खुशखबरी :ट्रंप के साथ आ रही हैं उत्तर प्रदेश की बेटी रीता बरनवाल
खुशखबरी :ट्रंप के साथ आ रही हैं उत्तर प्रदेश की बेटी रीता बरनवाल
ए कुमार
नईदिल्ली 22 फरवरी 2020 ।।उत्तर प्रदेश के बस्ती के बहादुरपुर गांव की बेटी रीता बरनवाल अमेरिका के प्रमाणु ऊर्जा विभाग की प्रमुख हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ वह भी भारत दौरे पर आ रही है, रीता के अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत दौरे पर आने की सूचना के बाद उन के पैतृक गांव बहादुरपुर में खुशी की लहर है। रीता बरनवाल के पिता कृष्ण चन्द्र बरनवाल चार भाई थे, रीता के पिता कृष्ण चन्द्र बरनवाल ने आईआईटी खड़गपुर टाप किया और 1968 में वे पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गए, पीएचडी कम्पलीट करने के बाद उन्होंने वहीं पर प्रोफेसर की नौकरी ज्वाइन कर ली, शादी के बाद उन्होंने उपनी पत्नी को भी अमेरिका लेकर चले गए, जहां पर उन को तीन बेटियां थी, रीता ने एमआईटी से पदार्थ विज्ञान एंव अभिांत्रिक में बीए पास किया उस के बाद मिशिगन विश्वविद्यालय से पीएचडी की, रीता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रस्ताव पर जून 2019 में प्रमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया, अब रीता राष्ट्रपति ट्रंप के डेलिगेशन के साथ भातर दौरे पर आ रही हैं उन के भारत दौरे की सूचना के बाग उन के पैतृक गांव बहादुरपुर में खुशी की लहर है, उन की चाची जानकी बरनवाल जो की काफी बुजुर्ग है उपनी भतीजी को याद करके उन के आंखों में आंसू आ गए, उन्होंने कहा की हमारे बड़े देवर की बेटी है हमारे देवर कृष्ण चन्द्र बरनवाल हर तीन साल पर घर आते थे और अपनी बेटी को भी साथ लाते थे, उन को अपने गांव से बहोत लगाव था, जब वो घर आते थे तो गांव के ही अंदाज में ढल जाते थे, खाना पीना सब गांव के हिसाब से खाते थे, सब लोग जब घर पर इक्ट्ठा होते थे तो खूब मनोरंजन होता था, हम लोग गांना गाते थे, खेलते थे, साथ में खाना खाते थे, उन लोगों ने मुझे मां का दर्जा दिया,
जब वो अमेरिका जाते थे तो हम लोग एक साथ फोटे खिंचवाते थे, जब रीता बड़ा हो गई तो हमारे देवर कहने लगे की अब लड़कियां गांव नहीं जा पाएंगी, उन की पढा़ई-लिखाई चल रही थी, जिसके बाद हमारे बड़े देवर कृष्ण चन्द्र बरवनवाल की तबियत ठीक नहीं रहती थी, जिसकी वजह से उन का भी आना जाना छूट गया और कुछ साल पहले उन की मौत हो गई।
वहीं परिजनों का कहना है की रीता बरनवाल 2008 में आखरी बार घर पर आई थी, उस के उन्होंने ने कई बार रीता को घर आने के लिए फोन पर कहा तो उन्होंने कहा की जब भारत आएगी तो गांव पर जरूर आएंगी, अब अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ डेलिगेशन में रीता बरनवाल के आने की सूचना के बाद परिजनों को एक आस जगी है की रीता ने जो वादा किया था शायद वो अपने गांव आकर वादे को पूरा करें, परिजनों सरकार से मांग की है की रीता को उन के गांव भेजा जाए ताकि लोग उन से मिल सके, रीता के भारत दौरे पर आने की सूचना के बाद परिजनों ने कहा की ये हमारे देश के लिए गर्व की बात है की रीता अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत दौरे पर आ रही है, उन्होंने जिस तरह से तरक्की की है और अमेरिका में जिस पोस्ट पर हैं उस से देश का मान बढ़ा है।
