बलिया :प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित चौपाल पत्रिका का हुआ लोकार्पण
बलिया :प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित चौपाल पत्रिका का हुआ लोकार्पण
बलिया 16 फरवरी 2020 :प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित चौपाल पत्रिका के लोकार्पण के अवसर पर बलिया ने एक बार फिर से अपने लाल को बड़े शिद्दत के साथ याद किया। टाउन डिग्री कॉलेज के राजेंद्र प्रसाद सभागार में रविवार को लोकार्पण एवं विचार गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में केदारनाथ सिंह पर केंद्रित चौपाल पत्रिका का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के बाद संकल्प संस्था के रंगकर्मियों ने केदारनाथ सिंह की महत्वपूर्ण कविताओं पर केंद्रित रंग प्रस्तुति की । कार्यक्रम के दूसरे चरण में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बीज वक्तव्य देते हुए चौपाल पत्रिका के संपादक डॉ कामेश्वर सिंह ने कहा कि केदारनाथ सिंह पर केन्द्रित इस पत्रिका को आप सबके बीच सौंपते हुए मुझे आनंद की अनुभूति हो रही है और मुझे गर्व हो रहा है कि इसका लोकार्पण हम बलिया से कर रहे हैं।उम्मीद है कि हम केदार जी के बहुत सारे पहलू को इस पत्रिका के माध्यम से जानेंगे समझेंगे । इसमें हिंदी के महत्वपूर्ण लेखकों और कवियों के लेख और विचार है।गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ आशीष त्रिपाठी ने कहा कि केदारनाथ सिंह की कविताएं एक नया मानक स्थापित करती हैं। जिसे हम केदार रंग कह सकते हैं। हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि केदारनाथ सिंह की कविताओं में लोक मौजूद है और यह लोक सिर्फ बाह्य रूप में ही नहीं बल्कि आंतरिक रूप में मौजूद है । केदार जी बड़े ही भावनात्मक तरीके से अपने लोग और लोगों से जुड़े रहे । यह उनकी कविताओं में दिखता है। बतौर मुख्य वक्ता दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्रोफेसर अनिल राय ने कहा कि केदार जी यथार्थवाद के कवि थे , प्रतिरोध के कवि थे और यह प्रतिरोध उनकी कविताओं में विभिन्न रूप में मिलता है । गोष्ठी के मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बलराज पांडे ने कहा कि केदार जी का व्यक्तित्व ही था की कि उन्हें हिंदी समाज ने इतना प्रेम किया।केदार जी जितने बड़े कवि थे उतना ही बड़ा उनका व्यक्तित्व भी था। दुनिया के किसी कोने में जाते थे लेकिन उनके मन में उनकी अंतरात्मा में चकिया और बलिया हमेशा मौजूद रहता था। केदार जी मानवीय संवेदना के कवि थे । केदार जी अपने समय की नब्ज़ पकड़ा था। भले ही उनकी कविताएं छोटी छोटी होती है लेकिन उनका कैनवास बहुत ही बड़ा है।गोष्ठी में प्रोफेसर राजेश मल्ल, ड0 सिद्धार्थ ने भी अपना वक्तव्य दिया ।अध्यक्षता कवि एवं साहित्यकार प्रोफेसर यशवंत सिंह ने किया संचालन डॉक्टर जैनेंद्र पांडेय ने किया कि महाविद्यालय के प्रबंधक राकेश श्रीवास्तव ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया आभार व्यक्त किया हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा० अमरदास निहार ने किया।इस अवसर पर कालेज के प्राचार्य डॉ दिलीप श्रीवास्तव, डॉ अखिलेश राय डॉक्टर निशा राघव ,बृजेश त्यागी, अजय बिहारी पाठक ,डॉक्टर निवेदिता, अजय पांडे ,समीर पांडे, शिवजी पांडे रसराज, डॉक्टर संतोष सिंह , राजेश सिंह, आशीष त्रिवेदी, सोनी ट्विंकल गुप्ता ,आनंद कुमार चौहान , अखिलेश कुमार, राहुल , अभिषेक ,विवेक ,,विवेकानंद सिंह इत्यादि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
