बलिया : कोरोना को हराने के लिये जनजागरण को गांवो की गलियों व खेतो के मेढ़ों पर जाकर लोगों को जागृत कर रहे है ग्रामीण चिकित्सक,पर अब भी लोग बने हुए है लापरवाह :डॉ सुनील ओझा
बलिया : कोरोना को हराने के लिये जनजागरण को गांवो की गलियों व खेतो के मेढ़ों पर जाकर लोगों को जागृत कर रहे है ग्रामीण चिकित्सक,पर अब भी लोग बने हुए है लापरवाह :डॉ सुनील ओझा
बलिया 2 अप्रैल 2020 ।। अमर नाथ मिश्र पी0 जी0 कालेज दुबेछपरा के प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार ओझा ने दूरभाष पर बताया कि कलयुगी सृष्टि के रचयिता की आत्मा भी अब निर्धन, अबोध और निस्वार्थ समाज के खून की प्यासी हो चुकी है। पहले ही धनी व संपन्न रक्त पिपाशुओं के लोभ और लालच से उपजे प्राकृतिक प्रकोप के साथ साथ धनाढ्यों की गुलामी का दंश झेल रहा देश का गरीब तबका पुनः इनके शौक और विदेशी चाटुकारिता का दुष्परिणाम झेलने को मजबूर है। विदेशों से इनके द्वारा लायी गयी इस प्राणघातक बीमारी (कोरोना महामारी)अब इन भाग्यहीनों के अस्तित्व पर ही भयंकर हमला कर के संकट पैदा कर दिया है। शांति से मरने मात्र के लिये अपने मूल निवास स्थानो को छोड़कर कीड़े-मकोड़ों के समतुल्य जीवन जीने को मजबूर इन लोगों को अब अपने घर लौटना भी जंग जीतने के समान प्रतीत हो रहा है। समाज के संभ्रांत व बुद्धिजीवियों द्वारा देश को दिए गए इस उपहार ने निर्दोष आम जनमानस के सामने अस्तित्व और आजीविका का घोर संकट पैदा कर दिया है। खैर समाज में ऊंचे ओहदे और प्रशासनिक पकड़ रखने वाले ये लोग स्वयं के लिए तो विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का जुगाड़ कर ही लेंगे। बाकी विशुद्ध भारतीयों के लिए तो पूर्व की भांति सिसक-सिसक कर दम तोड़ देना ही मुक्ति का श्रेष्ठ मार्ग घोषित है। ऐसे में एक मात्र बलिया की अधमरी स्वास्थ्य व्यवस्था को अपने श्रम से पुनः जीवित करते देव तुल्य ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किये जा रहे प्रयास अत्यंत ही सराहनीय है । जो ग्रामीण अंचलों में घूम घूम कर अपनी जान की भी परवाह नही करते हुए गांव में अलग शहरों से आये लोगो के बारे में पता करने से लेकर इनकी स्क्रीनिंग करने ,कोरोना से बचाव हेतु उचित सलाह देने में पीछे नही हट रहे। खेत ,खलिहान गांव में अपने कर्तव्य को निभाते हुए सोनवानी के चिकित्सक डॉ प्रवीण यादव, डॉ राजेश तिवारी , डॉ कन्हैयालालओझा,डॉ राजीव गुप्ता कड़कड़ाती धूप में देखने को मिले । सबसे दुःख की बात यह है कि मात्र जिला से इनलोगो को मास्क और ग्लब्स ही मिला है ।
इन स्वास्थ्य साधको का यही प्रयास है कि ग्रामीण थोड़ा अपने आप को सुधार ले,कोरोना के बचाव के तरीकों को जान ले ,अगर ऐसा हो जायेगा तो गरीब ग्रामीण इस महामारी से बच जाएंगे और कोरोना को हरा देंगे।लेकिन गांव के लोग है कि अभी भी इनके सुझावों पर कम ही ध्यान दे रहे है । जबकि इन स्वास्थ्य साधको के सुझावों के अनुसार चलने से ही ग्रामीण अंचल स्वस्थ रह सकता है । सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हमारे देश मे ,खास कर ग्रामीण अंचलों में लोग मुफ्त में पुलिस की लाठी तो खाने को तैयार है,लेकिन चिकित्सको की सलाह मानने को नही । भारत सरकार के आदेश पर पुलिस ने बाजार और दुकानों को बंद करा रखा है ,फिर भी लोग है कि मानते नही,न सोशल डिस्टेंस को मेंटेन कर रहे है, न चिकित्सको की सलाह मान रहे है । यही कारण है कि देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनो चिंतित होकर रोज लोगो से घरों में रहने को कह रहे है ।
