Breaking News

लखनऊ में पकड़ा गया भूमाफिया, पुलिस एकेडमी की जमीन हड़पने का दर्ज है मामला

लखनऊ में पकड़ा गया भूमाफिया, पुलिस एकेडमी की जमीन हड़पने का दर्ज है मामला 
ए कुमार

लखनऊ 18 मार्च 2020 ।। लंबे समय से फरार और 15 हजार के इनामी भूमाफिया अशोक पाठक ने सीबीआइ से बचने के लिए लखनऊ पुलिस का दामन थाम लिया और जेल चला गया। आरोपित पर सरोजनीनगर स्थित पुलिस एकेडमी की जमीन हड़पने की एफआइआर दर्ज है। उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। आरोपित अशोक पाठक पर गाजियाबाद में भी जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज है।अशोक पाठक पर तत्कालीन एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। बावजूद इसके वह विभूतिखंड स्थित रोहतास प्लूमेरिया में रह रहा था। सीबीआइ की ओर से एफआइआर दर्ज होने पर अशोक ने लखनऊ पुलिस का दामन थामा और नाटकीय ढंग से वजीरगंज पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। वजीरगंज पुलिस का दावा है कि आरोपित अशोक पाठक को लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर काकोरी टोल प्लाजा के पास से मंगलवार देर शाम गिरफ्तार किया गया।आरोपित अशोक पाठक गोमतीनगर थाने का हिस्ट्रीशीटर भी है, जिसका नाम भूमाफिया में भी दर्ज है। आरोपित के खिलाफ सीबीआइ में दो, चिनहट कोतवाली में पांच, मडिय़ांव में एक, अमीनाबाद में एक, सरोजनीनगर में दो और वजीरगंज में दो मुकदमे दर्ज हैं।10 मई 2016 को जिला प्रशासन ने सरोजनीनगर में 250 बीघा जो जमीन पुलिस ट्रेनिंग अकादमी के नाम आवंटित की थी, उसे आरोपित ने मेसर्स अंतरिक्ष लैंड माक्र्स प्रा. लि. के नाम पर दर्ज करा लिया था। इस मामले में वर्ष 2018 में वजीरगंज कोतवाली में अशोक पाठक समेत अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी। इस मामले में दो आरोपित गिरफ्तार भी किए गए थे। हालांकि, वजीरगंज पुलिस अशोक पाठक पर मेहरबान थी।इस मामले में अभिषेक, खुर्शीद आगा, अशोक पाठक, सुखमन, कपिल प्रताप राना और अर्चना हांडा के खिलाफ एफआइआर दर्ज थी। पुलिस ने खुर्शीद आगा और अभिषेक को गिरफ्तार किया था। हालांकि, अब भी मुख्य आरोपितों में सक एक कपिल प्रताप राना फरार है। पुलिस का कहना है कि आरोपित के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की गई है और उसकी तलाश जारी है। आरोपित अशोक पाठक का उसके साथी खुर्शीद आगा से बाद में विवाद हो गया था। दरअसल, खुद को बचाने के लिए अशोक ने न्यायालय में खुर्शीद आगा के नाम से एक शपथ पत्र दाखिल कर दिया था। इसकी जानकारी होने पर खुर्शीद ने कोर्ट में उपस्थित होकर साक्ष्य उपलब्ध कराकर शपथ पत्र फर्जी होने का दावा किया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे। वर्ष 2020 में सीबीआई इस केस की तफ्तीश शुरू की है ।