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बलिया के लगभग 500 प्राथमिक विद्यालयों में नहीं है शौचालय ? कैसे होगा मुख्यमंत्री जी के शौचालय युक्त ग्राम पंचायत बनाने का पूरा सपना ? 250 बच्चो पर दो अध्यापक, क्या ऐसे बनेगा नौनिहालों का भविष्य ?

 बलिया के लगभग 500 प्राथमिक विद्यालयों में नहीं है शौचालय ? कैसे होगा मुख्यमंत्री जी के शौचालय युक्त ग्राम पंचायत बनाने का पूरा सपना ? 250 बच्चो पर दो अध्यापक, क्या ऐसे बनेगा नौनिहालों का भविष्य ?
मधुसूदन सिंह










बलिया 2 मार्च 2020 ।।  प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी ने अभी 3 दिन पहले पूरे प्रदेश के मुख्य विकास अधिकारियों और डीपीआरओ की लोक भवन में एक बैठक करके यह निर्देश दिया कि हर हाल में 30 मार्च तक शौचालय बन जाने चाहिए, चाहे वह व्यक्तिगत शौचालय हो या सार्वजनिक शौचालय । जिस के क्रम में प्रत्येक जनपद में मुख्य विकास अधिकारियों द्वारा भूमि पूजन कर सार्वजनिक शौचालय बनाने की प्रक्रिया को शुरू भी कर दिया गया है, ऐसा बलिया में भी 1 मार्च को मुख्य विकास अधिकारी बद्रीनाथ सिंह द्वारा सुखपुरा में भूमि पूजन करके किया गया । शौचालय निर्माण माननीय प्रधानमंत्री जी, व माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रथम वरीयता के कार्यक्रम "स्वच्छ भारत  अभियान" का हिस्सा है ।माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने बापू के 150 वी जयंती पर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करने के रूप में प्रस्तुत की गई योजना है स्वच्छ भारत अभियान व शौचालय निर्माण लेकिन बलिया जनपद के लगभग 2500 प्राथमिक विद्यालयों में से 500 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जहां शौचालय नहीं है या निष्क्रिय है /जर्जर है /ध्वस्त है या यूं कहें कि शौचालय के नाम पर धब्बा है। बता दे कि सरकार द्वारा शौचालय निर्माण के लिए इन विद्यालयों को धन भी आवंटित किया गया और उस धन का बंदरबांट भी हो गया । वित्तीय वर्ष 2010 से 2015 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में भवन निर्माण चारदीवारी निर्माण शौचालय निर्माण किचेन निर्माण के लिए धन का आवंटन किया गया । निर्माण भी हुआ, कहीं केवल भवन बना कर छोड़ दिया गया, कहीं आधी चाहरदीवारी बनाई गई तो कहीं शौचालय ही नहीं बनाए गए और जिम्मेदारों ने सरकारी धन को आपस में बैठकर निर्माण प्रक्रिया को पूरी कर दिया,धन का बंदरबांट कर लिया ।
   हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद के रेवती विकासखंड में स्थित सोनबरसा प्राथमिक विद्यालय की यहां लगभग ढाई सौ बच्चे रोज शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं इस विद्यालय पर 2 अध्यापकों के सहारे ढाई सौ बच्चों की शिक्षा दीक्षा है सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जहां प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों का टोटका है ,तो वही जब इस विद्यालय पर ढाई सौ बच्चों की संख्या है उसके बावजूद भी जिला प्रशासन और जिला बेसिक अधिकारी की उपेक्षा के कारण इस विद्यालय में शौचालय तक नही है । बता दे कि बलिया के बेसिक शिक्षा अधिकारी से जब भी ऐसे मुद्दों पर बात की जाती है तो कहते है मेरे पास काम का बहुत बोझ है, मौखिक बातें भूल जाता हूँ लिख कर दे दीजिये आदेश कर दूंगा ।
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2010 से 15 के बीच शासन द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के भवन निर्माण चहारदीवारी निर्माण शौचालय निर्माण किचन निर्माण के लिए धन आवंटित किए गए थे उसी दरमियान सोनबरसा प्राथमिक विद्यालय को भी लगभग ₹6,40,000 की धनराशि आवंटित हुई थी । इस धनराशि में भवन निर्माण लगभग ₹3,70,000 का होना था, चारदीवारी बननी थी ,शौचालय बनना था, किचन बनना था लेकिन विभागीय भ्रष्टाचारियों ने केवल 2 कमरों को बनाकर ₹640000 का आहरण कर लिया, लूट लिया, बंदरबांट कर लिया । नतीजा आज ढाई सौ बच्चे बिना शौचालय के खेतों में शौच करने के लिए जाने को मजबूर है। बता दें कि इस विद्यालय में पढ़ने वाले 250 बच्चों में से आधे  से अधिक संख्या बच्चियों की है । ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी जी के शौच मुक्त अभियान को बलिया का शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन कितनी अहमियत दे रहा है खुद सोचिये ? यही नही चारदीवारी ना होने के कारण  बच्चे सड़क पर बैठकर पढ़ाई करते हैं जो खतरे से खाली नही है ।दो अध्यापक ढाई सौ बच्चों को पढ़ाते हैं ,अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि इन बच्चों की शिक्षा के साथ बेसिक शिक्षा विभाग खिलवाड़ नहीं तो और क्या कर रहा है । बतादे कि कहीं 30-50 बच्चे ना होते हुए भी अध्यापकों की संख्या शिक्षामित्रों के साथ तीन से 4 तक है तो वही यहां ढाई सौ बच्चों के होने के बावजूद मात्र 2 शिक्षक ?जबकि सरकारी शासनादेश है कि हर 40 बच्चों पर एक अध्यापक होना चाहिए । इस विद्यालय पर व्याप्त दुर्व्यवस्था  के लिए केवल बेसिक शिक्षा विभाग को ही दोषी माना जाए ,यह कहना गलत होगा । इसमें स्थानीय ग्राम पंचायतों की भूमिका भी संदिग्ध और विद्यालयों के प्रति उपेक्षित व्यवहार रखने वाली है ।

पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक शासनादेश के क्रम में  पंचायती राज विभाग के द्वारा ग्राम पंचायतों को आदेशित किया गया कि 14वें वित्त और राज्य वित्त के पैसे से सबसे पहले प्राथमिक विद्यालयों में जो आवश्यकताएं हैं उसको पूरी की जाएगी। मसलन पहली प्राथमिकता में ब्लैक बोर्ड लगवाना, दूसरी वरीयता में शौचालय निर्माण / मरम्मत वह भी टाइल्स के साथ व वाटर फैसिलिटी के साथ । तीसरी वरीयता समरसेबल पंप लगाकर हैंड वाशिंग फैसिलिटी उपलब्ध कराना है जिसमें शुद्ध पेयजल की सुविधा बच्चों को उपलब्ध कराना अनिवार्य है । चौथी वरीयता में जहां किचन नहीं है/ जीर्णशीर्ण अवस्था में है तो उसका जीर्णोद्धार करना है या नव निर्माण कराना है । इसके बाद विद्यालय के कक्षों में टाइल्स नहीं लगी है तो टाइल्स लगाना है । विद्यालयों में सुरक्षा के लिए अगर चहारदीवारी का निर्माण नहीं हुआ है तो निर्माण कराना है । चारदीवारी के अंदर जो परिसर है उसमें पेवर ब्लॉक/ सीमेंट ईट लगाकर उसको बनाना है ।वैसे तो सभी विद्यालयों में विद्युतीकरण हो गया है, पंखा लग गया है लेकिन अगर किसी विद्यालय में ऐसी व्यवस्था नहीं है या वहां की विद्युतीकरण वायरिंग खराब हो गई है पंखे खराब हो गए हैं तो वहां विद्युतीकरण कराकर में पंखे लगाना है और बच्चों को बैठने के लिए डेस्क बेंच की व्यवस्था करनी है लेकिन ग्राम प्रधान चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधि होते हैं उनको इन विद्यालयों की अपेक्षा गांव में खड़ंजा लगाना ज्यादे श्रेयस्कर लग रहा है । इसी का नतीजा है कि इन विद्यालयों में ग्राम प्रधानों के द्वारा निर्माण कार्य के प्रति रुचि नहीं दिखाई जा रही है जिससे स्वच्छ भारत अभियान पर ही ग्रहण लग रहा है और माननीय मुख्यमंत्री जी के पूरे जनपद में शौचालय बनवाने के आदेश की एक तरफ से खिल्ली ही उड़ाई  जा रही है । अब देखना है कि इस खबर के बाद जिला प्रशासन कितनी तत्परता दिखाता है और सोनबरसा जैसे प्राथमिक विद्यालयों में कब तक कम से कम शौचालय का निर्माण करा देता है ।