घरों में रहोगे तो इस महामारी से बचोगे
कोरोना से बचने के लिये अगर प्रधानमंत्री मोदी जी और सीएम योगी जी घरों में कुछ दिन रहने की अपील कर रहे है तो कोई प्रयोग नही कर रहे है बल्कि पहले से ही हमारे ग्रंथो में बताये गये उपायों को ही प्रयोग में लाने को कह रहे है । जिस तरह कोरोना महामारी ने पूरे विश्व मे कोहराम मचा रखा है, उसी तरह महाभारत के युद्ध मे भी महासंकट उतपन्न हो गया था । अपने पिता द्रोणाचार्य के मारे जाने से अश्वथामा इतना कुपित हुआ कि उसने पांडव दल के विनाश के लिये नारायण अस्त्र का संधान कर दिया । नारायण अस्त्र के संधान करते ही इस अस्त्र की अग्नि से तीनों लोकों में बेचैनी बढ़ गयी , वही नारायण अस्त्र बड़े वेग से पांडवों की सेना की तरफ बढ़ा ,जिसको देखकर भगवान श्री कृष्ण ने पांडव सेना के सभी योद्धाओं और सैनिकों से अपने सभी अस्त्र शस्त्र जमीन पर फेकने को कहा और हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया । पूरी सेना अपने अस्त्र शस्त्र को तत्काक जमीन पर रखकर हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी । नारायण अस्त्र पूरी पांडव सेना का चक्कर लगाता रहा लेकिन कोई भी अस्त्र शस्त्र वाला नही मिला, क्योकि सभी लोग सिर झुकाये और हाथ जोड़े नारायण अस्त्र के सामने खड़े थे । एक नियत समय गुजर जाने के बाद नारायण अस्त्र वापस चला गया और पांडव सेना की जान बच गयी ।
इस प्रसंग को यहां उद्धरित करने का मकसद सिर्फ यही है कि मात्र 21 दिन अपने घरों में रहिये यह कोरोना भी जहां से आया है,वही चला जायेगा । लेकिन अगर आप इससे आंख मिलाओगे तो सीधे यमलोक को जाओगे, मर्जी आपकी है ।
(मधुसूदन सिंह संपादक बलिया एक्सप्रेस)
बलिया जिला प्रशासन की लोगो से अपील
कोरोना के प्रति जागरूक करता भोजपुरी गीत
यह हिंदी गाना भी आपको कोरोना के सम्बंध में बता रहा है
बलिया 2 अप्रैल 2020 ।। अमर नाथ मिश्र पी0 जी0 कालेज दुबेछपरा के प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार ओझा ने दूरभाष पर बताया कि कलयुगी सृष्टि के रचयिता की आत्मा भी अब निर्धन, अबोध और निस्वार्थ समाज के खून की प्यासी हो चुकी है। पहले ही धनी व संपन्न रक्त पिपाशुओं के लोभ और लालच से उपजे प्राकृतिक प्रकोप के साथ साथ धनाढ्यों की गुलामी का दंश झेल रहा देश का गरीब तबका पुनः इनके शौक और विदेशी चाटुकारिता का दुष्परिणाम झेलने को मजबूर है। विदेशों से इनके द्वारा लायी गयी इस प्राणघातक बीमारी (कोरोना महामारी)अब इन भाग्यहीनों के अस्तित्व पर ही भयंकर हमला कर के संकट पैदा कर दिया है। शांति से मरने मात्र के लिये अपने मूल निवास स्थानो को छोड़कर कीड़े-मकोड़ों के समतुल्य जीवन जीने को मजबूर इन लोगों को अब अपने घर लौटना भी जंग जीतने के समान प्रतीत हो रहा है। समाज के संभ्रांत व बुद्धिजीवियों द्वारा देश को दिए गए इस उपहार ने निर्दोष आम जनमानस के सामने अस्तित्व और आजीविका का घोर संकट पैदा कर दिया है। खैर समाज में ऊंचे ओहदे और प्रशासनिक पकड़ रखने वाले ये लोग स्वयं के लिए तो विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का जुगाड़ कर ही लेंगे। बाकी विशुद्ध भारतीयों के लिए तो पूर्व की भांति सिसक-सिसक कर दम तोड़ देना ही मुक्ति का श्रेष्ठ मार्ग घोषित है। ऐसे में एक मात्र बलिया की अधमरी स्वास्थ्य व्यवस्था को अपने श्रम से पुनः जीवित करते देव तुल्य ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किये