गोरखपुर :होम डिलीवरी के लिए आसमान से टपके खजूर पर अटके ,राशन लेने न शहर और न ही देहात में जाने की अनुमति
गोरखपुर :होम डिलीवरी के लिए आसमान से टपके खजूर पर अटके ,राशन लेने न शहर और न ही देहात में जाने की अनुमति
ए कुमार
गोरखपुर 27 मार्च 2020 ।। जंगल धूसड़ क्षेत्र में चार किलोमीटर का दायरा ऐसा है जहां बसे नवीन कालोनियों में रहने वाले निवासी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं ।
प्रशासन की दूध,फल, किराना व सब्जी की होम डिलीवरी की व्यवस्था नगर निगम के वार्डों तक ही सीमित होकर रह गई है । कुछ जगहों को छोड़ दिया जाए तो नवरात्रि में अभी तक तमाम लोग दूध व फल के लिए तरस रहे हैं ।
जंगल तिनकोनिया नंबर एक व जंगल तिनकोनिया नंबर दो, जंगल धूसड़, जंगल छत्रधारी व हरसेवकपुर में बसे नवीन कालोनियों में न तो लेखपाल, सेक्रेटरी और न ही ग्राम प्रधान ही कोई रुचि दिखा रहे हैं । कुछ किराना दुकानदारों का कहना है कि उन्हें अभी तक कफर्यू पास ही नही मिला है । देहाती क्षेत्रो में सचल वाहन के न पहुंचने से यहां के लोग परेशान है । आलम यह है न तो इन लोगो तक सामग्री ही पहुंच रही है , न ही इनको शहर जाकर सामान लाने की इजाजत है । यानी डोर टू डोर सप्लाई इनके लिये आसमान से गिरे पेड़ पर अटके वाली कहावत जैसी हो गयी है ।
ए कुमार
गोरखपुर 27 मार्च 2020 ।। जंगल धूसड़ क्षेत्र में चार किलोमीटर का दायरा ऐसा है जहां बसे नवीन कालोनियों में रहने वाले निवासी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं ।
प्रशासन की दूध,फल, किराना व सब्जी की होम डिलीवरी की व्यवस्था नगर निगम के वार्डों तक ही सीमित होकर रह गई है । कुछ जगहों को छोड़ दिया जाए तो नवरात्रि में अभी तक तमाम लोग दूध व फल के लिए तरस रहे हैं ।
जंगल तिनकोनिया नंबर एक व जंगल तिनकोनिया नंबर दो, जंगल धूसड़, जंगल छत्रधारी व हरसेवकपुर में बसे नवीन कालोनियों में न तो लेखपाल, सेक्रेटरी और न ही ग्राम प्रधान ही कोई रुचि दिखा रहे हैं । कुछ किराना दुकानदारों का कहना है कि उन्हें अभी तक कफर्यू पास ही नही मिला है । देहाती क्षेत्रो में सचल वाहन के न पहुंचने से यहां के लोग परेशान है । आलम यह है न तो इन लोगो तक सामग्री ही पहुंच रही है , न ही इनको शहर जाकर सामान लाने की इजाजत है । यानी डोर टू डोर सप्लाई इनके लिये आसमान से गिरे पेड़ पर अटके वाली कहावत जैसी हो गयी है ।