अगर करोना से पूर्वोतत्तर भारत को रखना है महफूज तो गोरखपुर मेडिकल कालेज के वायरालाजी लॆब का शीघ्र " हाइटेक" होना जरूरी :डॉ आर्यन सिंह
अगर करोना से पूर्वोतत्तर भारत को रखना है महफूज तो गोरखपुर मेडिकल कालेज के वायरालाजी लॆब का शीघ्र " हाइटेक" होना जरूरी
ए कुमार
गोरखपुर 19 फरवरी 2020 ।। बीआरडी मेडिकल कालेज में एंसेफ्लाइटिस उन्मूलन अभियान के अनवरत संघर्षों ,तत्कालीन सांसद श्री योगी जी के लोकसभा में सशक्त आवाज उढाने के बाद २००७ में एन आइ वी ,पुने की एक शाखा गोरखपुर के मेडिकल कालेज में खुली जो एंसेफ्लाइटिस के जीवाणुओंं की खोज,रोकथाम का कार्य करता है ।
विदित हो कि देश की एक तिहाई आबादी के लिये मात्र यही एक संस्थान है जहां विषाणु संबंधित महामारियों की जांच हो सकती है। जैसे जापानी एंसेफ्लाइटिस, एंट्रो वायरल एंसेफ्लाइटिस, स्क्ब टायफस( जीवाणु) व अन्य विषाणु। आज की जरूरत है कि करोना वायरस व वेस्ट नील आदि की तत्काल जांच के लिये इस संस्थान को उच्चीक्रित किया जाय। इससे इंडो- नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश,हिमांचल प्रदेश,उत्तराखंड,बिहार असम आदि के संभावित/ संक्रमित नागरिकों की जांच आसानी से व कम समय में ,सही रूप से हो सकेगी। यह मांग गोरखपुर में एंसेफ्लाइटिस उन्मूलन के लिये जागरूकता छेड़ने के लिये सुविख्यात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आर्यन सिंह ने उठायी है । डॉ सिंह के अनुसार अभी करोना की वायरालोजिकल जांच के लिये इन तमाम प्रदेशों से सैंपल एन आइ वी ,पुने भेजना पड़ता है। इस में सेंपल लेने, इसे पुने भेजने, पुने में जांच होने व जांच की रिपोर्ट आने में कम से कम पांच छः दिन लग जाते हैं।फिर इतने दिन तक वायरस की रिपोर्ट सही आती है या नहीं, व तत्काल रिपोर्ट न मिल पाने के कारण अपातकाल में बहुत दिक्कत होती है। इस लिये गोरखपुर की ही वायरालाजी लैब को हाइटेक बना देना अति आवश्यक होगा, वह भी अति शीघ्र। जिससे वायरस की जांच यहीं हो जाय।
एंसेफ्लाइटिस के खिलाफ डॉ सिंह द्वारा संचालित मिशन सेव इन इंडिया का देश की एक तिहाई आबादी की सेहत व उनकी सलामती के लिये यही अनुरोध है।
डॉ सिंह ने कहा कि जहां तक लैब को हाइटेक करने के लिये फंड की बात है तो वह भी कोई समस्या नहीं है। विदित हो कि तेरह अगस्त १९१७ को मुख्यमंत्री योगी जी ,उत्तर प्रदेश के आह्वान पर तत्कालीन केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा जी(अब राष्ट्रीय अध्यक्ष) ने एंसेफ्लाइटिस व अन्य विषाणुजनित महामारियों के शोध व लैब को उच्चीक्रित करने के मद में 85 करोड़ रूपये की धनराशि देने की घोषणा की थी। उस आवंटित धन के उपयोग का आज यही सही समय है। इससे करोना वायरस की जांच यहीं गोरखपुर में ही हो जायेगी। नेपाल बार्डर से सटे होने के कारण व करोना को नियंत्रित रखने में गोरखपुर में हीें जांच हो पाने पर उत्तर प्रदेश बिहार असम बंगाल आदि तमाम प्रदेशों सहित देश की लगभग एक तिहाई आबादी को बहुत सहूलियत होगी।
कहा कि भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार से सादर अनुरोध है कि देश की एक तिहाई आबादी की सेहत व जिंदगी की हिफाजत के लिये अतिशीघ्र गोरखपुर स्थित वायरालोजी लैब को उच्चीक्रित करने की महती कृपा करें। करोना व एंसेफ्लाइटिस पर अंकुश के लिये यह एक जरूरी कदम होगा।