जा रहे प्रयास अत्यंत ही सराहनीय है । जो ग्रामीण अंचलों में घूम घूम कर अपनी जान की भी परवाह नही करते हुए गांव में अलग शहरों से आये लोगो के बारे में पता करने से लेकर इनकी स्क्रीनिंग करने ,कोरोना से बचाव हेतु उचित सलाह देने में पीछे नही हट रहे। खेत ,खलिहान गांव में अपने कर्तव्य को निभाते हुए सोनवानी के चिकित्सक डॉ प्रवीण यादव, डॉ राजेश तिवारी , डॉ कन्हैयालालओझा,डॉ राजीव गुप्ता कड़कड़ाती धूप में देखने को मिले । सबसे दुःख की बात यह है कि मात्र जिला से इनलोगो को मास्क और ग्लब्स ही मिला है ।
इन स्वास्थ्य साधको का यही प्रयास है कि ग्रामीण थोड़ा अपने आप को सुधार ले,कोरोना के बचाव के तरीकों को जान ले ,अगर ऐसा हो जायेगा तो गरीब ग्रामीण इस महामारी से बच जाएंगे और कोरोना को हरा देंगे।लेकिन गांव के लोग है कि अभी भी इनके सुझावों पर कम ही ध्यान दे रहे है । जबकि इन स्वास्थ्य साधको के सुझावों के अनुसार चलने से ही ग्रामीण अंचल स्वस्थ रह सकता है । सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हमारे देश मे ,खास कर ग्रामीण अंचलों में लोग मुफ्त में पुलिस की लाठी तो खाने को तैयार है,लेकिन चिकित्सको की सलाह मानने को नही । भारत सरकार के आदेश पर पुलिस ने बाजार और दुकानों को बंद करा रखा है ,फिर भी लोग है कि मानते नही,न सोशल डिस्टेंस को मेंटेन कर रहे है, न चिकित्सको की सलाह मान रहे है । यही कारण है कि देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनो चिंतित होकर रोज लोगो से घरों में रहने को कह रहे है ।
घरों में रहोगे तो इस महामारी से बचोगे
कोरोना से बचने के लिये अगर प्रधानमंत्री मोदी जी और सीएम योगी जी घरों में कुछ दिन रहने की अपील कर रहे है तो कोई प्रयोग नही कर रहे है बल्कि पहले से ही हमारे ग्रंथो में बताये गये उपायों को ही प्रयोग में लाने को कह रहे है । जिस तरह कोरोना महामारी ने पूरे विश्व मे कोहराम मचा रखा है, उसी तरह महाभारत के युद्ध मे भी महासंकट उतपन्न हो गया था । अपने पिता द्रोणाचार्य के मारे जाने से अश्वथामा इतना कुपित हुआ कि उसने पांडव दल के विनाश के लिये नारायण अस्त्र का संधान कर दिया । नारायण अस्त्र के संधान करते ही इस अस्त्र की अग्नि से तीनों लोकों में बेचैनी बढ़ गयी , वही नारायण अस्त्र बड़े वेग से पांडवों की सेना की तरफ बढ़ा ,जिसको देखकर भगवान श्री कृष्ण ने पांडव सेना के सभी योद्धाओं और सैनिकों से अपने सभी अस्त्र शस्त्र जमीन पर फेकने को कहा और हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया । पूरी सेना अपने अस्त्र शस्त्र को तत्काक जमीन पर रखकर हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी । नारायण अस्त्र पूरी पांडव सेना का चक्कर लगाता रहा लेकिन कोई भी अस्त्र शस्त्र वाला नही मिला, क्योकि सभी लोग सिर झुकाये और हाथ जोड़े नारायण अस्त्र के सामने खड़े थे । एक नियत समय गुजर जाने के बाद नारायण अस्त्र वापस चला गया और पांडव सेना की जान बच गयी ।
इस प्रसंग को यहां उद्धरित करने का मकसद सिर्फ यही है कि मात्र 21 दिन अपने घरों में रहिये यह कोरोना भी जहां से आया है,वही चला जायेगा । लेकिन अगर आप इससे आंख मिलाओगे तो सीधे यमलोक को जाओगे, मर्जी आपकी है ।
(मधुसूदन सिंह संपादक बलिया एक्सप्रेस)
बलिया जिला प्रशासन की लोगो से अपील
कोरोना के प्रति जागरूक करता भोजपुरी गीत
एक अपील
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निदेशक, चाइल्ड लाइन-1098