नईदिल्ली : विश्व का आठवां अजूबा होगा अयोध्या का श्रीराम लला का मंदिर
नईदिल्ली : विश्व का आठवां अजूबा होगा अयोध्या का श्रीराम लला का मंदिर
नईदिल्ली 24 फरवरी 2020 ।। देश के कई भव्य मंदिरों के वास्तुकार और रामलला मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा कि राम मंदिर को बहुमंजिला बनाने का निर्णय होता है तो वह उसके लिए डिजाइन में बदलाव के लिए तैयार हैं। सोमपुरा ने कहा कि राममंदिर का प्रारूप जिस तरह का है वैसा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं है। जिस तरह तीर्थ स्थल विकास पर तैयारी हो रही है इसमें कोई शक नहीं कि यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण होगा। चंद्रकांत सोमपुरा ने अमरीश कुमार त्रिवेदी से राम मंदिर के डिजाइन से जुड़ी हर एक बारीकी पर विस्तार से चर्चा की।
क्या मंदिर को दो-तीन मंजिला बनाया जा सकता है?
अगर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट निर्देश देती है तो मंदिर को दो से तीन मंजिला बनाया जा सकता है और इसके लिए डिजाइन में परिवर्तन करने को वह तैयार हैं। इससे मंदिर की भव्यता में कोई फर्क नहीं आएगा। द्वारका मंदिर सात मंजिला है और देश-दुनिया विदेश के उत्कृष्ट मंदिरों में से एक है। मंदिर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दर्शनाथियों को कठिनाई नहीं होगी। मूर्ति तो एक जगह रहेगी।
अगर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट निर्देश देती है तो मंदिर को दो से तीन मंजिला बनाया जा सकता है और इसके लिए डिजाइन में परिवर्तन करने को वह तैयार हैं। इससे मंदिर की भव्यता में कोई फर्क नहीं आएगा। द्वारका मंदिर सात मंजिला है और देश-दुनिया विदेश के उत्कृष्ट मंदिरों में से एक है। मंदिर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दर्शनाथियों को कठिनाई नहीं होगी। मूर्ति तो एक जगह रहेगी।
मंदिर परिसर का विस्तार हो तो नया डिजाइन क्या होगा?
अगर मंदिर परिसर क्षेत्र को 67 एकड़ की जगह 100-1200 एकड़ में विस्तारित कर दिया जाए और हम उस हिसाब से मंदिर निर्माण का नया डिजाइन तैयार कर देंगे। ट्रस्ट का निर्देश मिलने के 15 दिन के भीतर ही हम डिजाइन में बदलाव के साथ नया मास्टरप्लान तैयार कर देंगे। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुरूप स्थापत्य कला, निर्माण शैली में पूरा बदलाव किया जा सकता है।
अगर मंदिर परिसर क्षेत्र को 67 एकड़ की जगह 100-1200 एकड़ में विस्तारित कर दिया जाए और हम उस हिसाब से मंदिर निर्माण का नया डिजाइन तैयार कर देंगे। ट्रस्ट का निर्देश मिलने के 15 दिन के भीतर ही हम डिजाइन में बदलाव के साथ नया मास्टरप्लान तैयार कर देंगे। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुरूप स्थापत्य कला, निर्माण शैली में पूरा बदलाव किया जा सकता है।
मंदिर निर्माण में कितनी लागत आएगी?
मंदिर के मौजूदा डिजाइन के हिसाब से करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च बढ़ सकता है। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समयसीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की जरूरत होगी।
मंदिर के मौजूदा डिजाइन के हिसाब से करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च बढ़ सकता है। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समयसीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की जरूरत होगी।
मंदिर निर्माण में कितना वक्त और लगेगा?
मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के दो साल के भीतर इसे पूरा किया जा सकता है, लेकिन अभी यह ट्रस्ट को तय करना है कि कितना जमीर पर मंदिर बनेगा। कितनी जगह में अन्य सुविधाएं विकसित होंगी। बजट, संसाधन, तकनीक और जिम्मेदारी जितनी जल्दी तय होगी, उतनी जल्दी निर्माण कार्य हो सकती है। वहीं, पूरे तीर्थ स्थल को विकसित करने के लिए टाउन प्लानिंग की जरूरत होगी। सरकार, ट्रस्ट और प्रशासनिक अमले को पूरे तीर्थ स्थल का खाका तैयार करने के साथ तय करना है कि किसे क्या जिम्मेदारी दी जाए। अहमदाबाद में 27 छोटे मंदिर का निर्माण कार्य तो हमने 15 महीने में पूरा कर दिया था। गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर हैं तो काफी लंबा चला था, क्योंकि एक साथ बजट नहीं मिला।
मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के दो साल के भीतर इसे पूरा किया जा सकता है, लेकिन अभी यह ट्रस्ट को तय करना है कि कितना जमीर पर मंदिर बनेगा। कितनी जगह में अन्य सुविधाएं विकसित होंगी। बजट, संसाधन, तकनीक और जिम्मेदारी जितनी जल्दी तय होगी, उतनी जल्दी निर्माण कार्य हो सकती है। वहीं, पूरे तीर्थ स्थल को विकसित करने के लिए टाउन प्लानिंग की जरूरत होगी। सरकार, ट्रस्ट और प्रशासनिक अमले को पूरे तीर्थ स्थल का खाका तैयार करने के साथ तय करना है कि किसे क्या जिम्मेदारी दी जाए। अहमदाबाद में 27 छोटे मंदिर का निर्माण कार्य तो हमने 15 महीने में पूरा कर दिया था। गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर हैं तो काफी लंबा चला था, क्योंकि एक साथ बजट नहीं मिला।
क्या भगवान राम की सबसे ऊंची मूर्ती बनेगी?
