योगी जी देखिये बलिया में एक अदद राशन कार्ड मकान व शौचालय के लिए तरसता दंतेवाड़ा के शहीद का परिवार :10 सालों से जिला प्रशासन नहीं दे पाया एक अदद मकान ,शौचालय
योगी जी देखिये बलिया में एक अदद राशनकार्ड मकान व शौचालय के लिए तरसता दंतेवाड़ा के शहीद का परिवार :10 सालों से जिला प्रशासन नहीं दे पाया एक अदद राशन कार्ड, मकान ,शौचालय
मधुसूदन सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
बलिया 2 मार्च 2020 ।। शहीदों की चिंताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशां होगा...वाला गीत सुन सुनकर न जाने कितने जवान देश पर कुर्बान हो गये । इन शहीदों ने अपनी जिंदगी को दांव पर देश के लिये इस लिये लगाया कि अगर हमे कुछ हो भी गया तो हमारी सरकार, हमारे परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से करेगी और बच्चो की पढ़ाई भी बाधित नही होगी । इसी सोच वाले शहीद इंद्रजीत को क्या पता था कि उसके मरने के बाद उसका परिवार एक अदद शौचालय तक को तरस जाएगा, वो भी उस सरकार के 6 साल गुजर जाने के बाद भी जिसके नेता का पहला लक्ष्य सबको शौचालय उपलब्ध कराना है ।
एक तरफ जोगी जी पूरे प्रदेश में एक भी घर ऐसा नहीं छोड़ना चाहते हैं जिसमें शौचालय ना हो, वहीं दूसरी तरफ दंतेवाड़ा नक्सली हमले में शहीद की विधवा को पिछले 10 सालों से एक अदद मकान की तो छोड़िए एक अदद शौचालय भी नसीब नहीं हुआ है । हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद के बड़काखेत निवासी सीआरपीएफ के शहीद जवान इंद्रजीत की जिसकी 2010 में दंतेवाड़ा में अपने 67 साथियों के साथ नक्सली हमले में जान गवानी पड़ी थी । उस समय जब इस शहीद का शव अंतिम संस्कार के लिए बलिया आया था तब तत्कालीन जिलाधिकारी ने शहीद के परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए एक अदद मकान ,शहीद की प्रतिमा लगाने और कृषियोग्य भूमि देने का सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था । समय बीतता गया ,शहीद की विधवा एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर लगाती रही लेकिन मिला कुछ नहीं । आज के वर्तमान मंत्री और क्षेत्र के विधायक उपेंद्र तिवारी ने भी इस विधवा को आश्वासन दिया कि तुमको रहने के लिए मकान, परिजन के जीविकोपार्जन के लिए किसी जौनपुर और शहीद की मूर्ति जल्द से जल्द लगवा दी जाएगी लेकिन इनके भी आश्वासन को 1 साल से अधिक हो गया है लेकिन आज तक ना तो मकान के लिए कहीं जमीन मिल पाई है ,न ही मूर्ति लगाने के लिए कोई जगह । आलम यह है कि यह परिवार आज टूटी फूटी झोपड़ी में गुजर बसर कर रहा है और इस परिवार के पास न तो राशन कार्ड है, न शौचालय ही है। जबकि ग्राम प्रधान की माने तो इस गांव में 209 शौचालय बनवा दिये गये है । जबकि सूत्रों की माने तो इस ग्राम सभा मे शौचालय निर्माण के नाम पर ऊपर से नीचे तक जमकर भ्रष्टाचार हुआ है और बिना शौचालय बनवाये ही सरकारी धन की जमकर लूट हुई है जो जांच के बाद ही पता चल पाएगी । इस गरीब परिवार का गुजारा मात्र पेंशन के सहारे होता है । यह विधवा अपनी कम सुनने वाली बूढ़ी सास व तीन नाबालिग बच्चो के साथ गुजर बसर किसी तरह से कर रही है ।
डीएम बलिया ने कमांडेंट सीआरपीएफ को पत्र भेजकर कहा-नही मिल रही है मकान बनाने के लिये सरकारी जमीन
जिलाधिकारी बलिया ने दिनांक 1 जनवरी 2019 को कमांडेंट 62 वी बटालियन सीआरपीएफ अम्बिकापुर को भेजे अपने पत्र में साफ लिखा कि शहीद के ग्राम सभा मे सरकारी भूमि न होने और पास के ग्राम सभा चौरा के प्रधान द्वारा जमीन देने की सहमति न देने के कारण शहीद की बेवा को आवास हेतु जमीन नही दी जा पा रही है । जमीन उपलब्ध न होने के कारण आवास नही बन रहा है । यह जबाब जिलाधिकारी ने सीआरपीएफ के कमांडेंट के उस पत्र के जबाब में लिखा है जिसमे शहीद की बेवा को आवास देने , कृषि योग्य भूमि देने और शहीद की मूर्ति लगाने की घोषणा के सम्बंध में पत्राचार किया गया । इस पत्र में यह भी कहा गया था कि इस परिवार को सरकारी फ्लैट भी अगर सम्भव हो तो आवास के लिये दे दिया जाय । लेकिन धन्य है हमारी नौकरशाही तंत्र ,शहर में तमाम आवासीय योजनाओ के होते हुए जो गरीबो के लिये संचालित है, इस परिवार को रहने के लिये एक अदद आशियाना भी नही दे पा रहा है । जबकि शहीद की बेवा यह भी कह चुकी है कि अगर जमीन नही मिल पा रही है तो हमारे पुश्तैनी झोपड़ी वाली जमीन पर ही आवास बना दिया जाय , लेकिन कोई अधिकारी इस गरीब की फरियाद सुने तब न ।