बलिया 16 फरवरी 2020 :प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित चौपाल पत्रिका के लोकार्पण के अवसर पर बलिया ने एक बार फिर से अपने लाल को बड़े शिद्दत के साथ याद किया। टाउन डिग्री कॉलेज के राजेंद्र प्रसाद सभागार में रविवार को लोकार्पण एवं विचार गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में केदारनाथ सिंह पर केंद्रित चौपाल पत्रिका का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के बाद संकल्प संस्था के रंगकर्मियों ने केदारनाथ सिंह की महत्वपूर्ण कविताओं पर केंद्रित रंग प्रस्तुति की । कार्यक्रम के दूसरे चरण में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बीज वक्तव्य देते हुए चौपाल पत्रिका के संपादक डॉ कामेश्वर सिंह ने कहा कि केदारनाथ सिंह पर केन्द्रित इस पत्रिका को आप सबके बीच सौंपते हुए मुझे आनंद की अनुभूति हो रही है और मुझे गर्व हो रहा है कि इसका लोकार्पण हम बलिया से कर रहे हैं।उम्मीद है कि हम केदार जी के बहुत सारे पहलू को इस पत्रिका के माध्यम से जानेंगे समझेंगे । इसमें हिंदी के महत्वपूर्ण लेखकों और कवियों के लेख और विचार है।गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ आशीष त्रिपाठी ने कहा कि केदारनाथ सिंह की कविताएं एक नया मानक स्थापित करती हैं। जिसे हम केदार रंग कह सकते हैं। हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि केदारनाथ सिंह की कविताओं में लोक मौजूद है और यह लोक सिर्फ बाह्य रूप में ही नहीं बल्कि आंतरिक रूप में मौजूद है । केदार जी बड़े ही भावनात्मक तरीके से अपने लोग और लोगों से जुड़े रहे । यह उनकी कविताओं में दिखता है। बतौर मुख्य वक्ता दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्रोफेसर अनिल राय ने कहा कि केदार जी यथार्थवाद के कवि थे , प्रतिरोध के कवि थे और यह प्रतिरोध उनकी कविताओं में विभिन्न रूप में मिलता है । गोष्ठी के मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बलराज पांडे ने कहा कि केदार जी का व्यक्तित्व ही था की कि उन्हें हिंदी समाज ने इतना प्रेम किया।केदार जी जितने बड़े कवि थे उतना ही बड़ा उनका व्यक्तित्व भी था। दुनिया के किसी कोने में जाते थे लेकिन उनके मन में उनकी अंतरात्मा में चकिया और बलिया हमेशा मौजूद रहता था। केदार जी मानवीय संवेदना के कवि थे । केदार जी अपने समय की नब्ज़ पकड़ा था। भले ही उनकी कविताएं छोटी छोटी होती है लेकिन उनका कैनवास बहुत ही बड़ा है।गोष्ठी में प्रोफेसर राजेश मल्ल, ड0 सिद्धार्थ ने भी अपना वक्तव्य दिया ।अध्यक्षता कवि एवं साहित्यकार प्रोफेसर यशवंत सिंह ने किया संचालन डॉक्टर जैनेंद्र पांडेय ने किया कि महाविद्यालय के प्रबंधक राकेश श्रीवास्तव ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया आभार व्यक्त किया हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा० अमरदास निहार ने किया।इस अवसर पर कालेज के प्राचार्य डॉ दिलीप श्रीवास्तव, डॉ अखिलेश राय डॉक्टर निशा राघव ,बृजेश त्यागी, अजय बिहारी पाठक ,डॉक्टर निवेदिता, अजय पांडे ,समीर पांडे, शिवजी पांडे रसराज, डॉक्टर संतोष सिंह , राजेश सिंह, आशीष त्रिवेदी, सोनी ट्विंकल गुप्ता ,आनंद कुमार चौहान , अखिलेश कुमार, राहुल , अभिषेक ,विवेक ,,विवेकानंद सिंह इत्यादि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।