मुजफ्फरपुर में बोले डॉ गणेश पाठक :प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय दोहन- शोषण घातक, भावी पीढ़ी को चुकानी होगी इसकी कीमत
मुजफ्फरपुर में बोले डॉ गणेश पाठक :प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय दोहन- शोषण घातक, भावी पीढ़ी को चुकानी होगी इसकी कीमत
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
मुजफ्फरपुर 24 फरवरी 2020 ।। जब कोई चीज असंतुलित होती है, चाहे वह असंतुलन परिवार , समाज,धर्म, सम्प्रदाय अथवा सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक प्राकृतिक कारकों में हो, उसका दुष्प्रभाव अवश्य देखने एवं झेलने को मिलता है, जो मानव के लिए काफी खतरनाक होता है। आज हमें इन असंतुलनों का दंश झेलना पड़ रहा है। प्रकृति में असंतुलन के कारण प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। ये आपदाएँ मानव को चेतावनी दे रही हैं कि अब यदि नहीं चेते तो भविष्य में यह धरती मानव के रहने लायक नहीं रहेगी।
उपर्यक्त बातें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित "सतत विकास हेतु पर्यावरण संतुलन आवश्यक" नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में बलिया से पधारे जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया से सम्बद्ध अमरनाथ मिश्र पी जी कालेज दूबेछपरा के पूर्व प्राचार्य एवं भूगोल विभागाध्यक्ष डा० गणेश कुमार पाठक ने गोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा। डा० पाठक ने कहाकि पर्यावरण की समस्या एक वैश्विक समस्या के रूपमें उभरी है,जिसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि, अशिक्षा, गरीबी, तकनीकी विकास,नगरीकरण, औद्योगीकरण एवं वन विनाश है।विकास की अंधी दौड़ में हम जिन चीजों का बेतहाशा उपयोग कर रहे हैं, वे कहीं न कहीं पर्यावरण को असंतुलित कर रहे हैं।संसाधनों के अधिक इस्तेमाल से भावी पीढ़ी को इसका मूल्य चुकाना पड़ेगा। प्रदूषण और आपदाएँ दोनों मानव को विनाश की ओर ले जा रही है।पर्यावरण के संतुलन के बिना हम सतत विकास के लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर सकते हैं।
एलएनएम मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व भूगोल विभागाध्यक्ष ने कहा कि मानव ने प्रकृतिवादी वस्तुओं और संसाधनों को उपभोगवादी बना दिया है। अब लैब में प्रकृति को चुनौती देकर मनचाही वस्तुएं बनाई जा रही हैं। शोध एवं विकाश अच्छी बात है ,पर हर जगह प्रकृति को चुनौती देना भी विनाश का कारण बन जाता है। विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डा० अभय कुमार ने कहाकि पर्यावरण के तत्वों को मानव से इसीलिए जोड़ा गया कि लोग इन तत्वों का नाश नहीं करेंगे। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए इस विश्वविद्यालय के कुलपति डा० आर के मंडल ने कहा कि मानव का विकास स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर की उच्चता से ही तय होती है और साथ ही पर्यावरण का संतुलन विकास के लिए जरूरी होता है।अंत में भूगोल विभागाध्यक्ष डा० उमाशंकर सिंह ने गोष्ठी में पधारे सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
मुजफ्फरपुर 24 फरवरी 2020 ।। जब कोई चीज असंतुलित होती है, चाहे वह असंतुलन परिवार , समाज,धर्म, सम्प्रदाय अथवा सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक प्राकृतिक कारकों में हो, उसका दुष्प्रभाव अवश्य देखने एवं झेलने को मिलता है, जो मानव के लिए काफी खतरनाक होता है। आज हमें इन असंतुलनों का दंश झेलना पड़ रहा है। प्रकृति में असंतुलन के कारण प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। ये आपदाएँ मानव को चेतावनी दे रही हैं कि अब यदि नहीं चेते तो भविष्य में यह धरती मानव के रहने लायक नहीं रहेगी।
उपर्यक्त बातें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित "सतत विकास हेतु पर्यावरण संतुलन आवश्यक" नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में बलिया से पधारे जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया से सम्बद्ध अमरनाथ मिश्र पी जी कालेज दूबेछपरा के पूर्व प्राचार्य एवं भूगोल विभागाध्यक्ष डा० गणेश कुमार पाठक ने गोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा। डा० पाठक ने कहाकि पर्यावरण की समस्या एक वैश्विक समस्या के रूपमें उभरी है,जिसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि, अशिक्षा, गरीबी, तकनीकी विकास,नगरीकरण, औद्योगीकरण एवं वन विनाश है।विकास की अंधी दौड़ में हम जिन चीजों का बेतहाशा उपयोग कर रहे हैं, वे कहीं न कहीं पर्यावरण को असंतुलित कर रहे हैं।संसाधनों के अधिक इस्तेमाल से भावी पीढ़ी को इसका मूल्य चुकाना पड़ेगा। प्रदूषण और आपदाएँ दोनों मानव को विनाश की ओर ले जा रही है।पर्यावरण के संतुलन के बिना हम सतत विकास के लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर सकते हैं।
एलएनएम मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व भूगोल विभागाध्यक्ष ने कहा कि मानव ने प्रकृतिवादी वस्तुओं और संसाधनों को उपभोगवादी बना दिया है। अब लैब में प्रकृति को चुनौती देकर मनचाही वस्तुएं बनाई जा रही हैं। शोध एवं विकाश अच्छी बात है ,पर हर जगह प्रकृति को चुनौती देना भी विनाश का कारण बन जाता है। विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डा० अभय कुमार ने कहाकि पर्यावरण के तत्वों को मानव से इसीलिए जोड़ा गया कि लोग इन तत्वों का नाश नहीं करेंगे। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए इस विश्वविद्यालय के कुलपति डा० आर के मंडल ने कहा कि मानव का विकास स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर की उच्चता से ही तय होती है और साथ ही पर्यावरण का संतुलन विकास के लिए जरूरी होता है।अंत में भूगोल विभागाध्यक्ष डा० उमाशंकर सिंह ने गोष्ठी में पधारे सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।