मधुसूदन सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
बलिया 2 मार्च 2020 ।। शहीदों की चिंताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशां होगा...वाला गीत सुन सुनकर न जाने कितने जवान देश पर कुर्बान हो गये । इन शहीदों ने अपनी जिंदगी को दांव पर देश के लिये इस लिये लगाया कि अगर हमे कुछ हो भी गया तो हमारी सरकार, हमारे परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से करेगी और बच्चो की पढ़ाई भी बाधित नही होगी । इसी सोच वाले शहीद इंद्रजीत को क्या पता था कि उसके मरने के बाद उसका परिवार एक अदद शौचालय तक को तरस जाएगा, वो भी उस सरकार के 6 साल गुजर जाने के बाद भी जिसके नेता का पहला लक्ष्य सबको शौचालय उपलब्ध कराना है ।
एक तरफ जोगी जी पूरे प्रदेश में एक भी घर ऐसा नहीं छोड़ना चाहते हैं जिसमें शौचालय ना हो, वहीं दूसरी तरफ दंतेवाड़ा नक्सली हमले में शहीद की विधवा को पिछले 10 सालों से एक अदद मकान की तो छोड़िए एक अदद शौचालय भी नसीब नहीं हुआ है । हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद के बड़काखेत निवासी सीआरपीएफ के शहीद जवान इंद्रजीत की जिसकी 2010 में दंतेवाड़ा में अपने 67 साथियों के साथ नक्सली हमले में जान गवानी पड़ी थी । उस समय जब इस शहीद का शव अंतिम संस्कार के लिए बलिया आया था तब तत्कालीन जिलाधिकारी ने शहीद के परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए एक अदद मकान ,शहीद की प्रतिमा लगाने और कृषियोग्य भूमि देने का सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था । समय बीतता गया ,शहीद की विधवा एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर लगाती रही लेकिन मिला कुछ नहीं । आज के वर्तमान मंत्री और क्षेत्र के विधायक उपेंद्र तिवारी ने भी इस विधवा को आश्वासन दिया कि तुमको रहने के लिए मकान, परिजन के जीविकोपार्जन के लिए किसी जौनपुर और शहीद की मूर्ति जल्द से जल्द लगवा दी जाएगी लेकिन इनके भी आश्वासन को 1 साल से अधिक हो गया है लेकिन आज तक ना तो मकान के लिए कहीं जमीन मिल पाई है ,न ही मूर्ति लगाने के लिए कोई जगह । आलम यह है कि यह परिवार आज टूटी फूटी झोपड़ी में गुजर बसर कर रहा है और इस परिवार के पास न तो राशन कार्ड है, न शौचालय ही है। जबकि ग्राम प्रधान की माने तो इस गांव में 209 शौचालय बनवा दिये गये है । जबकि सूत्रों की माने तो इस ग्राम सभा मे शौचालय निर्माण के नाम पर ऊपर से नीचे तक जमकर भ्रष्टाचार हुआ है और बिना शौचालय बनवाये ही सरकारी धन की जमकर लूट हुई है जो जांच के बाद ही पता चल पाएगी । इस गरीब परिवार का गुजारा मात्र पेंशन के सहारे होता है । यह विधवा अपनी कम सुनने वाली बूढ़ी सास व तीन नाबालिग बच्चो के साथ गुजर बसर किसी तरह से कर रही है ।
डीएम बलिया ने कमांडेंट सीआरपीएफ को पत्र भेजकर कहा-नही मिल रही है मकान बनाने के लिये सरकारी जमीन
जिलाधिकारी बलिया ने दिनांक 1 जनवरी 2019 को कमांडेंट 62 वी बटालियन सीआरपीएफ अम्बिकापुर को भेजे अपने पत्र में साफ लिखा कि शहीद के ग्राम सभा मे सरकारी भूमि न होने और पास के ग्राम सभा चौरा के प्रधान द्वारा जमीन देने की सहमति न देने के कारण शहीद की बेवा को आवास हेतु जमीन नही दी जा पा रही है । जमीन उपलब्ध न होने के कारण आवास नही बन रहा है । यह जबाब जिलाधिकारी ने सीआरपीएफ के कमांडेंट के उस पत्र के जबाब में लिखा है जिसमे शहीद की बेवा को आवास देने , कृषि योग्य भूमि देने और शहीद की मूर्ति लगाने की घोषणा के सम्बंध में पत्राचार किया गया । इस पत्र में यह भी कहा गया था कि इस परिवार को सरकारी फ्लैट भी अगर सम्भव हो तो आवास के लिये दे दिया जाय । लेकिन धन्य है हमारी नौकरशाही तंत्र ,शहर में तमाम आवासीय योजनाओ के होते हुए जो गरीबो के लिये संचालित है, इस परिवार को रहने के लिये एक अदद आशियाना भी नही दे पा रहा है । जबकि शहीद की बेवा यह भी कह चुकी है कि अगर जमीन नही मिल पा रही है तो हमारे पुश्तैनी झोपड़ी वाली जमीन पर ही आवास बना दिया जाय , लेकिन कोई अधिकारी इस गरीब की फरियाद सुने तब न ।