ललितपुर में सिचाई विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का हुआ पर्दाफाश,किसानों को मिलने वाले मुआवजे में हुआ घोटाला
ललितपुर में सिचाई विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का हुआ पर्दाफाश,किसानों को मिलने वाले मुआवजे में हुआ घोटाला
ए कुमार
ललितपुर 25 फरवरी 2020 ।। सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला सामने आया है । कचनोंदा बांध भ्रष्टाचारियों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गया है । प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी दावे को सिचाई विभाग के अधिकारियों ने पलीता लगाया है । उत्तर प्रदेश के जनपद ललितपुर को वैसे तो सबसे ज्यादा बाँधों वाले जनपद का दर्जा प्राप्त है।
राजघाट, माताटीला और शहर के किनारे स्थित गोविंद सागर जैसे बड़े बाँधों सहित लगभग 8 बाँध मौजूद हैं।
जो सरकार की किसानों के प्रति संवेदनशील मंशा को दर्शाता है।लेकिन जनपद के भ्रष्ट सरकारी तंत्र की बात करें तो सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारी अपने भ्रष्ट आचरण के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
हाल ही में एक ताजा मामला सामने आया है। जिसमें सिंचाई विभाग ने एक करोड़ छत्तीस लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान कर पैसे का बन्दर बाँट कर लिया। जिसका खुलासा मीडिया के सहयोग से एक सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश तिवारी ने किया। उजागर हुए मामले में मीडिया के सहयोग का हवाला देते हुए जगदीश तिवारी ने भ्रष्टाचारियों को बेनकाब किया है।
जगदीश तिवारी ने बताया कि सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए जिस कचनोंदा बाँध परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों की भूमि अधिग्रहण कर किसानों को उचित मुआवजा देने और पुनर्वास नीति के तहत सामुहिक रूप से जमीन मुहैया कराने की जिम्मेदारी जिस सिंचाई विभाग खण्ड तृतीय को सौंपी गई थीं ,उसी ने परियोजना में घालमेल कर शुरूआत से ही किसानों को दिये जाने वाले मुआवजे पर भ्रष्टाचार रूपी ग्रहण लगा दिया।
किसानों को हो रही समस्याओं और भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत जगदीश तिवारी ने जनपद से लेकर प्रदेश स्तर के अधिकारियों से की लेकिन रसूखदार भ्रष्टाचारियों का खेल जारी रहा। पढे लिखे, लालची, रसूखदार चंद किसानों के साथ मिलकर राजस्व विभाग व सिंचाई विभाग के भृष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने कचनोंदा बाँध परियोजना को सोने की अंडा देने वाली मुर्गी बना डाला।
जगदीश तिवारी ने कहा कि कचनोंदा बाँध परियोजना में भूमि अधिग्रहण के नाम पर छोटे किसानों को परेशान किया जाता रहा है।
वहीं गाँव टीकरा तिवारी के प्रधान पर भी जगदीश तिवारी ने तमाम भ्रष्टाचार व दलाली जैसे आरोप लगाते हुए बताया है कि जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के तमाम भ्रष्टाचार में का हाथ है जो कागजी हेरफेर में राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ करोड़ों रुपये का घपला कर चुका है । फिलहाल गाँव के प्रधान जेल की हवा खा रहे हैं।
मुआवजे को लेकर लगातार हो रहे भ्रष्टाचारियों की शिकायत मय साक्ष्यों के साथ जगदीश द्वारा पत्राचार के माध्यम से जनपद व प्रदेश स्तर पर की गई।
लेकिन भ्रष्टाचारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह हर चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
लेकिन जगदीश तिवारी ने भी भ्रस्टाचारियों के खिलाफ कमर कस रखी है।इस मामले को उजागर करने के लिए उन्होंने मीडिया के साथ साथ कानून का सहारा लिया और करीब एक साल लड़ाई जारी रखी।आखिरकार कोर्ट ने तारीख 16 जनवरी 2020 को जगदीश तिवारी के पक्ष में फैसला सुनाया और उस जमीनी पट्टे को गलत ठहराया । जिस जमीन के अधिग्रहण के नाम पर किसान हरप्रसाद के साथियों , सिंचाई विभाग व राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक करोड़ छत्तीस लाख रुपये का बंदरबाँट किया कोर्ट ने इस मामले में सभी दोषी व्यक्तियों/अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आख्या न्यायालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है।
इस फैसले से भ्रष्टाचारियों में हड़कम्प मचा हुआ है।
ऐसे भ्रस्टाचारियों के खिलाफ जगदीश तिवारी की जंग जारी है। समाजसेवी जगदीश तिवारी की इस जंग में मीडिया के साथ साथ उन ईमानदार अधिकारियों ने अपना कर्तव्य निभाया।जिसके चलते भ्रष्टाचारियों में भय का माहौल पैदा हुआ है।अब देखना होगा कि आखिर कब तक भ्रष्टाचार के ऊपर कानूनी डंडा चलेगा ?