भगवान राम की प्रतिमा की ऊंचाई तय करना हमारा काम नहीं है। यह 100-200 फीट या इससे ज्यादा हो सकती है। हम मूर्ति को केंद्र में रखकर मंदिर निर्माण कार्य शुरू कर देंगे। हम मूर्ति के आकार, वास्तु के हिसाब से चीजें तय कर देंगे।
भगवान राम की प्रतिमा की ऊंचाई तय करना हमारा काम नहीं है। यह 100-200 फीट या इससे ज्यादा हो सकती है। हम मूर्ति को केंद्र में रखकर मंदिर निर्माण कार्य शुरू कर देंगे। हम मूर्ति के आकार, वास्तु के हिसाब से चीजें तय कर देंगे।
पुराने पत्थरों के इस्तेमाल में दिक्कत तो नहीं?
मंदिर में पुराने तराशे हुए पत्थर का इस्तेमाल किया जा सकता है और इसमें समय भी कम लगेगा। 100 क्या 500 साल पुराना पत्थर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मंदिर की मजबूती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मंदिर में पुराने तराशे हुए पत्थर का इस्तेमाल किया जा सकता है और इसमें समय भी कम लगेगा। 100 क्या 500 साल पुराना पत्थर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मंदिर की मजबूती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या राम की पूरी गौरवगाथा दिखाई जा सकत है?
मंदिर की मुख्य इमारत के अलावा राम की पूरी कहानी को भी मूर्त रूप दिया जा सकता है। हमने गुजरात में अक्षरधाम कॉरिडोर इसी तर्ज पर तैयार किया था।
मंदिर की मुख्य इमारत के अलावा राम की पूरी कहानी को भी मूर्त रूप दिया जा सकता है। हमने गुजरात में अक्षरधाम कॉरिडोर इसी तर्ज पर तैयार किया था।
परिक्रमा पथ बढ़ाने के साथ शिखर की ऊंचाई 128 फीट से ज्यादा की जा सकती है?
देखिए नागरशैली में तैयार मंदिर के मौजूदा नक्शे में परिक्रमा पथ, मंदिर के शिखर के लिए जो भी मानक तय किए गए हैं, उसमें बदलाव संभव हैं। लेकिन यह निर्भर करेगा कि हमें मुख्य मंदिर के निर्माण के लिए कितनी जमीन मिलती है। तिरुपति बालाजी की तर्ज पर बाहरी परिक्रमा पथ भी इसी पर निर्भर करता है।
देखिए नागरशैली में तैयार मंदिर के मौजूदा नक्शे में परिक्रमा पथ, मंदिर के शिखर के लिए जो भी मानक तय किए गए हैं, उसमें बदलाव संभव हैं। लेकिन यह निर्भर करेगा कि हमें मुख्य मंदिर के निर्माण के लिए कितनी जमीन मिलती है। तिरुपति बालाजी की तर्ज पर बाहरी परिक्रमा पथ भी इसी पर निर्भर करता है।
आरती दर्शन के लिए क्या रंगमंडप का आकार बढ़ाया जा सकता है?
एक साथ करीब 20 हजार भक्तों द्वारा आरती दर्शन की व्यवस्थआ मौजूदा नक्शे में भी है। इसे जरूरत के हिसाब से और बड़ा किया जाना संभव है। अगर आकार बढ़ता है तो यह संख्या और बढ़ जाएगी।
एक साथ करीब 20 हजार भक्तों द्वारा आरती दर्शन की व्यवस्थआ मौजूदा नक्शे में भी है। इसे जरूरत के हिसाब से और बड़ा किया जाना संभव है। अगर आकार बढ़ता है तो यह संख्या और बढ़ जाएगी।
(साभार)
नईदिल्ली : विश्व का आठवां अजूबा होगा अयोध्या का श्रीराम लला का मंदिर
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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February 24, 2020
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