भीमपुरा बलिया का उधरन प्राथमिक विद्यालय का क्वारंटाइन सेंटर है या होम क्वारंटाइन सेंटर ,जिम्मेदारों के बयानों से उलझी बात
भीमपुरा बलिया का उधरन प्राथमिक विद्यालय का क्वारंटाइन सेंटर है या होम क्वारंटाइन सेंटर ,जिम्मेदारों के बयानों से उलझी बात
बृजेश सिंह
भीमपुरा बलिया 29 अप्रैल 2020 ।। क्वारटाईन सेंटर में मुर्गा पार्टी के साथ सेल्फी की वायरल तस्वीर मामले में क्वारटाईन सेंटर और होम क्वारटाईन में मामला उलझ गया है। जिम्मेदार अफसर युवकों को होम क्वारटाईन बता रहे है जबकि ये युवक 24 अप्रैल को आने के बाद से ही परिषदीय विद्यालय में क्वारटाईन है। अगर परिषदीय विद्यालय ही होम क्वारटाईन है तो 21 दिन के लॉक डॉउन की तरह लेखपाल और सचिव की जिम्मेदारी क्या थी ?जिन्होंने परिषदीय विद्यालय में 14 दिन का क्वारटाईन पूरा करने वाले युवकों को राशन आदि देकर घर विदा किया। सवाल यह है कि अकेले युवक ही इस प्रकरण के लिए दोषी है या और भी कोई अपनी जिम्मेदारी छिपा रहा है।
जबकि दोनों युवक आने के बाद प्रधान के कहने पर परिषदीय विद्यालय में क्वारटाईन होकर अपनी जिम्मेदारी निभाई। इनके क्वारटाईन की जानकारी होने पर थाना प्रभारी भीमपुरा शिवमिलन और बेल्थरारोड ब्लाक की स्वास्थ्य टीम भी उन युवकों की जांच कर विद्यालय पर ही रहने की बात कही थी। एसएचओ और स्वास्थ्य टीम के आने के बाद भी अन्य जिम्मेदार लोगों के रजिस्टर में इन युवकों का नाम न चढ़ा होना आखिर क्या इंगित करता है ? क्योंकि लेखपाल और सीयर ब्लाक के नोडल अधिकारी विनय वर्मा ने मोबाइल से इन युवकों के बारे में पूछे जाने पर अनभिज्ञता जताई थी। दोनों जिम्मेदार के यही जबाब मिले कि पता कर बताता हूं।
जिम्मेदारों अफसरों द्वारा परिषदीय विद्यालय में ही होम क्वारटाईन बताया जा रहा है तो भी लेखपाल और सचिव के पास इसकी जानकारी होनी चाहिए थी जैसा कि परिषदीय विद्यालय में रहने वालों को सरकार के तरफ आये हुए पैकेट को लेखपाल आदि के द्वारा ही क्वारटाईन पूरा होने पर वितरित किया गया था। अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें घर पर ही रहना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं है। वह दिल्ली से आने के दूसरे दिन से ही परिषदीय विद्यालय में है। जिम्मेदारो द्वारा मीडिया को दिए गए बयानों और वास्तविक घटनाक्रम में काफी असमानता दिख रही है। सवाल यह है कि दोषी पाए जाने पर युवकों पर मुकदमा हुआ तो औरों को बचाने में क्यों जुटा हुआ है प्रशासन। क्या जांच कर उनके ऊपर भी कार्यवाही होगी या मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
बृजेश सिंह
भीमपुरा बलिया 29 अप्रैल 2020 ।। क्वारटाईन सेंटर में मुर्गा पार्टी के साथ सेल्फी की वायरल तस्वीर मामले में क्वारटाईन सेंटर और होम क्वारटाईन में मामला उलझ गया है। जिम्मेदार अफसर युवकों को होम क्वारटाईन बता रहे है जबकि ये युवक 24 अप्रैल को आने के बाद से ही परिषदीय विद्यालय में क्वारटाईन है। अगर परिषदीय विद्यालय ही होम क्वारटाईन है तो 21 दिन के लॉक डॉउन की तरह लेखपाल और सचिव की जिम्मेदारी क्या थी ?जिन्होंने परिषदीय विद्यालय में 14 दिन का क्वारटाईन पूरा करने वाले युवकों को राशन आदि देकर घर विदा किया। सवाल यह है कि अकेले युवक ही इस प्रकरण के लिए दोषी है या और भी कोई अपनी जिम्मेदारी छिपा रहा है।
जबकि दोनों युवक आने के बाद प्रधान के कहने पर परिषदीय विद्यालय में क्वारटाईन होकर अपनी जिम्मेदारी निभाई। इनके क्वारटाईन की जानकारी होने पर थाना प्रभारी भीमपुरा शिवमिलन और बेल्थरारोड ब्लाक की स्वास्थ्य टीम भी उन युवकों की जांच कर विद्यालय पर ही रहने की बात कही थी। एसएचओ और स्वास्थ्य टीम के आने के बाद भी अन्य जिम्मेदार लोगों के रजिस्टर में इन युवकों का नाम न चढ़ा होना आखिर क्या इंगित करता है ? क्योंकि लेखपाल और सीयर ब्लाक के नोडल अधिकारी विनय वर्मा ने मोबाइल से इन युवकों के बारे में पूछे जाने पर अनभिज्ञता जताई थी। दोनों जिम्मेदार के यही जबाब मिले कि पता कर बताता हूं।
जिम्मेदारों अफसरों द्वारा परिषदीय विद्यालय में ही होम क्वारटाईन बताया जा रहा है तो भी लेखपाल और सचिव के पास इसकी जानकारी होनी चाहिए थी जैसा कि परिषदीय विद्यालय में रहने वालों को सरकार के तरफ आये हुए पैकेट को लेखपाल आदि के द्वारा ही क्वारटाईन पूरा होने पर वितरित किया गया था। अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें घर पर ही रहना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं है। वह दिल्ली से आने के दूसरे दिन से ही परिषदीय विद्यालय में है। जिम्मेदारो द्वारा मीडिया को दिए गए बयानों और वास्तविक घटनाक्रम में काफी असमानता दिख रही है। सवाल यह है कि दोषी पाए जाने पर युवकों पर मुकदमा हुआ तो औरों को बचाने में क्यों जुटा हुआ है प्रशासन। क्या जांच कर उनके ऊपर भी कार्यवाही होगी या मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।