्षता कर चुके हैं एवं व्याख्यान दे चुके हैं। डा० पाठक सतत अपनी लेखनी से पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु तत्पर रहते हैं एवं जनजागरूकता करते रहते हैं। डा० पाठक न केवल अपनी लेखनी से अपितु धरातलीय स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कार्यक्रमों जैसे- वृक्षारोपण, स्वचछता अभियान, प्रदूषण निवारण, गंगा बचाओ अभियान आदि कार्यों में सहभागिता निभाते हुए जनजागरूकता पैदाकर पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को संरक्षित करने में अपना अहम् योगदान प्रदान करते रहे हैं। यही कारण है कि आज बलिया ही नहीं पूरे उत्तर भारत में डा० पाठक की पहचान एक क्रियाशील भूगोलवेत्ता के साथ - साथ एक पर्यावरणविद् के रुपमें भी अपनी पहचान बना चुके हैं।
डा० पाठक जिला गंगा समिति एवं जिला पर्यावरण समिति में भी शासन द्वारा नामित होकर 'गंगा जल संरक्षण' पर सेमिनार का आयोजन कर चुके हैं तथा गंगा के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु सतत क्रियाशील रहते हुए जनजागरूकता में लगे हुए हैं।
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बलिया 22 फरवरी 2020 ।। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक को 'भीम राव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर' में 23 - 24 फरवरी, 2020 को " सतत विकास हेतु पर्यावरणीय संतुलन आवश्यक" नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की अध्यक्षता करने हेतु एवं मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया गया है, जिससे एक बार पुनः बलिया गौरवान्वित हुआ है।
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी डा० पाठक को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले अनेक सेमिनारों एवं अधिवेशनों में अध्यक्षता कर चुके हैं एवं व्याख्यान दे चुके हैं। डा० पाठक सतत अपनी लेखनी से पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु तत्पर रहते हैं एवं जनजागरूकता करते रहते हैं। डा० पाठक न केवल अपनी लेखनी से अपितु धरातलीय स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कार्यक्रमों जैसे- वृक्षारोपण, स्वचछता अभियान, प्रदूषण निवारण, गंगा बचाओ अभियान आदि कार्यों में सहभागिता निभाते हुए जनजागरूकता पैदाकर पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को संरक्षित करने में अपना अहम् योगदान प्रदान करते रहे हैं। यही कारण है कि आज बलिया ही नहीं पूरे उत्तर भारत में डा० पाठक की पहचान एक क्रियाशील भूगोलवेत्ता के साथ - साथ एक पर्यावरणविद् के रुपमें भी अपनी पहचान बना चुके हैं।
डा० पाठक जिला गंगा समिति एवं जिला पर्यावरण समिति में भी शासन द्वारा नामित होकर 'गंगा जल संरक्षण' पर सेमिनार का आयोजन कर चुके हैं तथा गंगा के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण हेतु सतत क्रियाशील रहते हुए जनजागरूकता में लगे हुए हैं।