ए कुमार
गोरखपुर 19 फरवरी 2020 ।। बीआरडी मेडिकल कालेज में एंसेफ्लाइटिस उन्मूलन अभियान के अनवरत संघर्षों ,तत्कालीन सांसद श्री योगी जी के लोकसभा में सशक्त आवाज उढाने के बाद २००७ में एन आइ वी ,पुने की एक शाखा गोरखपुर के मेडिकल कालेज में खुली जो एंसेफ्लाइटिस के जीवाणुओंं की खोज,रोकथाम का कार्य करता है ।
विदित हो कि देश की एक तिहाई आबादी के लिये मात्र यही एक संस्थान है जहां विषाणु संबंधित महामारियों की जांच हो सकती है। जैसे जापानी एंसेफ्लाइटिस, एंट्रो वायरल एंसेफ्लाइटिस, स्क्ब टायफस( जीवाणु) व अन्य विषाणु। आज की जरूरत है कि करोना वायरस व वेस्ट नील आदि की तत्काल जांच के लिये इस संस्थान को उच्चीक्रित किया जाय। इससे इंडो- नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश,हिमांचल प्रदेश,उत्तराखंड,बिहार असम आदि के संभावित/ संक्रमित नागरिकों की जांच आसानी से व कम समय में ,सही रूप से हो सकेगी। यह मांग गोरखपुर में एंसेफ्लाइटिस उन्मूलन के लिये जागरूकता छेड़ने के लिये सुविख्यात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आर्यन सिंह ने उठायी है । डॉ सिंह के अनुसार अभी करोना की वायरालोजिकल जांच के लिये इन तमाम प्रदेशों से सैंपल एन आइ वी ,पुने भेजना पड़ता है। इस में सेंपल लेने, इसे पुने भेजने, पुने में जांच होने व जांच की रिपोर्ट आने में कम से कम पांच छः दिन लग जाते हैं।फिर इतने दिन तक वायरस की रिपोर्ट सही आती है या नहीं, व तत्काल रिपोर्ट न मिल पाने के कारण अपातकाल में बहुत दिक्कत होती है। इस लिये गोरखपुर की ही वायरालाजी लैब को हाइटेक बना देना अति आवश्यक होगा, वह भी अति शीघ्र। जिससे वायरस की जांच यहीं हो जाय।
एंसेफ्लाइटिस के खिलाफ डॉ सिंह द्वारा संचालित मिशन सेव इन इंडिया का देश की एक तिहाई आबादी की सेहत व उनकी सलामती के लिये यही अनुरोध है।
डॉ सिंह ने कहा कि जहां तक लैब को हाइटेक करने के लिये फंड की बात है तो वह भी कोई समस्या नहीं है। विदित हो कि तेरह अगस्त १९१७ को मुख्यमंत्री योगी जी ,उत्तर प्रदेश के आह्वान पर तत्कालीन केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा जी(अब राष्ट्रीय अध्यक्ष) ने एंसेफ्लाइटिस व अन्य विषाणुजनित महामारियों के शोध व लैब को उच्चीक्रित करने के मद में 85 करोड़ रूपये की धनराशि देने की घोषणा की थी। उस आवंटित धन के उपयोग का आज यही सही समय है। इससे करोना वायरस की जांच यहीं गोरखपुर में ही हो जायेगी। नेपाल बार्डर से सटे होने के कारण व करोना को नियंत्रित रखने में गोरखपुर में हीें जांच हो पाने पर उत्तर प्रदेश बिहार असम बंगाल आदि तमाम प्रदेशों सहित देश की लगभग एक तिहाई आबादी को बहुत सहूलियत होगी।
कहा कि भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार से सादर अनुरोध है कि देश की एक तिहाई आबादी की सेहत व जिंदगी की हिफाजत के लिये अतिशीघ्र गोरखपुर स्थित वायरालोजी लैब को उच्चीक्रित करने की महती कृपा करें। करोना व एंसेफ्लाइटिस पर अंकुश के लिये यह एक जरूरी कदम होगा।