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अंततः ई फार्मसी एप को आरोग्य सेतु एप से सरकार को पड़ा हटाना : दवा व्यवसायी कर रहे थे विरोध ,केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में की यह घोषणा



नईदिल्ली ।। AIOCD ने दृढ़ता से 8.50 लाख सदस्यों के माध्यम से सरकार को यह अवगत कराया था कि इस आरोग्य सेतु एप का मतलब आम जनता को पास के किसी भी कोरोना पोज़िटिव व्यक्ति की उपस्थिति से सावधान करने का संकेत देना है न कि अवैध व्यापार को बढ़ावा देना इसमें सरकार ने ई-फार्मेसी के अवैध विपणन को बढ़ावा देने के लिए बैकडोर एंट्री दी है इससे देश के सभी केमिस्टों में

ऑल इंडिया ऑर्गनेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड इगिस्ट्स ने अपनी दिल्ली यूनिट RDCA की यूनिट साउथ केमिस्ट्स एंड डिस्टी्य्रस एसोसिएशन (SCDA), के द्वारा लगायी गयी रिट डब्ल्यू.पी. (सी) 2020 क्रमांक 3139 को दिल्ली उच्च न्यायालय में माननीय श्री न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ द्वारा आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम आगे की सुनवाई की गयी।

रिट याचिका आधिकारिक मोबाइल एप्लिकेशन 'आरोग्य सेतु" के साथ वेबसाइट "http://www.aarogyasetumitr.in" को जोड़ने के खिलाफ थी, क्योंकि यह अत्यधिक भेदभावपूर्ण , अवैध, और मनमाने तरीके से कार्यरत वेबसाइट "http://www.arogyasetunmitr.in हैं | जो कि "केवल ई-फार्मेसी के लिए के व्यापार के लिए एक साधन के रुप में प्रचार और सहयोग का कार्य करता है। ई-फार्मेसिों कानून के तहत अवैध हैं और इस माननीय न्यायालय दवारा भी पारित आदेश के बावजूद ये अपना काम करना जारी रखे हुए हैं।

रिट याचिका में यह भी प्रार्थना की गई है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है कि
"आरोग्यसेतु" या इसके सामान किसी भी भामक नाम का उपयोग गलत तरीके से चुनी गई संस्थाओं के दाणिज्यिक हितों को प्रायोजित करने के लिए गलत उपयोग नहीं किया जा सकता है तथा इस वेबसाइट "http://www.aarogyaseturmit.in को तुरंत बंद
कर दिया जाए।

 29 मई 2020 की सुनवाई में, केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सुश्री मनिंदर आचार्य ने स्वीकार किया कि केंद्र सरकार ने अब आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन से वेबसाइट http://www.aarogyasetumitr.in" को डी-लिंक कर दिया है। कोई भी व्यक्ति जो आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा है, उसे अब वेबसाइट का लिंक नहीं मिल रहा है।

इसके बाद, कोर्ट ने पूछताछ की कि केंद्र सरकार ने एक वेबसाइट पर ई-फार्मेसियों की लिस्टिंग की अनुमति कैसे दी, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने बिना लाइसेंस के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को रोक दिया था।

न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन में कार्य कर रही है।इसके बाद, कोर्ट ने पूछताछ की कि केंद्र सरकार ने एक वेबसाइट पर ई-फार्मेसियों की लिस्टिंग की अनुमति कैसे दी, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने बिना लाइसेंस के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को रोक दिया था।न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन में कार्य कर रही है।

न्यायालय ने वेबसाइट
http://www.aarogyasetumitr.in" पर ई-फार्मेसियों की सूची के लिए सभी मापदंड भी नोट किए। (जिसमें भारत में 10,000 पिन कोड के लिए सर्विस की आवश्यकता होती है), और दवाओं की बिक्री या वितरण के लिए पैन इंडिया लाइसेंस दिया गया है या नहीं, इसकी जाच की जाती है। संस्था की ओर से श्री सुधीर नंदराजोग, सीनियर एडवोकेट, और श्री अमित गुप्ता, एडवोकेट ने प्रस्तुत किया कि कानून दवा विक्रय के लिए पैन - इंडिया लाइसेंस देने की अनुमति नहीं देता है। यह प्रस्तुत किया गया था कि ई-फार्मेसियों में जो इसकी बिक्री की पेशकश करता है, दवाओं का प्रदर्शन या वितरण करता है इसकी बिक्री के लिए कोई भी लाइसेंस नहीं
रखता है ।

न्यायालय को सूचित किया गया था कि किसी भी दवा को बेचने, प्रदर्शित करने या वितरित करने का लाइसेंस एक परिसर को दिया जाता है, जहाँ से फार्मेसी संचारित सकती है। दवा ने केवल उन फार्मासिस को दवाओं की होम डिलीवरी के लिए छूट दी है जो नियमों के तहत वैध लाइसेंस रखते हैं। सरकार ने किसी भी ई-कामंसिर्या को संचालित करने की अनुमति नहीं दी है और इस प्रकार, "http://www.aarogyasetumitr.in की आरोग्य सेतु एप वेबसाइट पर लिस्टिंग गलत और अवैध है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, सुश्री मनिंदर आचार्य ने कहा कि वह यह बताने की स्थिति में नहीं है कि किसी भी फ़ार्मेसी के लिए पैन-इंडिया का लाइसेंस दिया गया है या नहीं। इसलिए कोर्ट ने उसे इस बिंदु पर निर्देश देने को कहा। अदालत ने उससे यह भी पूछा कि देश के अन्य सामान्य फार्मसी स्टोर "http://www.aarcgyasetumitr.in" पर सूचीबद्ध क्यों नहीं हैं।सुनवाई की अगली तारीख 9 जून 2020 है।

AIOCD के अध्यक्ष जेएस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने प्रेस नोट जारी किया और सूचित किया कि हमने प्रधान मंत्री जी और माननीय उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है सूचित किया कि अब समय आ गया हैं कि अदैध व्यापार कर रही ई फार्मसी को बेन किया जाए कि अयोग्य सेतु शब्द के दुरुपयोग को रोकने के लिए, जिसे प्रधानमंत्री दवारा कोविड 19 महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए स्वयं प्रचारित किया गया है।इसका वाणिज्यिक लाभ के लिए अवैध रूप से ई फार्मेसी दवारा संचालन किया जा रहा है ।

यह भी उल्लेखनीय है कि किसी सरकार की सदभावना का ऐसा दुरुपयोग अत्यधिक विवेकाधीन और मनमाना है। आरोगग्य सेतु से अवैध ई फार्मेसी के लिंक को पोर्टल से सरकार को डी लिंक करने से भारत के लगभग साढ़े आठ लाख  दवा व्यापारीयों के विजय पर बलिया के दवा के व्यापारीयों ने सत्य की जीत बताते हुए खुशी जाहीर किए।अध्यक्षआनन्द कुमार सिह केमिस्ट हीत मे संजीदा व तत्परता हेतु र्शीष नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट किया गया।