बलिया में शिक्षामित्रों के सामने आर्थिक संकट ;बलिया। शासन से बजट स्वीकृत होने के बाद भी जिले के शिक्षा मित्रों को समय से मानदेय न मिलने पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ ने नाराजगी व्यक्त की है। संघ के जिला प्रभारी पंकज कुमार सिंह ने इसका जिम्मेदार जिला समन्वयक (सामुदायिक शिक्षा) नुरुल होदा को ठहराया हैं। कहा कि जब से इनको शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी मिली है, शिक्षामित्र परेशान है। कहा कि जिला समन्वयक की लापरवाही के वजह से कभी भी शिक्षामित्रों को समय से मानदेय नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने 11 मार्च को ही जनवरी 2020 का बजट जारी कर दिया, लेकिन जिला समन्वयक अब तक शिक्षामित्रों के मानदेय का भुगतान का बिल भी तैयार नहीं कर सके है। कहा कि बार-बार बीएसए द्वारा समय से पहले बिल तैयार करने के निर्देश को भी जिला समन्वयक कुछ नहीं समझते, अन्यथा ऐसी नौबत नहीं आती। श्री सिंह ने कहा कि मानदेय रिलीज होने के बाद भी कुछ शिक्षामित्रों को कभी अकाउंट नम्बर की समस्या से दो चार होना पड़ता है तो कभी दूसरे बैंक में मानदेय भेजने की वजह से परेशानी झेलनी पड़ती है। बताया कि शिक्षामित्रों को सिर्फ 10 हजार रुपया मानदेय मिलता है, जिसके बदौलत वे जैसे-तैसे अपना गुजारा करते है। लेकिन जिला समन्वयक को यह बात समझ में नहीं आती और वे शिक्षामित्रों को बेवजह परेशान करने पर तुले है। जिला प्रभारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए शिक्षामित्रों के मानदेय भुगतान की मांग किया है।
बलिया 19 मार्च 2020 ।। शासन से बजट स्वीकृत होने के बाद भी जिले के शिक्षा मित्रों को समय से मानदेय न मिलने पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ ने नाराजगी व्यक्त की है। संघ के जिला प्रभारी पंकज कुमार सिंह ने इसका जिम्मेदार जिला समन्वयक (सामुदायिक शिक्षा) नुरुल होदा को ठहराया हैं। कहा कि जब से इनको शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी मिली है, शिक्षामित्र परेशान है।
कहा कि जिला समन्वयक की लापरवाही के वजह से कभी भी शिक्षामित्रों को समय से मानदेय नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने 11 मार्च को ही जनवरी 2020 का बजट जारी कर दिया, लेकिन जिला समन्वयक अब तक शिक्षामित्रों के मानदेय का भुगतान का बिल भी तैयार नहीं कर सके है। कहा कि बार-बार बीएसए द्वारा समय से पहले बिल तैयार करने के निर्देश को भी जिला समन्वयक कुछ नहीं समझते, अन्यथा ऐसी नौबत नहीं आती। श्री सिंह ने कहा कि मानदेय रिलीज होने के बाद भी कुछ शिक्षामित्रों को कभी अकाउंट नम्बर की समस्या से दो चार होना पड़ता है तो कभी दूसरे बैंक में मानदेय भेजने की वजह से परेशानी झेलनी पड़ती है। बताया कि शिक्षामित्रों को सिर्फ 10 हजार रुपया मानदेय मिलता है, जिसके बदौलत वे जैसे-तैसे अपना गुजारा करते है। लेकिन जिला समन्वयक को यह बात समझ में नहीं आती और वे शिक्षामित्रों को बेवजह परेशान करने पर तुले है। जिला प्रभारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए शिक्षामित्रों के मानदेय भुगतान की मांग किया है।