ए कुमार
नईदिल्ली 22 फरवरी 2020 ।।उत्तर प्रदेश के बस्ती के बहादुरपुर गांव की बेटी रीता बरनवाल अमेरिका के प्रमाणु ऊर्जा विभाग की प्रमुख हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ वह भी भारत दौरे पर आ रही है, रीता के अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत दौरे पर आने की सूचना के बाद उन के पैतृक गांव बहादुरपुर में खुशी की लहर है। रीता बरनवाल के पिता कृष्ण चन्द्र बरनवाल चार भाई थे, रीता के पिता कृष्ण चन्द्र बरनवाल ने आईआईटी खड़गपुर टाप किया और 1968 में वे पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गए, पीएचडी कम्पलीट करने के बाद उन्होंने वहीं पर प्रोफेसर की नौकरी ज्वाइन कर ली, शादी के बाद उन्होंने उपनी पत्नी को भी अमेरिका लेकर चले गए, जहां पर उन को तीन बेटियां थी, रीता ने एमआईटी से पदार्थ विज्ञान एंव अभिांत्रिक में बीए पास किया उस के बाद मिशिगन विश्वविद्यालय से पीएचडी की, रीता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रस्ताव पर जून 2019 में प्रमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया, अब रीता राष्ट्रपति ट्रंप के डेलिगेशन के साथ भातर दौरे पर आ रही हैं उन के भारत दौरे की सूचना के बाग उन के पैतृक गांव बहादुरपुर में खुशी की लहर है, उन की चाची जानकी बरनवाल जो की काफी बुजुर्ग है उपनी भतीजी को याद करके उन के आंखों में आंसू आ गए, उन्होंने कहा की हमारे बड़े देवर की बेटी है हमारे देवर कृष्ण चन्द्र बरनवाल हर तीन साल पर घर आते थे और अपनी बेटी को भी साथ लाते थे, उन को अपने गांव से बहोत लगाव था, जब वो घर आते थे तो गांव के ही अंदाज में ढल जाते थे, खाना पीना सब गांव के हिसाब से खाते थे, सब लोग जब घर पर इक्ट्ठा होते थे तो खूब मनोरंजन होता था, हम लोग गांना गाते थे, खेलते थे, साथ में खाना खाते थे, उन लोगों ने मुझे मां का दर्जा दिया,
जब वो अमेरिका जाते थे तो हम लोग एक साथ फोटे खिंचवाते थे, जब रीता बड़ा हो गई तो हमारे देवर कहने लगे की अब लड़कियां गांव नहीं जा पाएंगी, उन की पढा़ई-लिखाई चल रही थी, जिसके बाद हमारे बड़े देवर कृष्ण चन्द्र बरवनवाल की तबियत ठीक नहीं रहती थी, जिसकी वजह से उन का भी आना जाना छूट गया और कुछ साल पहले उन की मौत हो गई।
वहीं परिजनों का कहना है की रीता बरनवाल 2008 में आखरी बार घर पर आई थी, उस के उन्होंने ने कई बार रीता को घर आने के लिए फोन पर कहा तो उन्होंने कहा की जब भारत आएगी तो गांव पर जरूर आएंगी, अब अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ डेलिगेशन में रीता बरनवाल के आने की सूचना के बाद परिजनों को एक आस जगी है की रीता ने जो वादा किया था शायद वो अपने गांव आकर वादे को पूरा करें, परिजनों सरकार से मांग की है की रीता को उन के गांव भेजा जाए ताकि लोग उन से मिल सके, रीता के भारत दौरे पर आने की सूचना के बाद परिजनों ने कहा की ये हमारे देश के लिए गर्व की बात है की रीता अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत दौरे पर आ रही है, उन्होंने जिस तरह से तरक्की की है और अमेरिका में जिस पोस्ट पर हैं उस से देश का मान बढ़ा है।