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प्रयागराज : सामाजिक समरसता और सद्भाव कायम रखने की स्वयंसेवी संस्थाओं की वर्तमान चुनौती महत्वपूर्ण


सामाजिक समरसता और सद्भाव कायम रखने की स्वयंसेवी संस्थाओं की वर्तमान चुनौती महत्वपूर्ण
 डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय 

 प्रयागराज 9 अप्रैल 2020 ।।  " समाज में सामाजिक समरसता और पारस्परिक सद्भाव बनाए रखने की चुनौती आज स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रति बहुत अधिक हो गई है और इस गंभीर जिम्मेदारी को उन्हें पूरी ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आकर सामाजिक सद्भाव और सामाजिक समरसता में बाधा उत्पन्न करने वाली ताकतों को समूल नष्ट करने की पहल करनी चाहिए .  "
     उपरोक्त विचार विभिन्न बौद्धिक संपदा से परिपूर्ण पत्रकारों साहित्यकारों और कवियों ने आज प्रस्तुत किया
भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के साहित्य प्रकोष्ठ एवं सामाजिक व सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन विचार प्रवाह श्रृंखला के अंतर्गत प्रथम दिवस दिए गए उपरोक्त  विषय में  विचार संप्रेषकों  ने बहुत ही उत्साह पूर्वक भाग लिया और उन्होंने  अपने  तर्कसंगत एवं सारगर्भित विचार रखे  ।



  भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव कार्यालय वरिष्ठ समाजसेवी श्याम सुंदर सिंह पटेल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि
 भारतवर्ष की संस्कृति आपसी सौहार्द भाईचारा परंपरा रीति-रिवाजों वाला देश है यहां तरह-तरह के रीति-रिवाज धर्म विचारधाराएं है फिर भी देश की संस्कृति आपसी सौहार्द भाईचारा समरसता के बीच में संवैधानिक व्यवस्थाएं हैं उस व्यवस्था के तहत हर जाति धर्म वर्ग समाज व्यक्ति आगे की ओर बढ़ता है यह मिली-जुली संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ संवैधानिक व्यवस्थाओं की मान्यताओं के साथ जो देश चल रहा है वह अपने आप में अलौकिक है हमें इसी अच्छी परंपराओं को बढ़ाने के लिए कार्य करते रहना चाहिए इसीलिए समय-समय पर तीज त्यौहार उत्सव सत्संग आदि अनेकों कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिससे इंसान प्रभावित होकर के एक दूसरे के प्रति स्नेह भाव आदर का संचार होता है वही मिली-जुली संस्कृति ही सांस्कृतिक सौहार्द और सामंजस्य है यही व्यवहार ही समरसता है जब आपस में समरस भाव होते हैं तो सच्चे विचार सच्ची भावना और सच्चा समर्पण मानवीय भाव अपने आप उत्पन्न होता है
 इसी क्रम में पत्रकार महासंघ के सांस्कृतिक व सामाजिक प्रकोष्ठ के प्रभारी श्री नागेंद्र सिंह जी ने अपने विचार में कहा कि     सामाजिक समरसता और सद्भाव कायम रखने की चुनौती स्वयंसेवी संस्थाओं पर  इस समय बहुत अधिक बढ़ गई है क्योंकि वर्तमान समय  में पूरा विश्व एक अनचाही आपत्ति में घिर गया है
हमारा देश हमेशा से विपत्ति आने पर त्याग और बलिदान करना जानता है l हमारे देश के जितने भी समाज सेवी संस्था हैं वह इस त्याग और बलिदान की परंपरा का बखूबी निर्वहन कर रही हैं l और हर हालत में उनका एक ही उद्देश्य है l कि हमारे राष्ट्र का कोई भी नागरिक भूखा ना सोए l इस उद्देश्य के लिए सभी संस्थाएं अपने सामर्थ्य और  संसाधनों के अनुरूप सेवा कार्य में जुटी हुई है l और उन्होंने कमर कस ली है कि कोरोना के वैश्विक जंग में  वह भी एक योद्धा है ll
           महासंघ द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका    साहित्यांजलि प्रभा    के संपादक मंडल के सदस्य एवं साहित्य प्रकोष्ठ के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ त्रिलोकी सिंह ने अपने विचार इस प्रकार रखें - आज जबकि हमारा देश अनेक विषम समस्याओं से परिवेष्टित है , देश की स्वयंसेवी संस्थाओं को अपने गंभीर चिंतन , प्रेरक व्याख्यान एवं सत्साहित्य के प्रकाशन द्वारा जनमानस में सामाजिक समरसता एवं पारस्परिक सद्भाव का भाव जगाने की जिम्मेदारी का निर्वाह अवश्य करना चाहिए ।

प्रखर वक्ता और पत्रकार महासंघ की उत्तर प्रदेश इकाई के महासचिव शिवा शंकर पांडे नवाबगंज ने  अपने प्रभावी विचार रखते हुए कहा कि सामाजिक सद्भाव और समरसता किसी भी स्वस्थ समाज का मेरुदंड है। सामाजिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं इसकी रक्त प्रवाह नलिकाएं हैं। सद्भाव और समरसता के लिए इनका सक्रिय रहना परम आवश्यक है। मौजूदा समय में इनकी भूमिका इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि विश्व जगत के मानव समाज का एक बड़ा हिस्सा गंभीर संकट से जूझ रहा है। भारतवर्ष की बात करें तो देश गंभीर संकट में आ खड़ा हुआ है एक वायरस की गंभीर बीमारी से चिंतित सरकार जनहित में प्रभावी और कल्याणकारी कदम उठा रही है। उधर कतिपय लोग न सिर्फ असहयोग कर रहे हैं बल्कि ऐसी प्रवृति को बढ़ावा देखकर समूचे मानव समाज के लिए गंभीर खतरा भी बनते जा रहे हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में सामाजिक सद्भाव और समरसता को बढ़ाने की जरूरत है। स्पष्ट नीति और नीयत के भाव को आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाओं को सक्रिय करके आगे लाना प्राणी जगत के लिए नितांत जरूरी लगता है।
             इस ऑनलाइन विचार प्रवाह श्रृंखला में अभी और विद्वानों के विचार आए हैं जिन्हें अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा ।
बलिया जिला प्रशासन की लोगो से अपील

कोरोना के प्रति जागरूक करता भोजपुरी गीत




यह हिंदी गाना भी आपको कोरोना के सम्बंध में बता रहा है



डॉ विश्राम यादव वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी अपनी कविता का पाठ करते हुए










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