ए कुमार
ललितपुर 25 फरवरी 2020 ।। सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला सामने आया है । कचनोंदा बांध भ्रष्टाचारियों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गया है । प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी दावे को सिचाई विभाग के अधिकारियों ने पलीता लगाया है । उत्तर प्रदेश के जनपद ललितपुर को वैसे तो सबसे ज्यादा बाँधों वाले जनपद का दर्जा प्राप्त है।
राजघाट, माताटीला और शहर के किनारे स्थित गोविंद सागर जैसे बड़े बाँधों सहित लगभग 8 बाँध मौजूद हैं।
जो सरकार की किसानों के प्रति संवेदनशील मंशा को दर्शाता है।लेकिन जनपद के भ्रष्ट सरकारी तंत्र की बात करें तो सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारी अपने भ्रष्ट आचरण के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
हाल ही में एक ताजा मामला सामने आया है। जिसमें सिंचाई विभाग ने एक करोड़ छत्तीस लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान कर पैसे का बन्दर बाँट कर लिया। जिसका खुलासा मीडिया के सहयोग से एक सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश तिवारी ने किया। उजागर हुए मामले में मीडिया के सहयोग का हवाला देते हुए जगदीश तिवारी ने भ्रष्टाचारियों को बेनकाब किया है।
जगदीश तिवारी ने बताया कि सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए जिस कचनोंदा बाँध परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों की भूमि अधिग्रहण कर किसानों को उचित मुआवजा देने और पुनर्वास नीति के तहत सामुहिक रूप से जमीन मुहैया कराने की जिम्मेदारी जिस सिंचाई विभाग खण्ड तृतीय को सौंपी गई थीं ,उसी ने परियोजना में घालमेल कर शुरूआत से ही किसानों को दिये जाने वाले मुआवजे पर भ्रष्टाचार रूपी ग्रहण लगा दिया।
किसानों को हो रही समस्याओं और भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत जगदीश तिवारी ने जनपद से लेकर प्रदेश स्तर के अधिकारियों से की लेकिन रसूखदार भ्रष्टाचारियों का खेल जारी रहा। पढे लिखे, लालची, रसूखदार चंद किसानों के साथ मिलकर राजस्व विभाग व सिंचाई विभाग के भृष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने कचनोंदा बाँध परियोजना को सोने की अंडा देने वाली मुर्गी बना डाला।
जगदीश तिवारी ने कहा कि कचनोंदा बाँध परियोजना में भूमि अधिग्रहण के नाम पर छोटे किसानों को परेशान किया जाता रहा है।
वहीं गाँव टीकरा तिवारी के प्रधान पर भी जगदीश तिवारी ने तमाम भ्रष्टाचार व दलाली जैसे आरोप लगाते हुए बताया है कि जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के तमाम भ्रष्टाचार में का हाथ है जो कागजी हेरफेर में राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ करोड़ों रुपये का घपला कर चुका है । फिलहाल गाँव के प्रधान जेल की हवा खा रहे हैं।
मुआवजे को लेकर लगातार हो रहे भ्रष्टाचारियों की शिकायत मय साक्ष्यों के साथ जगदीश द्वारा पत्राचार के माध्यम से जनपद व प्रदेश स्तर पर की गई।
लेकिन भ्रष्टाचारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह हर चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
लेकिन जगदीश तिवारी ने भी भ्रस्टाचारियों के खिलाफ कमर कस रखी है।इस मामले को उजागर करने के लिए उन्होंने मीडिया के साथ साथ कानून का सहारा लिया और करीब एक साल लड़ाई जारी रखी।आखिरकार कोर्ट ने तारीख 16 जनवरी 2020 को जगदीश तिवारी के पक्ष में फैसला सुनाया और उस जमीनी पट्टे को गलत ठहराया । जिस जमीन के अधिग्रहण के नाम पर किसान हरप्रसाद के साथियों , सिंचाई विभाग व राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक करोड़ छत्तीस लाख रुपये का बंदरबाँट किया कोर्ट ने इस मामले में सभी दोषी व्यक्तियों/अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आख्या न्यायालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है।
इस फैसले से भ्रष्टाचारियों में हड़कम्प मचा हुआ है।
ऐसे भ्रस्टाचारियों के खिलाफ जगदीश तिवारी की जंग जारी है। समाजसेवी जगदीश तिवारी की इस जंग में मीडिया के साथ साथ उन ईमानदार अधिकारियों ने अपना कर्तव्य निभाया।जिसके चलते भ्रष्टाचारियों में भय का माहौल पैदा हुआ है।अब देखना होगा कि आखिर कब तक भ्रष्टाचार के ऊपर कानूनी डंडा चलेगा ?