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कोविड 19 महामारी ने कर दिया खुलासा : फोर्स के जवानों,प्रशासनिक अधिकारियों,स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी,पुलिस विभाग,पत्रकारों के अलावा सबको प्यारी है जान,राजनेताओ की गुमशुदगी ने खड़े किये सवाल

कोविड 19 महामारी ने कर दिया खुलासा : फोर्स के जवानों,प्रशासनिक अधिकारियों,स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी,पुलिस विभाग,पत्रकारों के अलावा सबको प्यारी है जान,राजनेताओ की गुमशुदगी ने खड़े किये सवाल
मधुसूदन सिंह

बलिया 4 अप्रैल 2020 ।। पूरा विश्व कोरोना महामारी से ग्रसित होकर अपने अपने स्तर से इस संकट से निकलने की कोशिश कर रहा है । इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिये हमारे देश के सैनिक, अर्द्ध सैनिक बल, पुलिस के जवान, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी,प्रशासनिक अधिकारी और पत्रकारों का समुदाय जान जोखिम में डालकर प्रयास कर रहा है । देश के पीएम मोदी प्रतिदिन चिंतित होकर देश की जनता हो या इस युद्ध को लड़ने वाले योद्धा हो, सबसे संवाद बनाकर उत्साह वर्द्धन करने का प्रयास कर रहे है । यूपी के सीएम योगी भी इस युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर रहकर प्रदेश की जनता को जहां इस महामारी से बचाने की कोशिश कर रहे है, वही किसी भी नागरिक को परेशानी न हो ,इसके लिये गंभीरता से प्रतासरत भी है । पंजाब के डीजीपी खुद क्वारंटाइन होते हुए भी प्रदेश की कानून व्यवस्था की बागडोर संभाले हुए है । लेकिन एक बात सोचकर और देखकर मन व्यथित हो गया है कि क्या इस महामारी से लड़ने की जिम्मेदारी सिर्फ मोदी जी, योगी या अन्य मुख्यमंत्रियों, अधिकारियों , जवानों व पत्रकारों की ही है । क्या इन्ही का शरीर फौलाद का बना हुआ है ? क्या इनके जान की कोई कीमत नही है, जो ये लोग सड़कों पर कोरोना मरीजो तक को ठीक करने के उद्यम में लगे हुए है । क्या अन्य मंत्रियों ,सांसदों, विधायको की यह जिम्मेदारी नही है कि वे इस संकट की घड़ी में अपने अपने क्षेत्रों के लोगो को इस महामारी से बचाने के लिये अभियान का नेतृत्व करे ? क्या एक कनिका कपूर ने इन लोगो को इतना डरा दिया है कि ये लोग घरों में दुबक कर बैठने में ही अपनी भलाई समझ रहे है ? क्या इनके जान की कीमत अनमोल है ?
  अब यह सवाल जनता के बीच उठने लगा है । जो नेता एक चाय की दुकान का भी फीता काटने के लिये भागे भागे आते थे, वे घरों में दुबके पड़े है । घर में रहना जरूरी है ,सोशल डिस्टेंस बनाना जरूरी है लेकिन उनके लिये जो आमजन है, जो लोगो को प्रेरित कर सकते है ,ढांढस बंधा सकते है वो अगर घरों में जान बचाने के लिये ही क्वारंटाइन रहेंगे तो फिर बाढ़ के समय क्यो राहत सामग्री बांटने जाते है ? उस समय भी तो नाव के डूबने का खतरा होता है ? मेरे हिसाब से उस समय का खतरा दिखने वाला होता है और इनको बचाने वाले लोग भी होते है, इस लिये जाते है । लेकिन कोरोना की लड़ाई में चूंकि खतरा दिख नही रहा है , इस लिये इन नेताओं की हिम्मत बाहर निकलने की नही हो रही है । वही ये नेता अपनी अपनी निधियों से दान देकर दानवीर बन रहे है, ये वह रकम दान कर रहे है जो इनकी है ही नही ? अगर दानवीर कहलाना ही है तो अपने सालभर का छोड़िये 1 माह का ही वेतन दान कीजिये तब लगेगा कि आपने कुछ किया है ।
    इस महामारी से चल रहे युद्ध मे लड़ने वाले लोग वास्तव में लौह शरीर व बसुधैव कुटुम्बकम की सोच वाले है , अपनी जान बचाकर घरों के अंदर दुबकने वाले नही । ऐसे कर्मयोद्धाओ के कार्य को देखने के बाद हिंदी फिल्म का एक बहुत पुराना गीत याद आ रहा है --जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना, मौत आएगी आएगी एक दिन इसको सोच के आज क्यो घबराना.....

बलिया जिला प्रशासन की लोगो से अपील

कोरोना के प्रति जागरूक करता भोजपुरी गीत

यह हिंदी गाना भी आपको कोरोना के सम्बंध में बता रहा है



डॉ विश्राम यादव वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी अपनी कविता का पाठ करते हुए










एक अपील 
जनपद में यदि कोई बच्चा कोरोना  लॉक डाउन के कारण भूँख या अन्य किसी कारण से संकट में है तो हमारे चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर 24x7 फोन करें। हमारी चाइल्डलाइन परिवार के साथी संकट की इस घड़ी में भोजन, दवा आदि से बच्चों की हर संभव मदद के लिए कृत संकल्प हैं। 
निदेशक, चाइल्ड लाइन-1098